Rishabh Pant: आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी से पहले दिल्ली कैपिटल्स द्वारा भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत को रिलीज करने के बाद, क्रिकेट प्रशंसक फ्रेंचाइजी पर सवाल उठा रहे हैं। वह लंबे समय तक टीम का हिस्सा थे। वहीं, अब डीसी के सह-मालिक पार्थ जिंदल ने फ्रेंचाइजी से अलग होने की वजह को लेकर बड़ा खुलासा किया है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने (Rishabh Pant) बताया कि अपने व्यवहार के कारण ऋषभ पंत अगले सीजन के लिए रिटेन होने में नाकाम रहे।
इस वजह से ऋषभ पंत का कटा पत्ता
दिल्ली कैपिटल्स के सह मालिक पार्थ जिंदल ने ‘ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ के साथ एक इंटरव्यू किया, जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर बातचीत की। वहीं, जब उनसे टीम के पूर्व कप्तान ऋषभ पंत को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि फ्रेंचाइजी उन्हें बरकरार रखना चाहती थी लेकिन टीम चलाने के संबंध में प्रबंधन के साथ उनके विचार समान नहीं थे। इसकी वजह से डीसी ने उन्हें (Rishabh Pant) रिलीज करने का फैसला किया। पार्थ जिंदल ने बताया,
‘‘फ्रेंचाइजी के संचालन पर हमारी सोच अलग-अलग थी. यही कारण है कि यह (पंत का टीम से अलग होना) हुआ. इसका पैसे से इसका कोई लेना-देना नहीं है. ऋषभ के लिए पैसा कभी कोई मुद्दा नहीं रहा. हमारे लिए भी पैसा कभी कोई मुद्दा नहीं था. मुझे लगता है कि हम तीनों (किरण ग्रांधी, जिंदल और पंत) की सोच एक जैसी नहीं थी.”
टीम मैनेजमेंट के साथ नहीं थे रिश्ते अच्छे?
पार्थ जिंदल ने अपने बयान में बताया मेगा ऑक्शन से पहले ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को बनाए रखने के लिए टीम प्रबंधन हर संभव कोशिश कर रही थी। लेकिन उनकी विचर सबसे बिल्कुल ही अलग थे। डीसी के सह मालिक ने खुलासा,
“उन्होंने (पंत) अंत में एक फैसला किया. हमने सब कुछ करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने आगे बढ़ने का मन बना लिया था. यह फ्रेंचाइजी के संचालन से जुड़ा हुआ है. हमें उनसे कुछ उम्मीदें थी और उन्हें हम से कुछ उम्मीदें थी. मैं बस इतना कह सकता हूं कि हम कुछ चीजों पर एकमत नहीं हो पाए।’’
“उसको वापिस लाना मुश्किल होगा”
पार्थ जिंदल का कहना है कि फ्रेंचाइजी ऋषभ पंत (Rishabh Pant) के लिए 22-23 करोड़ रुपए खर्च कर सकती थी। लेकिन जब उनकी कीमत 27 करोड़ रुपये तक पहुंच गई तो उन्होंने उन्हें खरीदने से हाथ पीछे खींच लिए। पार्थ जिंदल ने कहा,
“जिस क्षण हमने उसे रिटेन नहीं किया, मुझे पता था कि अब उसे वापस लाना मुश्किल भरा फैसला होगा. हमने उसके लिए 20.25 (करोड़) रुपये में ‘राइट-टू-मैच’ का इस्तेमाल किया, लेकिन फिर बजट बहुत अधिक हो गया. हम 22-23 (करोड़) रुपये तक बढ़ाने के लिए तैयार थे.’’