जब पाकिस्तान के खिलाफ टी20 विश्व कप फाइनल में दबाव में आ गये थे हरभजन सिंह
Published - 29 May 2020, 06:38 AM

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भारत और पाकिस्तान के बीच 2007 में खेला गया टी20 विश्व कप का फाइनल मैच आज तक कोई भुला नहीं पाया है. फाइनल मैच में कप्तान एमएस धोनी ने अंतिम ओवर में एक ऐसा फैसला लिया था, जिसे देख पूरा भारत और दुनियाभर के क्रिकेट एक्सपर्ट मानों हैरान से रह गये थे.
दरअसल फाइनल ओवर में पाकिस्तान को मैच जीतने के लिए 12 रनों की आवश्यकता थी और सभी को लग रहा था कि यह आखिरी ओवर अनुभवी हरभजन सिंह ही डालेंगे, लेकिन धोनी ने सभी को हैरान करते हुए तेज गेंदबाज जोगिंदर शर्मा के हाथों में गेंद थमा दी थी.
भज्जी ने फाइनल से जुड़ी याद को किया तजा
मैच में हरभजन सिंह ने तीन ओवर की गेंदबाजी के दौरान 36 रन खर्च किये थे और विकेट एक भी नहीं ले सके थे. मैच में पाकिस्तान की टीम के सामने 158 रनों का लक्ष्य था. और अंतिम चार ओवर के खेल में पाकिस्तान को मुकाबला जीतने के लिए 54 रम बनाने थे. मैच पाकिस्तान टीम के हाथो से निकलता नजर आ रहा था, लेकिन तभी 17वें ओवर में मिस्बाह उल हक ने मैच का रुख बदल दिया.
पारी के 17वें ओवर में मिस्बाह ने 19 रन बनाये और अब पाक को 18 गेंदों में 35 रनों की जरूरत रह गयी. 17वें ओवर में मिस्बाह ने हरभजन सिंह की गेंद पर लगातार तीन छक्के जड़े थे और मैच में एक बार फिर से जान डाल दी थी.
भज्जी को याद आया अपना वह ओवर
वाकई में मिस्बाह उल हक द्वारा लगाये छक्कों ने हरभजन सिंह की नींदे सी उड़ा दी थी. हाल में ही ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए भज्जी ने कहा,
''करियर में कुछ मैच ऐसे थे, जिसमें मैंने दबाव महसूस किया. पाकिस्तान के खिलाफ टी20 विश्व क फाइनल ऐसा ही मैच था, क्योंकि जब मुझे छक्का लगा तो दबाव बढ़ गया. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करना हैं. मैं बस अपना ओवर खत्म करना चाह रहा था और कोई भी बल्लेबाज चौका या छक्का मार सकता है, आपको बस अपना प्रोसेस सही रखना चाहिए. कई बार हम छक्के खाने से डरते हैं.''
आउट करना का बना रहा था प्लान
हरभजन सिंह ने आगे मिस्बाह को लेकर अपने प्लान के बारे में बात करते हुए कहा, ''ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछले मैच में मैं यॉर्कर पर विकेट ले चुका था. मैं यही रणनीति मिस्बाह के खिलाफ भी आजमाना चाहता था, लेकिन प्लान यहाँ फेल हो गया. इससे मेरे ऊपर प्रेशर बढ़ता चला गया. इसकी कारण उन्होंने उस ओवर में बहुत रन बनाये.''
मैच में मिस्बाह उल हक ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 38 गेंदों में 43 रन बनाये थे. अपनी पारी में चार छक्के लगाने वाले मिस्बाह आखिरी गेंद तक पाकिस्तान को टूर्नामेंट जीताने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
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