5 दिग्गज खिलाड़ी जो कभी नहीं कर पायें अपनी टीम के लिए कप्तानी, लिस्ट में भारतीय दिग्गज भी शामिल
Published - 09 Jul 2020, 12:39 PM

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क्रिकेट के मैदान पर कप्तानी करने के लिए खेल की समझ होना बहुत जरुरी होता है. जबकि खेल की समझ पाने के लिए अनुभव का होना भी महत्वपूर्ण है. जिसके बाद ही टीम के चयनकर्ता बतौर कप्तान उनपर भरोसा जताते हैं. हालाँकि धोनी और ग्रीम स्मिथ इसके अपवाद रहे हैं.
कुछ दिग्गज हालाँकि ऐसे भी रहे हैं. जो अपने देश के लिए कई सालों तक मैच विजेता खिलाड़ी भी रहे. लेकिन उन्हें कभी टीम की कप्तानी नहीं सौंपी गयी. इन खिलाड़ियों ने अपनी टीम को कई मैच अपने प्रदर्शन के दम पर जिताए भी. जिसके बाद ही इन्हें मैच विनर कहा गया था.
आज हम आपको उन 5 दिग्गज खिलाड़ी के बारें में बताएँगे. जिन्होंने अपनी टीम के लिए बहुत कुछ हासिल किया. उसके बाद भी उन्हें कभी अपनी टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिल पाया. इस लिस्ट में भारतीय टीम के दिग्गज का नाम भी शामिल है.
5. मैथ्यू हेडन
ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज मैथ्यू हेडन ने भी कई बड़ी और शानदार पारियां खेली है. उन्होंने लंबे समय तक टीम के लिए सलामी बल्लेबाज के रूप में अच्छी शुरुआत दिलाई. लेकिन कभी भी वो अपनी टीम के लिए कप्तानी करते हुए नहीं नजर आ सके. जिसे वो एक बड़ा दुर्भाग्य मानते हैं.
मैथ्यू हेडन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 103 टेस्ट मैच में 50.74 के औसत से 8625 रन बनाये. जबकि 161 एकदिवसीय मैच में उन्होंने 43.81 के औसत से 6133 रन बनाये हैं. इस बीच उन्होंने 9 टी20 मैच भी अपने टीम के लिए खेला था. जिसमें 51.33 के औसत से 308 रन भी जोड़े.
हेडन ने तीनो फ़ॉर्मेट में टीम के लिए अहम भूमिका निभाई. लेकिन वो उपकप्तान से कप्तान बनने में कभी सफल नहीं हो पायें. जबकि उनसे पहले कई और युवा खिलाड़ियों को मौका मिल गया. इस दिग्गज को मौका नहीं मिला. जिससे टीम ने एक अच्छा लीडर को मौका नहीं दिया.
4. जेम्स एंडरसन
इंग्लैंड के महान तेज गेंदबाज कहे जाने वाले जेम्स एंडरसन को भी कभी कप्तानी करने का मौका नहीं दिया गया. जो बड़े सवाल खड़ा करता है. बतौर गेंदबाज उनकी निरंतरता के सभी बहुत बड़े फैन कहे जाते हैं. जेम्स ने विकेट लेने के मामले में कई बड़े रिकॉर्ड बनाये हैं.
जेम्स एंडरसन ने इंग्लैंड के लिए टेस्ट फ़ॉर्मेट में 152 मैच खेले. जिसमें 26.83 के औसत से 584 विकेट अपने नाम किये. जबकि 194 एकदिवसीय मैच में उन्होंने 29.22 के औसत से 269 विकेट हासिल किये हैं. टी20 फ़ॉर्मेट में उन्होंने 19 मैच खेले और 30.67 के औसत से 18 विकेट हासिल किये.
एंडरसन लंबे समय से टीम के लिए बतौर अनुभवी खिलाड़ी खेल रहे हैं. लेकिन एक बार भी उन्हें टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिल पाया. जबकि वो टेस्ट फ़ॉर्मेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज ग्लेन मैक्ग्राथ वो पीछे छोड़ दिया है.
3. शोएब अख्तर
पाकिस्तान की टीम में एक समय सिर्फ गेंदबाजो को ही कप्तानी दी जा रही थी. जबकि वसीम अकरम और वकार यूनिस का समय चल रहा था. लेकिन उसके बाद इंजमाम उल हक को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था. जिसके बाद से गेंदबाजो को कप्तानी करने का अवसर नहीं मिल पाया.
शोएब अख्तर ने पाकिस्तान के लिए 46 टेस्ट मैच में 25.7 के औसत से 178 विकेट हासिल किये हैं. जबकि 163 एकदिवसीय मैच में उन्होंने 24.98 के औसत से 247 विकेट अपने नाम किये हैं. जबकि उसके साथ ही 15 टी20 मैच में उन्होंने 22.74 के औसत से 19 विकेट हासिल किये हैं.
अख्तर इंजमाम के बाद टीम की कप्तानी करने वाले थे. लेकिन उसके बाद अचानक ही यूनिस खान को टीम का कप्तान बना दिया गया. जिसके कारण उन्हें कभी भी पाकिस्तानी टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिल पाया. जो इस खिलाड़ी को बहुत ज्यादा खला भी हैं.
2. डेल स्टेन
दक्षिण अफ्रीका की टीम ने भी कई बार गेंदबाजो को अपना कप्तान नियुक्त किया है. लेकिन ग्रीम स्मिथ के बाद ऐसा नहीं हो पाया. जिसके कारण दिग्गज तेज गेंदबाज रहे डेल स्टेन को भी टीम की कप्तानी करने का मौका कभी नहीं मिल पाया. वो बहुत बड़े मैच विनर जरुर अपनी टीम के लिए रहे.
डेल स्टेन ने दक्षिण अफ्रीका की टीम के लिए 93 टेस्ट मैच में 22.95 के औसत से 439 विकेट अपने नाम किये हैं. जबकि 125 एकदिवसीय मैच में स्टेन ने 25.96 के औसत से 196 विकेट अपने नाम किये हैं. 47 टी20 मैच में डेल स्टेन ने 18.36 के औसत से 64 विकेट भी हासिल किए है.
स्टेन ने अपनी टीम के लिए कई बार गेंद के दम पर मैच जीताये हैं. लेकिन उसके बाद भी कप्तान बनने के लिए कभी वो टीम के चयनकर्तायों का भरोसा नहीं जीत पायें हैं. इतने बड़े दिग्गज को कभी कप्तानी की जिम्मेदारी नहीं मिलना भी बड़े सवाल खड़े करती है.
1. युवराज सिंह
भारतीय टीम में जब मैच विनर खिलाड़ियों की बात होगी तो उसमें युवराज सिंह का नाम पहली लिस्ट में नजर आएगा. लेकिन उसके बाद भी उनके बाद खिलाड़ियों को कप्तानी करने का मौका मिलता रहा. जिसमें धोनी, रैना और गंभीर का नाम शामिल रहा. धोनी के गैरमौजूदगी में रैना ने कप्तानी की थी.
युवराज सिंह ने भारतीय टीम के लिए 40 टेस्ट मैच में 33.93 के औसत से 1900 रन बनाये और 9 विकेट लिए. जबकि 304 एकदिवसीय मैच में 36.56 के औसत से 8701 रन बनाये और 111 विकेट भी हासिल किये. टी20 फ़ॉर्मेट में बल्ले से 1177 रन बनाये और 28 विकेट गेंद के साथ हासिल किये.
युवी ने टीम की उपकप्तानी लंबे समय तक की, लेकिन कभी भी उन्हें कप्तानी करने का मौका नहीं मिल पाया. धोनी के गैरमौजूदगी में तो रैना, रहाणे और गौतम गंभीर ने भी कार्यवाहक कप्तानी कर ली. लेकिन युवराज सिंह को ये मौका भी नहीं मिल पाया. जिसको लेकर कहीं ना कहीं उनमें निराशा भी रही होगी.