भारतीय क्रिकेट का इतिहास स्वर्णिम रहा है। कप्तान बदलते रहे हैं और क्रिकेट का स्तर और ऊंचा हुआ है। जहां, सौरव गांगुली की कप्तानी वाली Team India ने विदेशी धरती पर जीतना सीखा था, तो वहीं महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत की टेस्ट टीम ने पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 की बादशाहत हासिल की। तो अब विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम खुद को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट टीम के रूप में स्थापित कर रही है।
सौरव गांगुली ने लड़ना सिखाया
सौरव गांगुली को Team India के सबसे सफल कप्तानों में से एक माना जाता है। गांगुली को 2000 के दशक में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था और यह वह दौर यह जब टीम इंडिया फिक्सिंग के साए से गुजर रही थी। दादा ने 2000 से 2005 के बीच भारत की कमान संभाली और इस दौरान कुल 49 टेस्ट मैचों में अपनी कप्तानी का कौशल दिखाया। 49 मैचों में भारत ने 21 जीतें, 13 हारे और 15 बिना किसी नतीजे के समाप्त हुए।
सौरव गांगुली के लिए कहा जाता है कि उन्होंने विदेशी सरजमीं पर टीम इंडिया को लड़ना सीखाया और यह बहुत हद तक सही भी है। उन्होंने अपनी कप्तानी में खिलाड़ियों के अंदर कभी ना हार मानना वाला जज्बा पैदा किया। उनकी ही अगुवाई में Team India ने इंग्लैंड से लेकर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से लेकर वेस्टइंडीज सभी को उनके घर पर कड़ी टक्कर दी।
गांगुली की कप्तानी में ही भारत ने 2001 में कंगारू टीम को बुरी तरह से पटखनी देकर उनके घर वापस भेजा था और 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ उसकी सरजमीं पर एक रोमांचक टेस्ट सीरीज में जीत दर्ज की थी।
धोनी को मिला फायदा
इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि सौरव गांगुली द्वारा तैयार की गई टीम का पूरा फायदा महेंद्र सिंह धोनी को अपने कार्यकाल में मिला। धोनी को साल 2008 में अनिल कुंबले के संन्यास के बाद भारतीय टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई थी और 2014 तक उन्होंने इस बड़ी जिम्मेदारी को संभाला। सौरव गांगुली ने अगर टीम इंडिया को विदेशों में लड़ना सीखाया था तो धोनी ने जीताना सीखाया।
धोनी की कप्तानी में ही भारत ने न्यूजीलैंड की सरजमीं पर पहली टेस्ट सीरीज जीतकर एक नायाब इतिहास रचा था। इंग्लैंड के खिलाफ 2014 में जब भारत ने लॉर्ड्स में एक यादगार जीत दर्ज की थी उस समय भी Team India के कप्तान एमएस धोनी ही थे। उनकी कप्तानी में टीम ने दक्षिण अफ्रीका को उन्हीं के मैदान पर मात भी दी थी।
महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के लिए कुल 60 मैचों में कप्तानी की भाग दौड़ संभाली और इस दौरान टीम ने 27 में जीत दर्ज की और 18 में हार का मुहं देखना पड़ा जबकि 15 मैच बिना किसी परिणाम के रहे। धोनी मौजूदा समय मे देश के दूसरे सफल टेस्ट कप्तान भी है।
अब विराट लिख रहे हैं नया अध्याय
सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी के साथ विराट कोहली की तुलना कभी भी नहीं की जा सकती। गांगुली, धोनी और विराट तीनों की ही कप्तानी का नजरिया काफी अलग रहा। बात अगर विराट कोहली की करें तो उनको मैदान पर हमेशा से ही काफी आक्रामक और हमेशा जीत के लिए बेकरार देखा जाता है। कोहली को 2014 में धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारत का कप्तान बनाया गया था और तब से लेकर अब तक टीम इंडिया उनके कार्यकाल में जीत के झंडे गाड़ रही है।
कोहली की अगुवाई में ही Team India ने पहली बार वो कारनामा करके दिखाया था, जो भारत तो क्या एशिया का कोई भी कप्तान नहीं कर सका था। जी हां, 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया को उसकी सरजमीं पर हराने का काम। साथ ही विराट की कप्तानी में टीम ने 201 8 के दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे पर भी दमदार प्रदर्शन किया था।
ज्यादा दूर क्यों जाना आज Team India आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप खेलने जा रही है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह कप्तान कोहली का बल्ले और कप्तानी से दमदार योगदान रहा है। विदेशी सरजमीं के साथ-साथ उन्होंने भारत ने भी अपना खूब जलवा बिखेरा है। अभी तक उन्होंने 60 टेस्ट मैचों की कप्तानी की है और 36 में जीत दर्ज की है। 14 मैचों में हार का सामना करना पड़ा जबकि 10 मैच ड्रॉ रहे।
इस तरह तीनों कप्तानों के आंकड़ों व उपलब्धियों पर नजर डालें, तो ये साफ होता है कि विराट कोहली भारत के टेस्ट के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं।