अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में दिग्गजों द्वारा खेली गयी 5 सबसे निस्वार्थ पारियां

Published - 13 Jul 2020, 10:40 AM

खिलाड़ी

निस्वार्थ और क्रिकेट इन शब्दों को एक ही वाक्य में सुनकर कई दिग्गज खिलाड़ियों की छवि आपके मस्तिष्क में उभर जाती होगी. क्रिकेट में आज आपसी कॉम्पीटिशन बहुत बढ़ गया है. खेलों में इस तरह के मौके अक्सर देखने को मिलते हैं. जब दोनों तरफ से खेल भावना पराजित होती दिखाई पड़ती है.

लेकिन इसके साथ ही क्रिकेट में कुछ ऐसे अवसर भी आते हैं. जब खिलाड़ी खेल भावना को अपनी निजी परफॉर्मेंस से भी ज्यादा अहमियत देते हैं. देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना हर इंसान का होता है. क्रिकेटर भी चाहते हैं कि अपने देश के लिए वह कुछ ऐसा करें जिससे देश में उनका नाम हो.

क्रिकेट इतिहास में अनेक ऐसे अवसर आए जब निस्वार्थ पूर्ण खेल से खिलाड़ियों ने सभी के दिल जीत लिए. यहां हम क्रिकेट के ऐसे ही कुछ निस्वार्थ अवसरों का जिक्र कर रहे हैं. इसी कारण आज हम आपको दिग्गज क्रिकेटरों की उन 5 निस्वार्थ पारियों के बारे में बताएँगे. जिन्हें शायद बहुत से लोगों ने भुला दिया है.

5. रोबिन उथप्पा ने रोहित को दिया मौका

13 नवंबर 2014 को रोहित शर्मा ने वन डे क्रिकेट के इतिहास में असंभव से दिखने वाले 250 रनों के स्कोर को पार कर दिया. उन्होंने 264 रनों की पारी खेली. यह वनडे क्रिकेट का सर्वाधिक निजी स्कोर भी है. रोहित शर्मा को इस शानदार पारी का श्रेय दिया ही जाना चाहिए. लेकिन यदि कर्नाटक के विकेटकीपर बल्लेबाज रोहिन उथप्पा ने उन्हें अधिकांश गेंदें खेलने का मौका न दिया होता तो यह रिकॉर्ड न बनता.

दरअसल उथप्पा 41वें ओवर में वह क्रीज पर आए. आपको बता दें कि लम्बे समय बाद वापसी करने वाले उथप्पा टीम में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे. उन्हें भी जल्दी रन बनाकर टीम में अपनी जगह पुख्ता करनी था, लेकिन उन्होंने निस्वार्थ भाव से खेल दिखाया. उस समय टीम इंडिया का स्कोर 4 विकेट पर 276 रन था. रोहित शर्मा दूसरी छोर जबरजस्त लय में दिखाई दे रहे थे. उथप्पा के आने के बाद रोहित ने 43 गेंदों पर 91 रन बनाए.

इस दौरान उथप्पा ने केवल 16 गेंदें खेलीं. इसका सबसे बड़ा कारण यह था की उथप्पा रोहित को लगातार सिंगल लेकर स्ट्राइक दे रहे थे. रोहित ने इसी वजह से 264 रन बनाने में सफल रहे. वहीँ उथप्पा केवल 16 रन बनाकर नाबाद रहे. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि रोहित इस माइलस्टोन को हासिल कर सकें. भारत ने इस मैच में 4 विकेट पर 404 रन बनाए. उथप्पा की यह पारी बड़े ही निस्वार्थ भाव से खेली गयी थी.

4. ग्रीम स्मिथ का चोटिल होने के बावजूद बल्लेबाजी करना

ऐसा ही कुछ एक बार साउथ अफ्रीका टीम के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने भी किया था. जिसके बाद हारने के बावजूद दर्शकों ने स्टेडियम में खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाई थी. दरअसल, 2009 में साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में टेस्ट मैच खेला जा रहा था. इस मैच के दौरान ग्रीम स्मिथ के हाथ में चोट लग गई और हाथ फ्रैक्चर हो गया था जिसके बाद वह मैदान से बाहर चले गए.

स्मिथ लगातार 4 दिन तक बल्लेबाजी करने नहीं आये. लेकिन टेस्ट मैच के आखिरी दिन के खेल में 8.2 ओवर अभी और फेंके जाने थे. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए सिर्फ एक विकेट की जरूरत थी. सभी को लगता था की स्मिथ बल्लेबाजी करने नहीं आएंगे. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जीत का जश्न मनाना भी शुरू ही किया था कि टूटा हुआ हाथ लेकर बल्लेबाजी करने स्मिथ मैदान पर आते दिखे.

स्मिथ के इस जज्बे को देखकर हर कोई हैरान था. स्मिथ ने गंभीर रूप से चोटिल होंने के बावजूद काफी समय तक टीम को हार से बचाने की कोशिश की. लेकिन दुर्भाग्यवश मैच खत्म होने के 10 गेंद पहले वह मिशेल जॉनसन की गेंद पर बोल्ड हो गए. आउट होने के बाद जब वह पवेलियन लौट रहे थे तब सभी दर्शक और खिलाड़ियों ने उनके इस साहस के लिए तालियां बजाई.

3. मार्क टेलर ने निस्वार्थ पारी घोषित की

हर खिलाड़ी कहता है कि वो टेस्ट वनडे तथा टी-20 में सर्वाधिक रनों के रिकॉर्ड को तोड़कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से दर्ज करवाए. पर कुछ ऐसे भी बल्लेबाज हैं जो रिकॉर्ड बनाने के बहुत करीब होकर भी टीम हित के लिए अपने रिकॉर्ड का बलिदान कर देते है.

ऐसा ही कुछ 1998 में पाकिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज मार्क टेलर ने किया था. इस मैच में मार्क के पास रिकॉर्ड बने का मौका भी था और समय भी, लेकिन इस दिग्गज बल्लेबाज ने टीम को सर्वोपरि रखकर पारी घोषित कर दी. दरअसल टेलर उस समय 334 रन बनाकर अविजित थे. यह दूसरे दिन के अंतिम समय की बात है. वह चाहते तो सर डॉन ब्रेडमैन के इंग्लैंड के खिलाफ, लीड्स में 1930 में बनाए 334 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते थे.

मार्क बल्लेबाजी करके उस समय आस्ट्रेलिया के सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन सकते थे. टीम यह चाहती थी कि टेलर को बल्लेबाजी करनी चाहिए लेकिन टेलर ने टीम की सलाह को दरकिनार करते हुए पारी घोषित कर दी. इसी कारण उनकी इस त्याग भरी पारी को आज भी याद किया जाता है.

2. जब तमीम इकबाल ने की टूटे हाँथ से बल्लेबाजी

यूएई में एशिया कप 2018 की शुरुआत शनिवार (15 सितंबर) को बांग्लादेश और श्रीलंका के मैच से दुबई में हुई थी. इस मैच में बांग्लादेश ने पहले बल्लेबाजी करते हुए अपनी दो विकेट पहले ही ओवर में खो दी थीं. दूसरे ओवर में तमीम इकबाल भी चोटिल होकर पवेलियन लौट गए थे. श्रीलंका के गेंदबाज सुरंगा लकमल की गेंद उनकी कलाई पर लगी थी.

स्कैनिंग में पता चला कि उनकी कलाई की हड्डी टूट गई है और वह पूरे टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं. यह बांग्लादेश के लिए बुरी खबर थी. तमीम के जाने के बाद बांग्लादेश के जल्दी जल्दी विकेट गिरते रहे. टीम का स्कोर 9 विकेट पर 229 हो गया था. मुशफिकुर रहीम का शतक पूरा हो चुका था और तमीम के खेलने की संभावनाएं खत्म हो गई थीं.

लग रहा था कि बांग्लादेश की पारी यहीं समाप्त हो जाएगी, लेकिन टूटी हुई कलाई के साथ तमीम मैदान पर उतरे. बांग्लादेश को अब भी 19 गेंदें और खेलनी थीं. सबसे दिलचस्प बात यह रही कि तमीम ने एक हाथ से बल्लेबाजी की. फैन्स ने इस 29 वर्षीय बल्लेबाज की जमकर तारीफ की और उनके इस जज्बे को सलाम किया.

1. जब माईकल क्लार्क ने टीम हित को रखा रिकॉर्ड से परे

साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया को वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान माइकल क्लार्क इस सूची में पहले नंबर पर है. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने वर्ष 2012 में टेस्ट कप्तान के तौर पर टेस्ट मैचों में 4 दोहरा शतक लगाया था. उन्होंने भारत के खिलाफ जनवरी में सिडनी टेस्ट में नाबाद 329 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे.

इस मैच में उनके पास मैथ्यू हेडन का रिकॉर्ड तोड़ कर ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी टेस्ट पारी खेलने का रिकॉर्ड बनाने का सुनहरा मौक़ा था. क्लार्क उस दिन ब्रायन लारा का टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड भी तोड़ सकते हैं. लेकिन उन्होंने टीम हित के लिए रिकॉर्ड को प्राथमिकता नहीं दी.

उन्होंने टीम के हित के बारे में सोचते हुए पारी घोषित करने का निर्णय ले लिया. वह क्लार्क ही थे जिसके कारण भारतीय टीम उस मैच में बुरी तरह से हार गयी थी. इसी कारण माइकल क्लार्क के उस पारी को निस्वार्थ भाव से खेली गयी पारी के पहले स्थान पर रखा गया है.