हर चढ़ते सूरज को शाम होते हुए अंधेरे की आगोश में जाना ही होता है। एक खिलाड़ी का करियर भी अपनी चरम सीमा पर पहुँचने के बाद ढलान की ओर जाना शुरू हो जाता है। ठीक ऐसा ही टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) के साथ देखने को मिल रहा है। 'किंग कोहली', 'रन मशीन' और 'मॉडर्न डे मास्टर' जैसे शब्दों को अपने साथ जोड़ने वाले विराट इन दिनों कहीं खोए हुए से नाराज आते हैं। बड़ी पारी का इंतजार लंबा होता जा रहा है, नौबत अब प्लेइंग एलेवन में जगह के सवाल तक आ गई है।
साल 2022 में 1-1 रन को तरस रहे हैं Virat Kohli
विराट कोहली (Virat Kohli) के बल्ले से साल 2019 के बाद से कोई भी शतकीय पारी नहीं निकली है। खेल का चाहे कोई भी फॉर्मेट हो विराट अपनी काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन करते नजर नहीं आए हैं। खासकर उनके पसंदीदा प्रारूप टेस्ट में उनका सबसे बुरा हाल हुआ है।
हालांकि साल 2022 से पहले वे लगातार अर्धशतक् जमा रहे थे लेकिन शतक की दहलीज पर खड़े होकर आउट हो जाते थे। लेकिन इस साल तो मानो विराट एक-एक रन के लिए तरस रहे हैं। जिस विराट के क्रीज पर आने के बाद भारतीय समर्थकों को सुकून और भरोसे की अनुभूति हुआ करती थी। वहीं विराट अब क्रीज पर कितनी देर टिकेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है।
उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं Virat Kohli
विराट कोहली ने अपना आखिरी शतक साल 2019 के अंत में बांग्लादेश के खिलाफ जड़ा था। उसके बाद से कोरोना के चलते क्रिकेट रुक सा गया। लेकिन जब सब सामान्य हुआ तो विराट कोहली का फॉर्म पहले जैसा नहीं रहा। 2019 से लेकर अबतक उन्होंने टेस्ट, वनडे और टी20 सहित 75 इंटरनेशनल परियां खेली है। इस दौरान विराट ने 36 की औसत के साथ 2509 रन बनाए हैं। हर प्रारूप में 50 से ज्यादा की औसत से खेलने वाले इस खिलाड़ी से उम्मीद ज्यादा है, लेकिन वे फिलहाल उन पर खरा नहीं उतर पाए हैं।
6 दिसंबर 2019 के बाद विराट कोहली का रिकॉर्ड
मैच- 64, पारी- 75, रन- 2509
औसत- 36.89, अर्धशतक- 24, शतक- 0
Virat Kohli को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता ?
इसी बीच अगर तीनों फॉर्मेट की तुलना करे तो विराट कोहली (Virat Kohli) का सबसे बुरा हाल उनके पसंदीदा टेस्ट फॉर्मेट में ही है। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ निर्णायक मुकाबले में वे जबरदस्त तरीके से फ्लॉप हुए हैं। दोनों पारियों में एक अच्छी शुरुआत के बाद विराट कुल मिलाकर सिर्फ 31 रन ही बना पाए। इस साल उन्होंने टेस्ट की 7 पारियों में 31 की औसत से 220 रन ही बनाए हैं। जिसमें से भी उनका सर्वाधिक निजी स्कोर 79 का रहा है।
ऐसे में सवाल है कि चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को लगभग ऐसे ही प्रदर्शन के बाद टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन क्या अब विराट (Virat Kohli) के कमजोर कड़ी होने के नाते उन्हें ड्रॉप किया जाएगा या फिर उम्मीद के साहारे लगातार उन्हें मौके दिए जाएंगे।