वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली हार के बाद बल्लेबाज़ो की आलोचना करते नज़र आये संजय बांगड़
Published - 03 Jul 2017, 09:41 AM

टीम इंडिया को चैंपियंस ट्रॉफी के बाद एक और बड़ी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, वेस्टइंडीज जैसी छोटी टीम के सामने भारतीय बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए और 190 के आसान से लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया 11 रन पहले ही ऑल आउट हो गयी. टीम की इस हार के लिए बल्लेबाज़ी कोच संजय बांगड़ ने मैच के बाद बयान देते हुए कहा है, कि हमारे बल्लेबाज़ अपनी क्षमता के अनुसार नहीं खेले और यही हार की बड़ी वजह रही.
वेस्टइंडीज की ओर से कप्तान जैसन होल्डर ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए पांच विकेट चटकाए और भारतीय मिडल आर्डर को विकेट पर टिकने ही नहीं दिया और लगातार अहम मौकों पर विकेट चटकाकर मैच में मेज़बान टीम को जीत दिलाई और सीरीज बरकरार रखी.
200 से भी कम लक्ष्य का पीछा नहीं कर सकी टीम इंडिया
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए वेस्टइंडीज की टीम अपने निर्धारित 50 ओवर में मात्र 189 रन ही बना सकी, टीम की शुरुआत अच्छी हुई थी और 121 रनों तक टीम ने केवल दो ही विकेट गवाए थे, लेकिन उसके बाद लगातार विकेट गिरते रहे और टीम बड़ा स्कोर नहीं बना सकी.
190 के छोटे से लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया के बल्लेबाज़ 11 रन पहले ऑल आउट हो गए और टीम को एक और शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, किसी ने भी नहीं सोचा था, कि स्टार खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया 190 जैसे छोटे लक्ष्य का भी पीछा नहीं कर सकेगी. भारत की ओर से महेंद्र सिंह धोनी और अजिंक्य रहाणे ने अर्धशतक भी लगाया, लेकिन और कोई भी बल्लेबाज़ क्रीज़ पर टिक नहीं सका.
हार के बाद संजय बांगड़ ने बताई असली वजह
टीम इंडिया के बल्लेबाज़ी सलाहकार संजय बांगड़ ने टीम इंडिया की हार के बाद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, कि "विकेट समय के साथ और धीमा होता चला गया, हमे इस दौरे पर अभी तक इसी तरह के विकेट मिले है और यहा पर भी दो दिन पहले ही मैच खेला गया था, क्योंकि हमे आखिरी में बल्लेबाज़ी करनी थी, इसलिए बड़े शॉट्स खेलना और मुश्किल होता चला गया. लेकिन यह एक ऐसा स्कोर था, जिसका पीछा किया जा सकता था, लेकिन हमारे बल्लेबाजों ने हमे निराश किया."
धोनी ने लगाया सबसे धीमा अर्धशतक
महेंद्र सिंह धोनी को हमेशा से ही एक ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ के रूप में जाना जाता है और अपने इसी अंदाज़ के कारण ही उन्हें टीम में जगह भी मिली थी, लेकिन फिर समय और परिस्थितियों के साथ धोनी ने अपने खेल में बदलाव लाया और रक्षात्मक खेल दिखाकर अपने आपको एक सम्पूर्ण बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित किया.
वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में भी धोनी ने ही अंत में केदार जाधव के साथ मिलकर टीम को बड़े स्कोर तक पहुँचाया था, लेकिन चौथे वनडे में जब आखिरी दो ओवर में 14 रन जीत के लिए चाहिए थे, उस समय पर धोनी मैच नहीं जीता सके और 114 गेंद पर मात्र 54 रन ही बना सके.
यह किसी भी भारतीय द्वारा 16 सालों में सबसे धीमी पारी है, इससे पहले टीम इंडिया के लिए 1999 में सदगोपन रमेश ने 117 गेंदों पर अर्धशतक लगाया था.