भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आज अपनी मेहनत और लगन की वजह से वो मुकाम हासिल किया है, जिसे पाना हर खिलाड़ी का सपना होता है. टीम इंडिया के 'कैप्टन कूल' सिर्फ एक बेहतरीन क्रिकेटर ही नहीं बल्कि एक बेहद अच्छे इंसान भी हैं. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक छोटे से शहर से निकलकर ये लड़का पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन करेगा.
लेकिन जब किस्मत के साथ लगन और जिद मिल जाए तो बड़े से बड़े सपने को भी हकीकत में बदलना ही पड़ता है. धोनी ने दुनिया को बता दिया कि अगर हम खुद पर भरोसा करें तो भगवान भी आपके साथ खड़े हो जाते हैं. शायद इसीलिए मौजूदा भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने भी उनके सम्मान में कहा है कि, मैं आपके सामने अपना सर झुकाता हूँ.
विराट ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग सभी क्रिकेटर धोनी का दिल से सम्मान करते हैं, और इसके कई कारण भी हैं. इसलिए आज के इस विशेष लेख में हम आपको उन 5 कारणों के बारे में बताएँगे जिसके चलते हर भारतीय को धोनी का दिल से सम्मान करना चाहिए.
निस्वार्थ लीडरशिप
महेंद्र सिंह धोनी के अन्दर बहुत सी खूबियाँ हैं, जिनमें से एक है उनकी निस्वार्थ लीडरशिप. धोनी हमेशा से ही एक निश्वार्थ खिलाड़ी रहे हैं. धोनी ने भारतीय टीम में खेलते हुए कभी भी अपना कोई बल्लेबाजी नंबर निर्धारित नहीं किया. टीम को जब-जब उनकी जरूरत हुई और जहाँ-जहाँ उनकी जरुरत हुई माही ने टीम के लिए उस पोजीशन में जाकर शानदार खेल दिखाया.
वो हमेशा निस्वार्थ भाव से अपने आप से पहले भारतीय टीम के भविष्य के लिए युवाओं को मौका देते थे. जिस रोहित शर्मा को आज पूरा विश्व जानता है, उन्हें बनाने का श्रेय धोनी को ही जाता है. रोहित पहले भारतीय टीम के लिए निचले क्रम में बल्लेबाजी करते थे. तब रोहित का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहता था.
मगर वो माही ही थे जिन्होंने अपने आप को रोहित के स्थान पर रखकर रोहित को सलामी बल्लेबाजी करने का मौका दिया. सलामी बल्लेबाजी में रोहित ने विश्व को अपनी काबिलियत से परिचित केवल धोनी की वजह से ही कराया. इसी कारण उनके इस निस्वार्थ भाव के लिए सभी भारतीयों को उनका सम्मान करना चाहिए.
विवादों से हमेशा दूर रहते थे धोनी
हालाँकि, महेंद्र सिंह धोनी को कई बार विवादों में खींचने की कोशिश की गयी, मसलन सौरव गांगुली, वीरेंदर सहवाग और युवराज सिंह से विवाद! इसी तरह कभी बीसीसीआई के चीफ रहे एन. श्रीनिवासन और आईपीएल में उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के विवादों के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया.
इन सबके बावजूद अनावश्यक विवादों से खेल का यह महायोद्धा दूर ही रहा! ऐसे “जेंटलमैन गेम” कहे जाने वाले क्रिकेट के नाम को धोनी ने सार्थक भी किया है. कप्तानी के तौर पर एमएस धोनी का अद्भुत रिकॉर्ड अपने आप ही बहुत कुछ कह देता है और यह इसीलिए संभव हो सका, क्योंकि एमएस धोनी ने विवादों से दूर रहने की भरसक कोशिश की है.
धोनी जानते थे कि यदि मैं किसी विवादों में पड़ा,तो मेरे साथ-साथ भारतीय टीम की छवि भी धूमिल हो जाएगी. इसी कारण धोनी ने कभी भी ऐसा काम नहीं किया जिससे उनको किसी भी विवादों में फंसना पड़े. ये बड़ा कारण है धोनी के सम्मान का.
धोनी में कभी भी नहीं थी सत्ता की चाह
महेंद्र सिंह धोनी को कभी भी सत्ता की चाह नहीं रही. वो केवल अपनी सफलताओं के कारण इतने दिनों तक भारतीय टीम के कप्तान रहे. शायद आपको याद होगा जब धोनी ने तीनों फोर्मेट में अपनी कप्तानी से रिटायरमेंट के बाद बयान दिया था कि ‘उन्होंने विराट कोहली के एक कप्तान के तौर पर तैयार होने का इन्तजार किया और उसके बाद रिटायरमेंट लिया.’
धोनी का यह बयान समझने वालों के दिल को छू लेता है. कहाँ तो लोग कुर्सी से चिपके रहने को मृत्युपर्यन्त तक अपना अधिकार समझते हैं और कहाँ धोनी जैसे महायोद्धा अपने नेतृत्व में भविष्य की राह खोजते हैं. अच्छी बात यह भी है कि कप्तानी छोड़ने के बाद 2019 का विश्व कप कोहली की कैप्टनशिप में खेलने की इच्छा माही ने खुद व्यक्त की थी.
अन्यथा जूनियर के नेतृत्व में सीनियर, वह भी धोनी जैसा बड़ा नाम खेले, ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं. इसके पीछे शायद यही सोच रही होगी कि वर्ल्ड कप के लिए नए कप्तान को तैयारी का भरपूर समय मिले तो माही ने अपने विस्तृत अनुभव को भी नए कैप्टन के प्लान के हिसाब से उपलब्ध रखने का विकल्प खुला छोड़ दिया. धोनी ने कभी सत्ता की चाह नहीं की, उनके इस गुण के कारण सभी को उनका सम्मान करना चाहिए.
कड़ी मेहनत से हासिल की अपार सफलता
वर्ष 2016 में ही महेंद्र सिंह धोनी की जिंदगी पर बनी मूवी ‘एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ आई, जिसमें दिखलाया गया था कि उनकी जिंदगी शुरुआत से ही इतनी सफल नहीं थी, जितनी आज है. इस अपार सफलता के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया. फुटबॉल के प्रेमी धोनी को क्रिकेट सीखने में कठिन परिश्रम करना पड़ा.
किस तरह एक मध्यम वर्गीय लड़का नौकरी और रोजी-रोजगार के चक्करों में उलझकर अपनी राह से भटक जाता है, किन्तु अपार लगन से वह वापसी भी कर सकता है, यह धोनी की बायोपिक में सुन्दर ढंग से दर्शाया गया है. भारतीय क्रिकेट में तमाम खिलाड़ी आएंगे और जाएंगे पर धोनी जैसा खिलाड़ी भारत को फिर मिलना असंभव सा प्रतीत होता है.
क्रिकेट के तमाम फॉर्मेट में धोनी ने इंडियन क्रिकेट टीम को निर्विवाद रुप से शीर्ष पर जिस प्रकार बनाए रखा है, वो आने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों और कप्तानों को लंबे समय तक प्रेरणा देती रहेगी. धोनी की इसी कड़ी मेहनत के लिए सभी भारतीय को उनका सम्मान करना चाहिए.
धोनी के लिए देश प्रेम है सर्वोपरि
धोनी के खेल की काबिलियत के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन अपने देश के लिये उनका प्रेम सबसे पहले आता हैं. धोनी ने कई मौकों पर यह साबित किया है कि उनके लिये देश से बड़ा कुछ भी नहीं है. धोनी ने कई बार साबित किया है कि उनके लिये राष्ट्र प्रेम सबसे ऊपर है. श्रीलंका के खिलाफ साल 2011 में विश्व कप फाइनल जिताने वाले धोनी के लिये यह साल बेहद खास था.
क्योंकि देश के लिये 28 साल का सूखा मिटाने के बाद माही को उनके करियर का सबसे बड़ा सम्मान मिला और उन्हें भारतीय सेना ने लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद रैंक से नवाजा. धोनी ने खुद एक मौके पर कहा था कि अगर वो क्रिकेटर नहीं होते तो सैनिक बन जाते. देश के लिये धोनी का प्यार इस बात से भी पता चलता है कि जब उन्हें साल 2018 में पद्म भूषण के सम्मान से नवाजा गया तो उन्होंने यह सम्मान सेना की वर्दी में ग्रहण किया.
सम्मान मिलने के बाद जब उनसे सेना की वर्दी में इसे लेने पहुंचने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आर्मी की यूनिफॉर्म में इस सम्मान को हासिल करना इस खुशी को दस गुना बढ़ा देता है. धोनी का यही देश प्रेम हर भारतीय को उनका सम्मान करने पर मजबूर कर देता है.