देशभर में इस समय कोरोना की दूसरी जगह खतरनाक तरीके से लोगों को अपना शिकार बना रही है. इस वायरस की वजह से काफी लोग स्वास्थ्य और कई मानसिक तनाव जैसी स्थिति से गुजर रहे हैं. खासकर स्टूडेंट्स, जिन पर अपने करियर को लेकर कई तरह के प्रेशर हैं. ऐसे में लोगों इन परिस्थितियों से उबरने के लिए क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने एक गुरूमंत्र देते हुए अपनी एक्सपीरियंस लोगों के साथ शेयर किया है.
ऑनलाइन सेशन के जरिए लोगों से रूबरू हुए पूर्व क्रिकेटर
बीते रविवार को सचिन एक ऑनलाइन शैक्षणिक कंपनी के ऑनलाइन सेशन में लोगों के साथ रूबरू हुए थे. उनका करियर 24 साल तनाव में रहते हुए गुजरा. लेकिन, बाद में वो इस बात को समझने में कामयाब रहे कि, मैच से पहले तनाव खेल की उनकी तैयारी का एक अहम हिस्सा था. इसके साथ ही उन्होंने बायो बबल (जैव-सुरक्षित माहौल) में ज्यादा वक्त बिताने से खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर के बारे में भी बात की.
इस दौर से उबरने के लिए उन्होंने खिलाड़ियों को यह सलाह दी कि वो इस बात को मान लें. इसी के साथ ही सचिन ने बातचीत के इस सेशन में हिस्सा ले रहे स्टूडेंट्स समेत देश के बाकी लोगों को भी इस मुश्किल दौर में तनाव से निपटने के कई गुर बताए. जो हर तरह के काम में लोगों की मदद करेगा. दरअसल सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ‘अनअकेडमी' की ओर से आयोजित एक परिचर्चा में बात करने लिए शामिल हुए थे. जिसके जरिए उन्होंने बहुत से ट्रिक बताए.
10-12 सालों तक मैनें तनाव झेला- पूर्व क्रिकेटर
उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा कि,
‘वक्त के साथ मैंने अनुभव किया है कि, खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी करने के साथ आपको खुद को मानसिक तौर पर भी तैयार करना होगा. मेरे दिमाग में मैदान में उतरने से बहुत पहले ही मैच शुरू हो जाता था. तनाव का स्तर बहुत ज्यादा रहता था. मैंने 10 से 12 सालों तक इस तनाव को महसूस किया था. मैच से पहले कई बार ऐसी चीजें हुई कि मैं रातभर सो नहीं पता था.
लेकिन, आखिर में मैनें इसे मान लिया कि यह मेरी तैयारी का एक हिस्सा है. मैंने वक्त के साथ इसे अपना लिया. क्योंकि मुझे रात में सोने में काफी तकलीफ होती थी. मैं अपने दिमाग को स्थिर रखने के लिए "कुछ और" करने लगता था.'
तनाव से उबरने के लिए मैनें बहुत से काम किए- तेंदुलकर
आगे इसी सिलसिले में बात करते हुए सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा कि,
‘कुछ और' में मैं बल्लेबाजी की प्रैक्टिस, टीवी देखना और वीडियो गेम्स खेलने के साथ ही सुबह चाय भी बनाता था. यहां तक कि, कपड़े इस्त्री करने जैसे काम भी मैं खुद करता था जिससे मुझे खेल के लिए तैयारी करने में मदद होती थी. यह बात मेरे भाई ने मुझे सिखाया था. इसलिए मैं मुकाबले से एक दिन पहले अपना बैग तैयार कर लेता था और यह एक आदत सी बन गई थी. मैंने भारत के लिए खेले अपने अंतिम मैच में भी ऐसा ही किया था.'
पूर्व क्रिकेटर यहीं नहीं रूके. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि,
'खिलाड़ियों को कई चुनौतियों और मुश्किल दौर का सामना करना पड़ता है. लेकिन, ये जरूरी है कि वह बुरे वक्त को स्वीकार करना सीखें. जब आप चोटिल होते है तो चिकित्सक या फिजियो आपका इलाज करते है. मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी यही होता है. किसी के लिए भी अच्छे-बुरे समय का सामना सामान्य बात है.'
एक कर्मचारी ने मुझे तनाव से उबरने में की मदद
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,
'मानसिक तनाव से निपटने के लिए आपको चीजों को मानना पड़ेगा. यह केवल खिलाड़ियों के लिए नहीं है बल्कि जो उसके साथ है उसे भी करना पड़ता है. जब आप इसे मान लेते हैं, तो इस मुश्किल चीज का समाधान ढूंढने का भी प्रयास करते हैं.'
इस दौरन उन्होंने चेन्नई के एक होटल कर्मचारी के बारे में बात करते हुए कहा कि,
‘मेरे कमरे में एक कर्मचारी डोसा लेकर आया और उसे टेबल पर रखने के बाद उसने मुझे एक सलाह दी. उसने बताया कि मेरे एल्बो गार्ड की वजह से मेरा बल्ला पूरी तरह से नहीं चल रहा, यह असलियत में सही बात थी. उसने मुझे इस समस्या से उबरने में मदद की. '