आईपीएल में अपनी रफ्तार का जादू दिखाने वाले तेज गेंदबाज उमरान मलिक (Umran Malik) टीम इंडिया में डेब्यू मैच को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. 9 जून से भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 5 मैचों की टी-20 सीरीज शुरू होने जा रही है. जिसपर सबकी निगाहें होंगी.
क्योंकि, इस सीरीज में उमरान मलिक को अफ्रीका के खिलाफ मैदान पर नीली जर्सी में देखा जा सकता है. वहीं उमरान से एक मीडिया इंटरव्यू में पूछा गया कि आप वह क्या चाहते हैं कि आपके पिता पिता फल बेचना छोड़ दें? जिसका जबाव सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.
Umran Malik ने दिया फैंस का दिल जीत लेने वाला जबाव
उमरान मलिक (Umran Malik) एक ऐसा नाम बन गए हैं, जो भारत के हर घर में चर्चा का विषय बन गया है. जो लोग क्रिकेट देखना का शौक रखते हैं. वह उमरान मलिक को बखूबी जानते होंगे. उमरान आईपीएल 2022 में सबसे तेज गेंद फेंककर खूब सुर्खियां बटोरी थीं. वह जल्द ही टीम इंडिया में खेलते हुए नजर आ सकते हैं.
जिनकी घातक गेंदबाजी का सामना करते हुए बड़े से बड़े बल्लेबाज के पसीने छूट जाएंगे. द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान जब उमरान मलिक से पूछा गया था कि क्या आप चाहते हैं कि आपके पिता फल बेचना छोड़ दें, तो इस सवाल का जबाव देते हुए उमरान ने कहा था कि,
'पिछले 70 सालों से यह बिजनेस हमारे परिवार का हिस्सा रहा है. मेरे दादा पिता और चाचा सभी यही काम करते हुए आ रहे हैं. ऐसा नहीं है अगर मैं टीम इंडिया के लिए खेल रहा हूं तो मेरे पिता काम करना बंद कर देंगे. मेरे पिता मुझसे हमेशा यही कहते हैं कि हम वहीं रहेंगे जहां से हम उठे हैं और मैं एक मध्यम परिवार से आता हूं.'
'अम्मी और अब्बू ने मुझे खेलने के लिए पूरा सपोर्ट किया'
उमरान मलिक (Umran Malik) आज जिस मुकाम पर हैं. उसमें सबसे ज्यदा योगदान उनके माता-पिता का रहा है. क्योंकि, एक मिडिल क्लास फैमिली में क्रिकेट खेलने को लेकर अक्सर बच्चों की मां-बाप से बहस हो जाती है. कई बार तो भारत में बच्चों को क्रिकेट खेलने पर परिवार वालों से पिटाई भी खानी पड़ती है. भारत में एक कहावत बहुत फेमस है कि 'पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे खराब'.
लेकिन, उमरान मलिक के परिवार ने हमेशा उनका सपोर्ट किया. और उमरान ने अपनी मेहनत और लगन से परिवार के भरोसे को बनाए रखा और आज वह भारत का नाम रौशान करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि,
'मुझे क्रिकेट खेलने के लिए मेरे माता-पिता और बहनों ने काफी सपोर्ट किया हैं. खासकर बहनों ने मुझे अधिक सपोर्ट किया. मैं जानता था कि अगर मैं माता-पिता से कहूंगा कि मैं खेलने जा रहा हू, तो वह मुझे कभी भी अमुमती देने से मना नहीं करते थे. मैं जब तक क्रिकेट खेल कर वापस नहीं आ जाता था. जत तक वह अपने कमरे में सोने नहीं जाते थे. और फिर मैं अपनी बहनों से कहता था प्लीस दरवाजा खोलो'