महेंद्र सिंह धोनी की वजह से खत्म हो गया इन 7 खिलाड़ियों का करियर, एक ने तो भारत को जीताया था विश्वकप

Published - 08 Feb 2018, 08:18 AM

खिलाड़ी

भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच छह मैचों की सीरीज का तीसरा मैच बुधवार को केपटाउन में खेला जा रहा है। भारतीय टीम इस मैच में हैट्रिक लगाने के मूड से उतरेगी। उसके लिए पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने खास रणनीति बनाई है। धोनी विकेट के पीछे अपनी सक्रियता बढ़ते नजर आएंगे। लेकिन आज हम कुछ ऐसे क्रिकेटरों की बात करने जा रहे हैं,जिनके बारे में यह कहा जाता है कि इनका करियर धोनी की वजह से ही खत्म हुआ है।

ये खिलाड़ी लाइमलाइट से अलग गुमनामी का जीवन जी रहे हैं। क्रिकेट को अपना करियर बनाने वाले ये खिलाड़ी क्रिकेट के चमक-धमक में इस तरह खोए कि कभी भी सुर्खियों में ना आ सके। आज हम बात करेंगे ऐसे कुछ पुराने क्रिकटरों की ,जिन्हें शायद आप भूल चुके होंगे।

समीर दिघे

08 अक्टूबर 1968 को मुंबई में जन्मे क्रिकेटर समीर दिघे ने 18 मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनड मैच में पदार्पण किया था। वहीं 10 जनवरी 2000 को उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ वनडे में अपना डेब्यू किया था। उन्होंने अपना अंतिम वनडे मैच 05 अगस्त 2001 में श्रीलंका के खिलाफ खेला था। समीर ने अपने करियर में कुल 6 टेस्ट और 23 वनडे मैच खेले हैं। समीर का वनडे में 94 रन सर्वाधिक स्कोर रहा। विकेटकीपर समीर दिघे ने अपने करियर के दौरान 19 कैच पकड़े और 5 स्टंप आउट किया है।

दीप दास गुप्ता

बंगाल के विकेटकीपर दीपदास गुप्ता को भला कौन भूल सकता है। दीपदास गुप्ता ने अपने क्रिकेट कैरियर में केवल पांच वनडे और आठ टेस्ट मैच खेले हैं। इनका जन्म 07 जून 1977 को बिहार के पूर्णिया में हुआ था। दीपदास का करियर महज एक साल का था। 2001 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका दौरे अपने करियर की शुरूआत की थी। बता दें कि दीपदास गुप्ता की पहली कोच महिला थी,जिनका नाम सुनीता शर्मा है। सुनीता देश की पहली महिला कोच हैं। दीपदास के बाद अजय रात्रा की टीम में एंट्री हुई लेकिन दोनों का करियर प्लॉप हो गया ,जब टीम में तूफानी बल्लेबाज महे्द्र सिंह धोनी की एंट्री हुई।

अजय रात्रा

इस लिस्ट में समीर केवल अकेले क्रिकेटर नहीं है। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं अजय रात्रा। 13 दिसंबर 1981 को हरियाणा के फरीदाबाद में जन्मे क्रिकेटर अजय रात्रा भी इन दिनों गुमनामी का जीवन जी रहे हैं। 19 अप्रैल 2002 को उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। इसी मैच में अजय ने शानदार शतक भी जड़ा था। लेकिन इन सबके बावजूद वो टीम इंडिया से बाहर हो गए। लेकिन टीम से बाहर होने की वजह चोट और फिटनेस थी। बाद में उनकी टीम में फिर से वापसी हुई लेकिन ज्यादा समय तक वो टिके नहीं। क्योंकि इस समय तक धोनी युग की शुरूआत हो चुकी थी।

पार्थिव पटेल

पार्थिव पटेल की भारतीय टीम में एंट्री बतौर विकेटकीपर हुई थी। लेकिन धोनी के आने के बाद पार्थिव क्रिकेट जगत से गुम हो गए। पार्थिव पटेल का जन्म 09 मार्च 1085 को अहमदाबाद गुजरात में हुआ था। पार्थिव पटेल ने अभी तक केवल 25 टेस्ट मैच खेले हैं। लेकिन उसी बीच धोनी की टीम में एंट्री हो गई और पार्थिव पटेल की किस्मत में ग्रहण लगना शुरू हो गया। तब से अभी तक वो टीम में वापसी के लिए जूझ रहे हैं। इस समय पार्थिव की उम्र 32 साल हो गई है।

दिनेश कार्तिक

1 जून 1985 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में जन्में विकेटकीपर दिनेश कार्तिक का कैरियर धोनी के डेब्यू के साथ गर्त में मिल गया। धोनी के तूफान के आगे दिनेश कार्तिक को टीम में खास मौके नहीं मिले। 17 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करने वाले दिनेश कार्तिक 2004 में रेगुलर विकेटकीपर के रूप में भारतीय टीम में चुने गए। हालांकि वह 2005 में महेंद्र सिंह धोनी के टीम इंडिया में आने के बाद बाहर कर दिए गए थे। कार्तिक ने अभी तक महज 79 मैच खेले हैं।

नमन ओझा

नमन ओझा का जन्म 20 जुलाई 1083 को मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में हुआ। नमन ओझा को वनडे में पहला मैच खेलने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंंने अपना पहला वनडे मैच 2010 में श्रीलंका के खिलाफ खेला। इसके बाद उन्होंने 28 अगस्त 2015 को अपना पहला टेस्ट मैच भी श्रीलंका के खिलाफ खेला। धोनी की टीम में वापसी के बाद अब नमन दूसरे मौके के लिए तरस रहे हैं।

गौतम गंभीर
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश के कोने-कोने में उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। गौतम गंभीर ने एमएस धोनी से पहले भारतीय टीम में पदार्पण किया था। लेकिन धोनी ने अपनी कप्तानी में गंभीर को खास मौका नहीं मिला। पिछले कई सालों से गंभीर टीम में वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
गंभीर की जगह टीम में रोहित शर्मा को जगह दी गई थी। 2011 में हुए विश्वकप के फाइनल में गौतम गंभीर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 97 रन की पारी खेली थी,जिसके बदौलत भारत दूसरी पर विश्व विजेता बना था।

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