भारत को 2012 में अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले कप्तान उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) ने हाल ही में अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहा था। वह पिछले 3 महीने से अमेरिका में हैं। उन्होंने अमेरिका के लिए क्रिकेट खेलना भी शुरु कर दिया है। उनमुक्त चंद ने बिना किसी का नाम लिए खुलासा किया है कि उनका मानसिक शोषण किया और उनकी जगह ऐसे खिलाड़ियों को मौका दिया गया जो क्लब टीम में खेलने लायक नहीं थे।
बेंच पर बैठना मानसिक प्रताड़ना जैसा था
अंडर-19 विश्व कप विजेता कप्तान Unmukt Chand ने 13 अगस्त को हाल ही में अपने भारतीय क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया। उसके बाद उन्होंने अमेरिका का दामन थाम लिया है। उनमुक्त चंद ने स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि,
‘पिछले कुछ साल मेरे लिए काफी कठिन रहे। पिछले सीजन में मुझे दिल्ली से एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। बार-बार वही सत्ता आ रही थी और मुझे नहीं पता था कि मैं खेलूंगा भी या नहीं। मेरे लिए बेंच पर बैठे रहना एक मानसिक प्रताड़ना के समान था क्योंकि जिन भी खिलाड़ियों को मैच खेलने का मौका मिल रहा था, उन्हें मैं अपनी क्लब टीम में भी शामिल नहीं करूंगा।’
मैं नहीं करना चाहता था समय बर्बाद
वीरेंद्र सहवाग के साथ टीम इंडिया में ओपनिंग कर चुके Unmukt Chand ने आगे बताया कि वह अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने 30 साल की उम्र में संन्यास जैसा बड़ा फैसला लिया। चंद ने आगे कहा,
‘मैं इस बारे में और ज्यादा सोचकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता था। इसलिए मैंने अमेरिका जाने का फैसला लिया। मेरे करियर में अब कुछ ही साल बचे हैं और मैं अच्छा क्रिकेट खेलना चाहता हूं। अधर में लटके रहने से बुरा कुछ भी नहीं है।’
Unmukt Chand का करियर
दिल्ली के Unmukt Chand को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कभी मौका नहीं मिल सका। लेकिन जब उन्होंने 2012 अंडर-19 विश्व कप जिताया था, तब लोगों का मानना था कि उनका करियर विराट कोहली जैसा होगा। चंद ने 67 फर्स्ट क्लास मैचों में 8 शतक की मदद से 3379 रन बनाए। लिस्ट ए क्रिकेट में उनमुक्त के बल्ले से 41.33 की औसत से 4505 रन निकले। उनमुक्त चंद ने टी20 क्रिकेट में भी 3 शतक ठोके हैं। अब वह अमेरिका में शिफ्ट हो गए हैं और वहीं क्रिकेट खेल रहे हैं।