भारत और ऑस्ट्रेलिया (IND vs AUS) के बीच खेले गए Under-19 World cup 2022 के दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया (Team India) ने कप्तान यश धुल (Yash Dhull) की शानदार शतकीय पारी और उपकप्तान शेख रशीद (Sheikh Rasheed) के 94 रनों की शानदार पारी के बदौलत मजबूत ऑस्ट्रलियन टीम को 96 रनों के एक बड़े अंतर से हरा दिया. अंडर-19 वर्ल्ड कप में शतक लगाने वाले यश धुल (Yash Dhull) तीसरे भारतीय कप्तान बन गए हैं. यश की इस पारी से और टीम के फाइनल में पहुंचने से उनके पिता विजय सिंह (Vijay Singh) काफी खुश हैं. और उन्होंने फाइनल मुकाबले के लिए एक ख़ास सलाह भी दी है.
कप्तान यश ढुल के पिता ने दी ख़ास सलाह
सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को हरा टीम इंडिया ने अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में लगातार चौथी बार अपनी जगह पक्की कर ली है. इस मैच में टीम इंडिया के कप्तान यश धुल (Yash Dhull) ने 110 गेंदों पर 110 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली. अपने बेटे की इस शानदार पारी के बाद उनके पिता विजय सिंह (Vijay Singh) ने उम्मीद जताई है कि, टीम इंडिया इस बार विश्व कप जीतकर लौटेगी, लेकिन उन्होंने साथ ही एक सलाह देते हुए कहा है कि फाइनल में सामने वाली टीम को हल्के में नहीं लिया जाए. उन्होंने कहा ,
सभी लड़के अच्छा कर रहे हैं. अब तो दोनों टीमें बराबर की हैं इसलिए जो उस दिन अच्छा करेगी वो टीम जीत जाएगी. ये क्रिकेट दिन का खेल है. एक भारतीय होने के नाते हम उम्मीद करेंगे कि हम ही जीतें लेकिन दूसरी टीम भी फाइनल में पहुंची है. क्रिकेट में हम सिखाते हैं कि सामने वाली टीम का सम्मान करना है. जो टीम सामने आए उसे बराबर समझो. ट्रॉफी जीतकर आएंगे इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन दूसरी टीम को कमजोर मत समझो.
वो किसी भी स्टेज पर रहता है तो नॉर्मल ही रहता है
ग्रुप स्टेज के पहले ही मैच के बाद कप्तान यश ढुल (Yash Dhull) समेत टीम के 6 खिलाड़ी कोरोना की चपेट में आ गए थे. लेकिन उसके बाद उन्होंने इससे उबरते हुए शानदार वापसी की. मोहम्मद कैफ (Mohammad Kaif), विराट कोहली (Virat Kohli) और उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) जैसे खिलाड़ी टीम इंडिया को अपनी कप्तानी में अंडर-19 वर्ल्ड कप की ट्राफी जीता चुके हैं. ऐसे में यश (Yash Dhull) के ऊपर भी फाइनल मुकाबले में ख़ासा दवाब रहेगा. इसके बारे में बात करते हुए विजय सिंह ने कहा,
वो किसी भी स्टेज पर नॉर्मल ही रहता है. उसमें ऐसा नहीं है कि उसे हैजिटेशन हो. उसमें ये बात है कि मैदान के अंदर जो चीजें हो रही होती हैं वो उसी पर ध्यान देता है. वो ज्यादा प्रेशर नहीं लेता. वो बाहर की भी नहीं सोचता. वो मैदान पर फैसले भी टीम की जरूरत के हिसाब से लेता है. उसकी आदत नहीं है प्रेशर लेने की. मैदान के बाहर भी वो ज्यादा क्रिकेट के बारे में बात नहीं करता.