ऐतिहासिक सीरीज जीतने के बाद अजिंक्य रहाणे ने फिर जीता सबका दिल, बताया क्यों नहीं काटा था कंगारु केक
Published - 30 Jan 2021, 06:33 AM

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भारतीय क्रिकेट टीम को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विराट कोहली की गैरमौजूदगी में खेली गई बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज में ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले कप्तान अजिंक्य रहाणे की फैन फॉलोइंग काफी बढ़ गई है। ऑस्ट्रेलिया में इतिहास रचने के बाद जब कप्तान स्वदेश लौटे, तो उनके स्वागत में पड़ोसियों ने बैंड-बाजे के साथ-साथ एक केक भी रखा था, जिसपर कंगारु बना था, लेकिन कप्तान अजिंक्य रहाणे ने इसे काटने से साफ मना कर दिया।
अजिंक्य रहाणे ने नहीं काटा था कंगारु केक
Always wanted to ask @ajinkyarahane88 about the cake he was offered with a kangaroo on it and why he refused to cut it. The small things that tell you more about a person. More of this conversation on his FB page. pic.twitter.com/YZwwQKlFJq
— Harsha Bhogle (@bhogleharsha) January 30, 2021
भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान कप्तान अजिंक्य रहाणे को उनके शांत व्यवहार व सादगी के लिए जाना जाता है। विराट कोहली की गैरमौजूदगी में उन्होंने भारत को बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में ऐतिहासिक जीत दिलाकर भारतीय क्रिकेट में सुनहरा अध्याय जोड़ा। इसके बाद जब वह स्वदेश लौटे, तो उनके पड़ोसियों ने उनका स्वागत ढ़ोल-नगाड़ों के साथ किया और साथ ही उनके वेलकम के लिए एक केक भी रखा था, जिसपर कंगारु बना हुआ था।
लेकिन अजिंक्य रहाणे ने इस केक को काटने से साफ इनकार कर दिया था। अब हर्षा भोगले को बताया कि उन्होंने आखिर ऐसा क्यों किया। रहाणे ने कहा,
'जी हां, मैंने ऐसा किया। कंगारू ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु है। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था कि किसी के सम्मान को ठेस पहुंचे। आप विपक्षी टीम को हराएं, हार-जीत के बावजूद आपको सम्मान देने की जरूरत होती है। भले ही आप जीतें, आप इतिहास रच दें लेकिन मुझे लगता है कि आपको विरोधी को भी सम्मान देना चाहिए। यही वजह थी कि मैंने केक काटने से तब मना कर दिया था।'
क्यों है रहाणे की जीत इतनी बड़ी?
भारतीय क्रिकेट टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा सफल रहा क्योंकि वह बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से मात देकर भारत लौटी। इस सीरीज ने भारतीय क्रिकेट का कद विश्व क्रिकेट में और ऊंचा कर दिया। दरअसल, इस सीरीज की शुरुआत एडिलेट टेस्ट के साथ हुई थी, जहां विराट कोहली की कप्तानी वाली पूरी टीम सिर्फ 36 रनों पर ऑलआउट हो गई थी और भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
लेकिन फिर विराट कोहली पैतृक अवकाश के लिए भारत लौट गए। तब अजिंक्य रहाणे ने कप्तानी संभाली और बॉक्सिंग डे टेस्ट में शतक जड़ते हुए भारत की सीरीज में वापसी कराई और 8 विकेट से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इस वापसी ने भारतीय टीम को नई ऊर्जा दी, जो आगे सीरीज में साफ नजर आई। इसके बाद सिडनी टेस्ट का ऐतिहासिक ड्रॉ शायद ही कोई क्रिकेट फैन भूल सके।
गाबा में रच दिया इतिहास
दूसरी ओर एक के बाद एक अनुभवी खिलाड़ी चोटिल होते रहे और फाइनल टेस्ट मैच में भारत युवा टीम के साथ गाबा के मैदान पर उतरा जहां, 33 सालों से ऑस्ट्रेलिया लगातार टेस्ट मैच जीतती आ रही थी।
उस मैदान पर भारत के युवा खिलाड़ियों वाली टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से मात देकर मैच अपने नाम किया और साथ ही सीरीज को 2-1 से जीतकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को बरकरार रखा। इस ऐतिहासिक जीत के लिए आज विश्व भर में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी की तारीफ हो रही है।