जब कोई खिलाड़ी बहुत आगे जाता है तो उसमें उसे मौका देने वाले कप्तान को भी श्रेय मिलता है. कप्तान का सपोर्ट एक खिलाड़ी के आत्मविश्वास को बहुत बढ़ा देता है. यदि किसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी को कप्तान का सपोर्ट नहीं मिले तो फिर उनका करियर खत्म हो जाता है.
जब महेंद्र सिंह धोनी भारत के कप्तान थे. उस समय कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी भारत के लिए खेल रहे थे. कुछ खिलाड़ी उसमें से सफल हुए और लंबे समय तक खेलते हुए नजर आये. हालाँकि कुछ खिलाड़ी थोड़े समय के बाद गायब भी हो गये थे.
आज हम आपको उन 4 भारतीय क्रिकेटर के बारें में बताएँगे. जिन्हें अपनी कप्तानी के समय में महेंद्र सिंह धोनी ने बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं दिया.
1. इरफ़ान पठान
तेज गेंदबाजी आलराउंडर इरफ़ान पठान का नाम इस लिस्ट में सबसे पहले आता है. इरफ़ान को एक समय स्विंग का सुल्तान भी कहा जाता था. बल्ले के साथ निचले क्रम में वो टीम के लिए अहम भूमिका निभाते हुए नजर आते थे. लेकिन उन्हे टीम में वापसी का मौका नहीं दिया गया.
इरफ़ान पठान ने 29 टेस्ट मैच में 31 के औसत से 1105 रन बनाये. जबकि गेंद के साथ 32.26 के औसत से 100 विकेट हासिल किया. 120 एकदिवसीय मैच में 23.39 के औसत से 1544 रन बनाये और गेंदबाजी में 29.73 के औसत से 173 विकेट अपने नाम किये. 24 टी20 मैच में 28 विकेट भी अपने नाम किये.
मात्र 28 वर्ष के उम्र में ही इरफ़ान पठान 2012 में जब टीम से बाहर हुए तो उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी ने उनपर भरोसा नहीं जताया और जिसके कारण इस खिलाड़ी को टीम में वापसी करने का मौका नहीं मिल पाया.
2. रोबिन उथप्पा
विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर अपनी पहचान बना रहे रोबिन उथप्पा को भी उम्मीद के मुताबिक टीम में मौके नहीं मिले. हालाँकि घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके उन्होंने वापसी का प्रयास भी किया. उसके बाद भी उन्हें टीम में कभी निरंतरता के साथ मौके नहीं दिए गये.
रोबिन उथप्पा ने 46 वनडे मैच में 25.94 के औसत से भारत के लिए 934 रन बनाये. जिसमें 6 अर्द्धशतक भी शामिल रहा. जबकि 13 टी20 मैच में रोबिन उथप्पा ने 24.9 के औसत से 249 रन ही बनाये. जिसमें एक अर्द्धशतक भी शामिल रहा. इस बीच उनका स्ट्राइक रेट 118.01 का रहा.
उथप्पा ने खुद को सलामी बल्लेबाज के तौर पर फिर मध्यक्रम के बल्लेबाज के तौर भी साबित किया. लेकिन बड़े स्तर पर वो अपने फॉर्म को बरक़रार नहीं रख. उसके लिए उन्हें उस समय के महेंद्र सिंह धोनी का सपोर्ट भी सही तरह से नहीं मिला.
3. अजित अगरकर
वनडे फ़ॉर्मेट में टीम के मुख्य तेज गेंदबाज रहे अजित अगरकर का नाम भी इस लिस्ट में है. जिन्हें राहुल द्रविड़ के कप्तानी जाने के बाद मौके ही नहीं मिले. उनके जल्दी करियर खत्म होने के पीछे भी धोनी को जिम्मेदार कहा जाता है.
अजित अगरकर ने भारत के लिए 26 टेस्ट मैच में 47.33 के औसत से 58 विकेट लिए. जबकि 191 एकदिवसीय मैच में उन्होंने 27.85 के औसत से 288 विकेट हासिल किया. अगरकर ने इसके साथ ही 4 टी20 मैच खेला था. जिसमें उन्होंने 3 विकेट हासिल किया था.
अगरकर का करियर 2007 के बाद अपने आप नीचे चला गया. उसी समय बतौर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का उदय हो रहा था. अजित अगरकर को यदि धोनी का सपोर्ट मिलता तो वो एक अलग गेंदबाज के रूप में नजर आ सकते थे.
4. युसूफ पठान
स्पिन आलराउंडर के रूप में खेले युसूफ पठान का नाम इस लिस्ट में हैं. रविंद्र जडेजा के टीम में आने के बाद से युसूफ पठान को टीम में नहीं मिला. इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने जिस वजह से टीम के लिए कम खेला.
युसूफ पठान ने भारत के लिए 57 एकदिवसीय मैच में 27 के औसत से 810 रन बनाये और 33 विकेट भी अपने नाम किये. जबकि 22 टी20 मैच में उन्होंने 146.58 के स्ट्राइक रेट से 236 रन बनाये. गेंदबाजी में उन्होंने 33.69 के औसत से 13 विकेट अपने नाम किये.
बड़े पठान का करियर भी टीम के लिए बहुत बड़ा नहीं रहा है. आईपीएल में वो बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उनकी टीम में वापसी नहीं हो पायी. महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी रहते समय इस खिलाड़ी को सपोर्ट नही किया.