सचिन, सौरव और लक्ष्मण के ही खिलाफ उतरे विनोद रॉय, कहा भूल गये थे अपने अधिकार किया दुसरे के काम में दखलंदाजी

Published - 20 Jul 2017, 10:13 AM

खिलाड़ी

भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड हैं, लेकिन पिछले दो महीनों से भारतीय बोर्ड कुछ अलग ही चर्चा के लिए खबरों में बना हुआ हैं और वो हैं भारतीय टीम के नए कोच के चयन के लिए जहां पहले बीसीसीआई ने भारतीय टीम के कोच पद के लिए 25 मई को विज्ञापन दिया था लेकिन उसके बाद कुंबले के इस्तीफा देने के कारण फिर से बोर्ड को एक बार इस पद के लिए विज्ञापन देना पड़ा.

शास्त्री ने दुबारा विज्ञापन आने पर भरा

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कुंबले के इस्तीफा देने के बाद रवि शास्त्री ने दुबारा विज्ञापन आने के बाद इस पद के लिए आवेदन किया जिसके बाद 10 जुलाई को कोच पद के लिए आवेदन करने वालों का सीएसी के टिन सदस्यों के सामने इंटरव्यू हुआ और जिसके बाद 11 जुलाई को रवि शास्त्री को भारतीय टीम का अगला कोच नियुक्त कर दिया गया जिनका कार्यकाल 2019 के वर्ल्डकप तक होगा. विनोद राय ने बीसीसीआई से अगले कोच की नियुक्ति पर फैसला जल्द लेने के लिए कह दिया था जिसके बाद शास्त्री ही सबसे सही लगे इस पद के लिए सीएसी को.

विनोद रॉय ने साफ की तस्वीर

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जब बीसीसीआई की तरफ से गठित तीन सदस्यों की समिति ने भारतीय टीम के अगले कोच के साथ टीम के सपोर्ट स्टाफ की भी नियुक्ति कर दी थी जिसके बाद सीइओ की समिती ने इस निर्णय को नहीं माना और कहा कि सीएसी के पास सिर्फ कोच के चयन का अधिकार था ना कि टीम के सपोर्ट स्टाफ का मुझे सीएसी के कोच पद के निर्णय तक ठीक लगा, लेकिन इसके बाद टीम के लिए दो सलहाकार भी नियुक्त करना ये नार्मल बात नहीं थी.

किसी ने यू टर्न नहीं लिया

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शास्त्री के कोच पद पर नियुक्त होने के बाद उनकी सीओए के साथ जब पहली मुलाकात मुंबई में हुयी तो उन्होंने शास्त्री के अनुसार संजय बांगर को सहायक कोच के रूप में आर. श्रीधर को फील्डिंग कोच और भरत अरुण की वापसी कराते हुए एक बार फिर से गेंदबाजी कोच नियुक्त करा इसके बाद सीओए ने कहा कि शास्त्री ने उन्हें अपनी इस कोर टीम के बारे में जानकारी दी थी लेकिन रॉय ने इस बात से इंकार किया कि किसी ने भी इसमें यू टर्न लिया हैं चाहे वो बीसीसीआई ही क्यों ना हो.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए अधिकार

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विनोद रॉय से जब पूछा गया कि क्या सीओए को कोच की नियुक्ति में हस्तक्षेप करना चाहिए था तो इस पर विनोद रॉय ने कहा कि हमें इस निर्णय लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिला हैं नहीं तो हम ऐसा क्यों करते. सुप्रीम कोर्ट ने हमे बीसीसीआई के कामकाज की देखरेख करने के लिए आदेश दिया हैं. सीएओ उसी अनुसार अपना काम कर रही हैं. जहीर और राहुल द्रविड़ के लिए हुआ निर्णय बदलने के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड की काफी तौहीन हुयी थी. भारतीय बोर्ड को आखिरी में सीओए के आदेश के अनुसार अपना काम करना पड़ा था और सीएसी के कोच के अलावा बाकी निर्णय को अमान्य माना गया और अब वहीं लोग टीम के साथ हैं जिन्हें सीओए ने अपनी तरफ से नियुक्त किया हैं.

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