6,4,4,4,4,4... भारतीय बल्लेबाज ने रणजी ट्रॉफी में मचाया कहर, 443 रन की नाबाद पारी खेल दुनिया में मचाई सनसनी
Published - 20 Mar 2025, 11:26 AM

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Bhausaheb Nimbalkar: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक पारी में 400 का आंकड़े छूने का नायाब रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन चार्ल्स लारा के नाम दर्ज है। साल 2004 में लारा ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच की एक पारी में यह विशालकाय स्कोर खड़ा किया था। जबकि 1994 में खेले एक फर्स्ट क्लास मैच में लारा नाबाद 501 रन की धुआंधार पारी खेलकर क्रिकेट जगत में सनसनी मचा चुके हैं। मगर वहीं भारत के एक धाकड़ खिलाड़ी भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर (Bhausaheb Nimbalkar) ने रणजी ट्रॉफी में गेंदबाजों की क्लास लगाते हुए नाबाद 443 रन का रिकॉर्ड स्थापित किया। वह रणजी ट्रॉफी इतिहास में सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए। यह रिकॉर्ड आज तक कोई भी भारतीय बल्लेबाज तोड़ना तो दूर इसके आस-पास भी नहीं पहुंच पाया।
443 की पारी खेल मचाया तहलका
साल 1948 में 16 से 18 दिसंबर के बीच पुणे स्टेडियमम में महाराष्ट्र और काठियावाड़ (अब सौराष्ट्र) के बीच खेला गया था। इस मैच में काठियावाड़ के कप्तान ठाकुर साहेब ऑफ राजकोट ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था, लेकिन उनकी पूरी टीम पहली पारी में सिर्फ 238 रन पर ढेर हो जाती है। काठियावाड़ की ओर से उनके कप्तान ने सर्वाधिक 77 रन बनाए थे, जिसके जवाब में महाराष्ट्र की टीम तरफ से भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर (Bhausaheb Nimbalkar) ने शानदार पारी खेली। इस मैच में भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने आए और नाबाद 443 रन ठोककर तहलका मचा दिया।
उनकी इस पारी में 49 चौके और 1 सिक्स शामिल था, जिसके चलते वह 443 रन का विशालकाय स्कोर स्थापित करने में सफल रहे। उन्होंने इस स्कोर तक पहुंचने के लिए मैदान पर कुल 494 मिनट तक बल्लेबाजी की थी। हालांकि, तब वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन के नाबाद 452 रन का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सके थे।
इस कारण बचा डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड
इस मैच में काठियावाड़ के कप्तान ठाकुर साहेब ऑफ राजकोट की एक अजीबो गरीब हरकत के चलते भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर (Bhausaheb Nimbalkar) डॉन ब्रैडमैन के नाबाद 452 रन के रिकॉर्ड को तोड़ने से चूक गए थे। दरअसल, 443 रन पर बल्लेबाजी कर रहे भाऊसाहेब निंबलकर को डॉन ब्रैडमैन का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के लिए मात्र 10 रन की जरूरत थी, लेकिन उससे पहले ही कुछ ऐसा हुआ कि मैच को समाप्त करना पड़ा।
इस मैच में, काठियावाड़ के तत्कालीन कप्तान ठाकुर साहेब ऑफ राजकोट का कहना था कि वह इस मैच में बोरियत महसूस कर रहे हैं और अब महाराष्ट्र को अपनी पारी घोषित कर देनी चाहिए वरना उनकी पूरी टीम वापस लौट जाएगी, जिसको सुनने के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन कप्तान यशवंत गोखले हैरान रह गए और ठाकुर साहेब को समझाने का प्रयास किया की निंलबकर (Bhausaheb Nimbalkar) डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने के काफी करीब है, लेकिन काठियावाड़ के कप्तान ने इस बात को अनसुना करके अपनी पूरी टीम के साथ मैदान छोड़कर चले गए और आज भी यह पारी सिर्फ नाबाद 443 रन पर रह गई। हालांकि, इस मैच को महाराष्ट्र ने जीत लिया था।
नहीं तोड़ पाया यह रिकॉर्ड
1948 के रणजी ट्रॉफी में बनाए भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर (Bhausaheb Nimbalkar) के नाबाद 443 रन को तोड़ना तो दूर अभी तक कोई भारतीय बल्लेबाज इसके करीब तक नहीं पहुंच पाया है। हालांकि, निंबलकर के रिकॉर्ड को तोड़ने का प्रयास कई बल्लेबाजों ने किया मगर वह ऐसा नहीं कर सके। एक समय भारत के युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ 379 के स्कोर तक पहुंच गए थे और लग रहा था कि वह इस रिकॉर्ड को न सिर्फ ध्वस्त कर देंगे बल्कि 500 का आंकड़ा भी छू लेंगे मगर उससे पहले ही रियान पराग ने उनकी पारी को समाप्त कर दिया। शॉ रणजी ट्रॉफी इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज हैं। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई बल्लेबाज भाऊसाहेब बाबासाहेब निंबलकर (Bhausaheb Nimbalkar) के नाबाद 443 की रिकॉर्ड पारी को तोड़ने में सफल हो पाता है या फिर नहीं।
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