Who is GS laxmi: महिला विश्वकप 2022 का कारवां अब अपने अंजाम तक पहुंचने वाला है। रविवार यानी 3 अप्रैल को टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला जाएगा। इस मुकाबले का आयोजन क्राइस्टचर्च के हेगले ओवल में किया जाएगा। महिला विश्वकप 2022 में ऑस्ट्रेलिया टीम ने अबतक एक भी मैच नहीं हारा है।
वहीं इंग्लैंड ने फाइनल तक का सफर शुरुआती 2 मैचों में हार के बावजूद तय किया है। भारतीय टीम भले ही लीग स्टेज के बाद आगे नहीं बढ़ सकी। लेकिन भारत के लिए गौरव की बात है कि महिला विश्वकप 2022 के फाइनल मुकाबले में जीएस लक्ष्मी (GS laxmi) रेफरी की भूमिका में नजर आने वाली हैं।
GS Laxmi के जीवन के बारे में जानिए
अब आप सभी के मन में जीएस लक्ष्मी (GS laxmi) के बारे में जानने को लेकर उत्सुकता होगी, तो ऐसे में हम आपको बता दें कि 53 वर्षीय लक्ष्मी साल 2008 से क्रिकेट के खेल में मैच रेफरी की भूमिका निभा रही है। उनको महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट खेलों में रेफरी के रोल में देखा जाता है। लक्ष्मी ने अब तक महिला क्रिकेट में 18 वनडे और 25टी20 में रेफरी की भूमिका निभाई है। इसके साथ ही उन्हें पुरुष क्रिकेट में 5 वनडे और 20टी20 इंटरनेशनल मैचों में इसी दायित्व में देखा गया है।
आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जीएस लक्ष्मी (GS laxmi) का जन्म साल 1968 में 23 मई को हुआ था। उनका जन्मस्थल आंध्रप्रदेश है। जहां उनके पिता टाटा मोटर्स में काम किया करते थे, इसी शहर से उनके क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई थी। लक्ष्मी क्रिकेट खेलने में इतनी मगन रहा करती थी कि पढ़ाई में उनका प्रदर्शन खराब होने लगा था। 10वीं में उनके बोर्ड में अच्छे अंक नहीं आए, जिसके कारण उन्हें कॉलेज में दाखिला लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा था। लेकिन क्रिकेट में उनकी रूचि ने आज उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया है।
GS Laxmi का क्रिकेट करियर
लक्ष्मी (GS laxmi) ने 1989 और 2004 के बीच आंध्र महिला, बिहार, रेलवे, ईस्ट जोन और साउथ जोन की महिला टीमों सहित कई घरेलू टीमों का प्रतिनिधित्व किया। क्ष्मी ने 1991 में शादी की। उन्हें अपनी शादी के दिन शेष भारत की टीम की तरफ खेलने का आमंत्रण मिला था, लेकिन उन्होंने क्रिकेट से थोड़े समय के लिए रेस्ट लेने का फैसला किया था।
बाद में उन्होंने दक्षिण मध्य रेलवे टीम के साथ क्रिकेट में वापसी की और 1995 में पहली बार इंटर-रेलवे खिताब जीतने में टीम की मदद की। उन्हें 1999 में इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम में चुना गया था, लेकिन एक भी मैच खेलने का चांस नहीं मिला। जिसके बाद लक्ष्मी (GS laxmi) ने 2004 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।