भारतीय क्रिकेट टीम के पास मौजूदा समय में बेहतरीन पेस अटैक है। सीमित ओवर क्रिकेट हो या फिर टेस्ट, सभी तरफ भारतीय गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से विपक्षी टीम पर हावी होकर दिखाया है। एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाजों के बीच Umesh Yadav का नाम अब मानो टीम इंडिया की तस्वीर से धुंधला हो रहा है। जी हां, पिछले कुछ वक्त में उमेश टेस्ट में भी मौके पाने के लिए तरस रहे हैं। तो क्या अप Umesh Yadav का करियर पतन की ओर बढ़ रहा है।
सीमित ओवर क्रिकेट में पहले ही हो चुका है पत्ता साफ
यह बात सभी अच्छे से जानते हैं कि, Umesh Yadav का लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में जगह बनाना अब बेहद मुश्किल है। उमेश ने टीम इंडिया ने लिए साल 2018 में अंतिम एकदिवसीय और 2019 में अंतिम T20I मैच खेला था। हाल फिलहाल के समय में लिस्ट ए क्रिकेट में उनका कुछ खास प्रदर्शन देखने को नहीं मिला और एक के बाद युवा तेज गेंदबाजों के चलते अब उनके वापसी के रास्ते भी पूरी तरह से बंद कर दिए हैं।
वनडे में उन्होंने 75 मैच खेले और 106 विकेट लेने में सफल रहे, जबकि अपने 11 सालों के अंतरराष्ट्रीय करियर में उनको मात्र सात टी20 आई मैच खेलने का मौका और वह मात्र 9 विकेट ले सके।
गिन-गिन के मिल रहे मौके
कहने को विदर्भ एक्सप्रेस के नाम से मशहूर Umesh Yadav टेस्ट टीम के साथ लगातार जुड़े हुए हो, लेकिन उनको प्लेइंग इलेवन में खेलने के अवसर बहुत ही कम मिलते हैं। वह कम मौके भी तब मिलते हैं, जब कोई गेंदबाज या तो चोटिल हो जाए या भारत सीरीज अपने नाम कर चुका हो।
पिछले साढ़े तीन सालों में उमेश को सिर्फ टेस्ट 11 मैच खेलने का मौका मिला है। इन सात में से सात टेस्ट तो भारतीय सरजमीं पर ही खेले गए हैं। साल 2018 में भारतीय टीम ने कुल 12 टेस्ट खेले, जिसमें उमेश को मात्र चार में मौका मिला। वहीं 2019 में भारत ने 11 मैच खेले और उमेश के खाते में मात्र चार ही आए।
पिछले साल टीम इंडिया ने चार टेस्ट खेले और तीन में यादव को खेलने का मौका मिला। विदेशी सरजमीं पर तो यादव सिर्फ एक पानी पिलाने वाले खिलाड़ी की भूमिका में भी ड्रेसिंग रूम में दिखाई पड़ते हैं।
युवा पेश कर रहे दावेदारी
Umesh Yadav के करियर के बीच में युवा खिलाड़ी भी एक रोड़ा बनकर सामने आ रहे हैं। हाल फिलहाल के समय में मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी और टी नटराजन जैसे तेज गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से सभी को खासा प्रभावित किया है, जो उमेश यादव के लिए खतरे की एक बड़ी घंटी है।
स्वयं कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट को ही ले लीजिए... वह भी Umesh Yadav से पहले युवाओं पर भरोसा जताते हुए नजर आते हैं। इसका सबसे बड़ा उदहारण न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में देखने को मिला था, जब चारों तरफ इशांत शर्मा की जगह सिराज को खिलाने की मांग उठ थी थी और उमेश का नाम दूर से दूर तक किसी की जुबां तक पर नहीं था।