भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को जिन ऊंचाइयों पर पहुंचाया आज उसे जुबान से बयान की जरुरत नहीं हैं. धोनी ने अपने अब तक के करियर में न जाने कितनी बार भारत का नाम रोशन किया है. उन्होंने कई बार ये साबित कर दिखाया है कि वो वाकई में क्रिकेट की दुनिया के गेम चेंजर हैं.
बात चाहे रन बनाने की हो या विकेटकीपिंग की, या फिर कप्तानी की, धोनी ने हर रूप में हर किरदार को इतनी ईमानदारी से निभाया है कि शायद ही कोई और क्रिकेटर ऐसा करने की क्षमता रखता हो. इसी कारण माही के 39 वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर आपको उन 5 कारणों के बारे में बताएँगे जिसके चलते धोनी इतने सफलतम खिलाड़ी बने.
1. युवा खिलाड़ियों से 100 प्रतिशत प्रदर्शन करवाने की क्षमता
महेंद्र सिंह धोनी के अंदर एक खासियत यह भी है कि वह जिस पर भरोसा करते हैं. हमेशा उसके साथ खड़े भी रहते हैं. उन्हें पता होता है कि कैसे किसी से उसका सौ प्रतिशत लेना है.यही कारण है कि अपनी कप्तानी में न केवल नए खिलाड़ियों को मौका दिया.
बल्कि उन पर भरोसा भी किया और उनसे सौ प्रतिशत निकलवाने में भी सफल रहे. धोनी को हमेशा से ही खुद पर भरोसा रहा है. उन्हें किस नंबर पर बल्लेबाजी करना है, इसका फैसला माही टीम की स्थिति देखकर ही करते हैं. यही कारण है कि उसकी कप्तानी में भारतीय टीम ने कई इतिहास रचे.
2. आईसीसी की तीनों ट्रॉफी में माही का है कब्ज़ा
कैप्टन कूल' के नाम से मशहूर धोनी ने हमेशा खुद के बारे में बाद में और टीम के बारे में पहले सोचा. धोनी की इसी सोच का नतीजा है कि आज भारतीय क्रिकेट टीम दुनिया की सबसे बेहतरीन क्रिकेट टीमों में से एक है. धोनी कप्तान के तौर पर ऐसा कुछ कर गए. जो अभी तक विश्व क्रिकेट इतिहास का कोई कप्तान चाह कर भी नहीं कर सका है.
एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को आईसीसी की तीनों ही प्रतिष्ठित ट्रॉफी दिलायी हैं. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की सरजमीं पर साल 2007 में विश्व टी20 का खिताब जीताया था. जबकि उस समय टीम के पास दो या तीन अनुभवी खिलाड़ी ही मौजूद थे टीम पूरी तरह से ही युवाओं पर आश्रित थी.
धोनी ने यह विश्व कप जिताकर भारतीय टीम का नाम पूरे विश्वभर में ऊँचा कर दिया था. वहीँ माही ने इसके 4 साल बाद ही घर पर विश्व कप की मेजबानी करते हुए वर्ष 2011 में आईसीसी क्रिकेट एकदिवसीय विश्व कप भी अपनी कप्तानी में भारत के नाम किया. इसके बाद साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी को जीतकर वो ऐसे पहले कप्तान बन गए जिन्होंने ये तीनों प्रतिष्ठित ट्रॉफी अपने नाम की हो.
3. धोनी की सफलता के पीछे दादा की अहम भूमिका
दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी शुरुआती मैचों में नाकाम रहे. बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू करते हुए अपने तीन मैचों में उन्होंने सिर्फ 19 रन बनाए. लेकिन दादा का उनपर भरोसा बना रहा. 2005 की शुरुआत में जब पाकिस्तानी टीम भारत दौरे पर आई तो उन्हें टीम में जगह मिली.
पहले मैच में धोनी ने सिर्फ तीन रन ही बनाए थे . लेकिन विशाखापत्तनम के मैच में सौरव गांगुली ने एक अजीब फैसला किया. धोनी को प्रमोट करके तीसरे नंबर पर भेजा गया. यहां से नया इतिहास बन गया. धोनी ने इस मैच में 123 गेंदों पर 148 रन की पारी खेली और भारत को 58 रन से जीत दिलाई.
इसके बाद धोनी की बल्लेबाजी और उनका हेयर स्टाइल एक साथ देश भर में चर्चा का विषय बन गया. इसी कारण धोनी की सफलता की बात हो और दादा का नाम ना हो यह तो बेमानी होगी.
4. धोनी की सफलता में उनकी फिटनेस का है बड़ा योगदान
किसी भी क्रिकेटर की सफलता में फिटनेस एक अहम भूमिका निभाती है. क्योंकि बिना फिटनेस के कोई भी खिलाड़ी ज्यादा दिन तक क्रिकेट नहीं खेल सकता है. वैसे तो क्रिकेट जगत में कई खिलाड़ी हैं जिनकी फिटनेस की मिसाल दी जाती है, लेकिन माही इस क़तार में सबसे आगे खड़े मिलते हैं.
एमएस धोनी भले ही 39 साल की उम्र के हो. लेकिन उनकी फिटनेस 20 साल के युवा खिलाड़ी जैसी है. वह मैदान पर काफी तेज दौड़ते हैं और उनकी विकेटकीपिंग भी काफी शानदार है. उनकी उम्र उनकी फिटनेस पर हावी होती हुई बिल्कुल नहीं दिख रही है.
उनकी शानदार फिटनेस को देखते हुए कहा जा सकता है, कि विश्व में ऐसे बहुत ही क्रिकेटर होंगे जिनकी चुस्ती तथा फुर्ती महेंद्र सिंह धोनी के सामान होगी. धोनी अपनी फिटनेस की मिसाल केवल मैदान के बीच में रन दौड़कर ही नहीं दिखाते, विकेट के पीछे उनके बिजली जैसे हाँथ भी उनकी फिटनेस की गवाही देते हैं.
5. शांत स्वाभाव ही है धोनी की सफलता का मंत्र
कैप्टन कूल के नाम से पूरे विश्वभर में विख्यात माही का विषम से विषम परिस्थिति में शांत स्वभाव ही उनका सबसे बड़ा हथियार हैं. उन्होंने भारतीय टीम को कई बार ऐसे दौर से उबारकर निकाला है जिससे निकालना और किसी भी खिलाड़ी के लिए आसन नहीं होता.
बांग्लादेश के खिलाफ टी20 विश्व कप के आखरी लीग मैच में धोनी द्वारा आखिरी गेंद पर किया गया रनआउट भारतीय क्रिकेट फैन्स के दिल में अभी भी मौजूद है. धोनी द्वारा इस विषम परिस्थिति में ऐसी आत्मसंयमता दिखाना उनके कूल माइंड की क्षमता को दिखता है.