अब जबकि भारत का श्रीलंका दौरा खत्म हो गया, तो एक बार फिर Rahul Dravid के मुख्य कोच बनने की चर्चा शुरु हो गई है। हालांकि सीरीज के खत्म होने के बाद द्रविड़ ने कोचिंग के बारे में पूछे जाने पर कहा है कि उन्होंने श्रीलंका में कोचिंग के दौरान और कुछ भी नहीं सोचा। वह जो कर रहे हैं, उससे खुश हैं।
इस दौरे पर भारत को एकदिवसीय सीरीज में 2-1 से जीत मिली, तो वहीं T20I सीरीज में 1-2 से हार का सामना करना पड़ा। इस दौरे में आई सभी मुश्किलों का राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) की कोचिंग वाली युवाओं की टीम ने डटकर सामना किया।
इस वक्त क्रिकेट गलियारों में चर्चा चल रही है कि क्या अभी भी द्रविड़ को रवि शास्त्री के कार्यकाल के खत्म होने के बाद भारत का मुख्य कोच बनाया जा सकता है? तो आइए इस आर्टिकल में आपको वह 3 कारण बताते हैं, जिसके चलते द्रविड़ को भारत का पूर्ण कालिक मुख्य कोच बनाया जा सकता है।
Rahul Dravid को बनाया जाना चाहिए भारत का कोच
1- प्रयोग करने से नहीं डरते द्रविड़
एक्सपेरिमेंट, ये वह गुण है, जो किसी भी कोच व कप्तान को खास बनाता है। श्रीलंका दौरे पर भारत ने भरपूर मात्रा में एक्सपेरिमेंट किए, लेकिन सही समय पर। जब भारत एकदिवसीय सीरीज में 2-0 से आगे हो गया, तब Rahul Dravid ने एक साथ 5 युवाओं को डेब्यू करने का मौका दिया।
भले ही उस मैच में भारत को हार मिली, लेकिन सीरीज भारत के नाम ही रही। इसलिए कोच को ये समझना जरुरी है कि एक्सपेरिमेंट कब करना चाहिए। इसके अलावा द्रविड़ के पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का भरपूर अनुभव है, जिससे वह टीम के खिलाड़ियों को हर परिस्थितियों के लिए तैयार कर सकते हैं। इसलिए रवि शास्त्री के कॉन्ट्रैक्ट के खत्म होने के बाद द्रविड़ कोच पद के प्रबल दावेदार होंगे।
2- कोचिंग का अनुभव है भरपूर
बल्ले के साथ मैदान पर अपनी दृढ़ता के लिए मशहूर रहे राहुल द्रविड़ की कोचिंग में भी उनका चरित्र दिखता है। दौरे पर जब एक साथ 9 खिलाड़ी अनुपलब्ध हो गए, तब भी टीम इंंडिया ने खेलने का फैसला किया। भले ही टीम को हार मिली हो, लेकिन इससे सोच का पता चलता है कि हर परिस्थितियों में Rahul Dravid टीम को लड़ना सिखाते हैं।
इसके बाद बचे हुए खिलाड़ियों में से भी नवदीप सैनी कंधे की चोट के चलते नहीं खेल सके, तो उन्होंने एक और डेब्यू कराया। लेकिन हार नहीं मानी। इसलिए T20I सीरीज में भारत ने जीत दर्ज की या हार, इससे फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि जरुरी था मैदान पर उतरकर अपना चरित्र दिखाना।
दिग्गज द्रविड़ ने इससे पहले इंडिया ए व अंडर-19 टीम में कोच पद पर कार्य किया है। इसलिए आज भारत की बेंच स्ट्रेंथ के लिए श्रेय उन्हीं को जाता है, क्योंकि वह एक कोच के रूप में अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए जाने जाते हैं।
3- युवा व अनुभवी खिलाडि़यों के साथ काम करने का है अनुभव
भारतीय क्रिकेट टीम के कार्यवाहक कोच के रूप में श्रीलंका दौरे पर गए Rahul Dravid के पास अब युवा खिलाड़ियों के साथ-साथ अनुभवी खिलाड़ियों के साथ करने का भी अनुभव है। उन्होंने श्रीलंका दौरे पर भारतीय टीम को कोचिंग दी और टीम ने दृढ़ता दिखाई।
इससे पहले द्रविड़ ने अंडर-19 व इंडिया ए के कोच के रूप में कोचिंग दी, जहां युवा खिलाड़ियों के साथ काम करने का अनुभव मिला। मगर अब दिग्गज के पास युवाओं के साथ-साथ अनुभवी खिलाड़ियों के साथ काम करने का अच्छा अनुभव हो गया है। उनकी कोचिंग में धवन की कप्तानी भी निखरी हुई दिखी। ये एक कारक है, जिसके चलते द्रविड़ को भारतीय टीम का हेड कोच बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।