भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) ने विराट कोहली (Virat Kohli) को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. जो मौजूदा दौर में तीनों फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार हैं. भारतीय कप्तान सिर्फ बेहतरीन मेजबान ही नहीं बल्कि एक सफल बल्लेबाज भी हैं. दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने तीनों ही फॉर्मेंट में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन, क्रिकेट करियर में टेस्ट फॉर्मेट में उनका आगाज बेहद खराब रहा था.
साल 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मिले मौके को वो भुना नहीं सके थे. जिसके बाद उन्हें इस फॉर्मेट से टीम से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद भी जब उन्होंने वापसी की तब भी ज्यादा मौके ऐसे ही रहे जब विराट को बेंच पर ही बैठना पड़ा था. लेकिन, उस बीच कुछ ऐसा भी हुआ था जिसके बारे में वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) ने खुलासा किया है.
इन 2 खिलाड़ियों ने नहीं किया होता कोहली का समर्थन तो आज नहीं होते बड़े खिलाड़ी
विराट कोहली (Virat Kohli) को साल 2011 के अंत में घरेलू सीरीज में वेस्टइंडीज के खिलाफ मौका मिला था. उन्हें ऑस्ट्रेलिया टूर पर भी टीम में शामिल किया गया. लेकिन, इस दौरान भी उन्हें बाकी खिलाड़ियों की तरह ही गेंदबाजों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा. तीसरे टेस्ट से ठीक पहले मध्यक्रम में वो अपनी जगह नहीं बना पा रहे थे. लेकिन, उस वक्त कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) और उप-कप्तान वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने ऐसा नहीं होने दिया.
साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले पूर्व क्रिकेटर ने 2016 में भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान कमेंट्री में एक दिलचस्प किस्से के बारे में बताया था. उन्होंने बताया कि चयनकर्ता विराट कोहली को ड्रॉप करना चाहते थे. लेकिन, उन्होंने और धोनी ने उनका सपोर्ट किया था. इस बारे में पूर्व क्रिकेटर ने बताया,
"चयनकर्ता 2012 में पर्थ में विराट कोहली के बजाय रोहित को उतारना चाहते थे. मैं उप-कप्तान था और धोनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे और हमने फैसला किया कि हमें कोहली का समर्थन करना होगा. बाकी इतिहास है."
जब सब ने छोड़ा हाथ दो इन खिलाड़ियों ने दिया साथ
धोनी और वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) के सपोर्ट ने कोहली के विराट वाले अवतार को सबके सामने लाने में मदद की. उनका करियर यहीं से उड़ान भरा और अब तक वो टेस्ट से कभी ड्रॉप नहीं हुए. उन्होंने पर्थ टेस्ट की पहली पारी में 44 रन बनाए और उसके बाद 75 का स्कोर बनाया. इस मैच को भारत ने एक पारी और 37 रन से गंवा दिया था. इसके बाद उन्होंने चौथे टेस्ट में शतकीय पारी खेली और इस सीरीज में तीन अंकों के आंकड़े को तोड़ने वाले वो एकमात्र भारतीय बल्लेबाज थे.
विराट ने इस सीरीज में अपनी फॉर्म को बरकरार रखा और 8 वनडे मैचों में 373 रन जोड़े. त्रिकोणीय सीरीज में ताबड़तोड़ प्रदर्शन के लिए उन्हें एशिया कप के लिए उप-कप्तान के तौर पर चुना गया था. इसके बाद कोहली ने टेस्ट सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. तीसरे टेस्ट के बाद वह इस लंबे फॉर्मेट के कप्तान बन गए.
इस दौरान अचानक से माही ने टेस्ट से संन्यास ले लिया था. यहां से कोहली ने टीम को इस फॉर्मेट में विश्वस्तरीय टीम बनाया और 38 जीत के साथ सबसे सफल भारतीय कप्तान बन गए. जिसका श्रेय 2 दिग्गज खिलाड़ियों को जाता है.
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