आपने टीम इंडिया (Team India) के खिलाड़ियों को संन्यास लेने के बाद क्रिकेट कंमेंटेटर या कोच बनते देखा होगा. लेकिन, राजनीति में बहुत से कम ही खिलाड़ी जाना पसंद करते हैं. वैसे आमतौर पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है, लेकिन भारतीय टीम के कई खिलाड़ी ऐसे भी है. जिन्होंने 22 गज की पिच पर खेलने के बाद राजनीति के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाई. हम आपको इस आर्टिकल में 5 ऐसे भारतीय खिलाड़ियों के बार में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद राजनीति के मैदान पर अपनी नई पारी का आगाज किया.
राजनीतिक पार्टियां भी खिलाड़ियों को चुनावी टिकट देने से कोई गुरेज नहीं करती है, क्योंकि वो भी जानती हैं कि क्रिकेटर हमेशा जनता से जुड़ा होता है. यही वजह कि फैंस उस खिलाड़ी को वोट देकर जिताने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. जिसका सीधा लाभ सत्ताधारी पार्टी को मिलता है. चलिए जानते हैं उन 5 ऐसे खिलाड़ियों के बारे मे जो सियासी पिच पर बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुए.
मंसूर अली खान
पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान (Mansoor Ali Khan Pataudi) का नाम दिग्गज खिलाड़ियों की लिस्ट में शुमार है. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में नाबाद 203 रनों की पारी खेलकर क्रिकेट जगत में तहलका मचा दिया था. क्रिकेट में मंसूर अली खान का कोई साहनी नहीं था. उन्होंने क्रिकेट की पिच पर खूब नाम कमाया, लेकिन वो सियासत की पिच पर अपनी पारी को नहीं जमा पाए.
क्रिकेट में जलवे बिखेरने वाले मंसूर अली ने राजनीति में भी हाथ आजमाया. उन्होंने साल 1971 में पटौदी स्टेट (गुडगांव) से विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
मंसूर अली खान पटौदी ने भारत के लिए कुल 46 टेस्ट मैच खेले थे, जिनमें 34.91 की उस दौर के शानदार औसत से कुल 2783 रन बनाए. मंसूर अली खान पटौदी ने अपने टेस्ट करियर में 6 शतक और 16 अर्धशतक जमाए थे.
योगराज सिंह
भारतीय खिलाड़ी योगराज सिंह (Yograj Singh) को भला कौन नहीं जानता. वो टीम इंडिया के धुरंधर बल्लेबाज और सिक्सर सिंह कहे जाने वाले युवराज सिंह के पिता हैं. योगराज सिंह का विवादों से पुराना नाता है. उन्होंने धोनी को लेकर कई ऐसे विवादित बयान दिए थे. जिससे क्रिकेट जगत में भूचाल मचा दिया था.
योगराज सिंह का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. क्रिकेट करियर न चलने के बाद योगराज ने पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी. उन्होंने 1983 से अब तक 39 पंजाबी और एक हिंदी फिल्म की है. उसके बाद योगराज सिंह ने राजनीति में भी हाथ आजमाया. उन्होंने पंचकूला विधानसभा से इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
विनोद कांबली
विनोद कांबली (Vinod Kambli) का पूरा नाम विनोद गणपत कांबली है. जिन्हें सचिन तेंदुलकर का बचपन का दोस्त बताया जाता है. कांबली ने अपना पहला वनडे मुकाबला पाकिस्तान के खिलाफ साल 1991 में खेला था. क्रिकेट में चमक बिखरने के बाद विनोद कांबली ने राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा.
विनोद कांबली को तो वैसे सभी लोग जानते हैं. जिसका फायदा उन्हें राजनीति में नहीं मिला. उन्होंने नेता बनने के लिए साल 2009 में लोक भारती पार्टी से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था. जिसमें उन्हें इस हार का सामना करना पड़ा.
मोहम्मद कैफ
भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद कैफ (Mohammad Kaif) का नाम भी उन खिलाड़ियों के लिस्ट में आता है. जिन्होंने क्रिकेट के बाद राजनीति के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाई. इन्होंने साल 2014 में यूपी के फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन यहां उनकी पारी लंबी नहीं खिंच सकी. चुनाव हारते ही उनके राजनीतिक पारी का अंत गया.
कैफ ने अपनी शानदार बल्लेबाजी और दमदार फील्डिंग से टीम इंडिया (Team India) को कई मैच जिताए हैं. उन्होंने 2002 में लॉर्ड्स में नेटवेस्ट टूर्नामेंट के फाइनल मैच में इंग्लैंड के खिलाफ अविस्मरणीय पारी खेली थी. कैफ ने 75 गेंदों में नाबाद 87 रन बनाए. इस मैच में भारत ने 327 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड को हराया था.
एस श्रीसंत
भारतीय टीम के तेज गेंदबाज श्रीसंत (Sreesanth) को धारदार गेंदबाजी के लिए जाना जाता है. श्रीसंत दो बार वर्ल्ड कप वाली टीम का हिस्सा रहे हैं. वो साल 2007 में टी20 वर्ल्डकप की टीम का हिस्सा थे और उन्होंने साल 2011 में एमएस धोनी को वर्ल्ड कप जिताया था.
हालांकि इस खिलाड़ी का करियर आईपीएल फिक्सिंग के कारण समय से पहले खत्म होने के कगार पर आ गया. श्रीसंत ने क्रिकेट करियर के बाद श्रीसंत रियालिटी शो में डांस किया फिर केरल में बीजेपी की टिकट से 2016 में विधानसभा चुनाव लड़ा था. उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. हालांकि श्रीसंत का क्रिकेट करियर फ्लॉप रहने के बाद उनका राजनीति करियर भी परवान नहीं चढ़ सका.