क्रिकेटर बनने के लिए छोड़ी थी भारतीय वायुसेना की नौकरी, अब UP के Sourabh Kumar की गेंदबाजी से दहल गई बांग्लादेश की धरती

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Lokesh Sharma
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Sourabh Kumar Struggle Story Team India

भारत और बांग्लादेश के बीच 3 मैचो की वनडे सीरीज और 2 मैच की टेस्ट सरीज 4 दिसम्बर से खेली जानी हैं। लेकिन, उससे पहले भारतीय ए टीम बांग्लादेश ए टीम के साथ चारदिवसीय टेस्ट मैच खेल रही हैं। इस मुकाबले में भारत के स्पिनर गेंदबाज सोरभ कुमार (Sourabh Kumar) ने शानदार गेंदबाजी कर क्रिकेट जगत में तहलका मचा दिया है। उनकी संघर्ष भरी कहानी को जानकर आप की भी आंखे नम हो जाएंगी । आइए सौरभ कुमार कि वायुसेना जवान से लेकर क्रिकेटर बनने की कहानी पर एक नजर डालते हैं।

 Sourabh Kumar ने बांग्लादेश में झटके 4 विकेट

Sourabh Kumar

भारत ए और बांग्लादेश ए के बीच चार दिवसीय टेस्ट मुकाबला खेला जा रहा हैं। भारतीय गेंदबाजो ने बांग्लादेशी बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी हैं। मेहमान टीम ने टॉस जीतकर मेजबान टीम को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया। इस मुकाबले में भारत ए के स्पिनर गेंदबाज सौरभ कुमार (Sourabh Kumar) ने अक्रामक गेंदबाज कर मेजाबन टीम के परखच्चे उड़ा दिए हैं। उन्होंने 8 ओवर में गेंदबाजी करते हुए 23 रन लुटाकर 4 विकेट झटके। इस दौरान उनका इकॉनोमी रेट 2.90 का रहा हैं, जिसके चलते बांग्लादेश की टीम पहली पारी में महज 110 रन ही बना पाई हैं।

संघर्ष से भरी हैं Sourabh Kumar की जिंदगी

Sourabh Kumar

28 वर्षीय सौरभ कुमार (Sourabh Kumar) उत्तर प्रदेश, बागपत के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी वायुसेना की नौकरी छोड़ कर क्रिकेट में कदम रखा।  उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं रहा था। एक समय ऐसा था। जब सौरभ अपनी जिंदगी के उस मोड़ पर खड़े थे जहां उन्हें अपनी नौकरी और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था। जहां उन्होंने क्रिकेट को प्राथमिकता दी। वहीं घरेलू क्रिकेट और भारत ए टीम में शानदार प्रदर्शन कर भारत की मुख्य टीम में जगह बनाई हैं। उनका सिलेक्शन पहले श्रीलंकाई दौरे पर तो उसके बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में हुआ। हालांकि इस दौरान उन्हें अभी तक डेब्यू करने का मौका नहीं मिला हैं।

रोजाना तय करता था ये खिलाड़ी 7 घंटे का सफर

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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आने वाले इस खिलाड़ी को क्रिकेट की ट्रेंनिंग लेने के लिए रोजाना 7 घंटे का सफ़र करना होता था। सौरभ (Sourabh Kumar) ने अपने शुरूआती करियर में सुनीता शर्मा (Sunita Sharma) की कोचिंग में अभ्यास किया। सुनीता द्रोणाचार्य पुरस्कार द्वारा सम्मानित एकमात्र महिला क्रिकेटर है। इसके अलावा उन्हें अपने करियर को लेकर दुविधा का भी सामना करना पड़ा था, क्योंकि वह भारतीय वायु सेना में कार्यरत थे।

लेकिन उनका दिल लागतार खेल की ओर उन्हें प्रेरित किया करता था। जिसके बाद वह सब कुछ छोड़ कर अभ्यास में लग गए थे, आखिर कार अब सौरभ अपनी मेहनत का फल बखूबी हासिल कर रहे हैं।  क्रिकेट खेलने का जुनुन कहे या पागलपन इस खिलाड़ी ने इस खेल के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी हैं।

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