22 साल से Cricket खेल रहीं मिताली राज की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हर एक टीम को मात दी है। उनकी अगुआई में जब महिला टीम ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। अभी हाल ही में इस टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
जिसके बाद पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ब्रैड हॉग ने कहा था की आने वाले चार साल में यह टीम राज करेगी। इसी क्रम में आज पूर्व क्रिकेटर सबा करीम (Saba Karim) का मानना है कि भारतीय बोर्ड को टीम को आगे ले जाने में पेशेवर रवैया अपनाया जाना चाहिए। जिससे टीम को अधिक फायदा मिलेगा।
संयोजित रूप से प्रदर्शन कर रही है महिला Cricket Team
Indian Women Cricket Team दो बार फाइनल खेल चुकी है, लेकिन वो खिताब से अभी तक दूर ही है। इसके बाद भी टीम संयोजित और जुझारू रुप से आगे बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि भारत इसी महीने सात साल बाद खेले गए टेस्ट मैच में बेहतरीन प्रदर्शन कर सका। अब उसे सितंबर में एक और टेस्ट मैच खेलना है। यह मैच टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलेगी जो डे-नाइट प्रारुप में खेला जाएगा।
भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज और बीसीसीआई के क्रिकेट संचालन के महाप्रबंधक सबा करीम का मानना है कि भारतीय बोर्ड को Women Cricket को और ज्यादा बढ़ावा देना होगा। साथ ही इसे आगे ले जाने के लिए ज्यादा पेशेवर रवैया अपनाना चाहिए। उनका मानना है कि ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए जो पुरुष क्रिकेट से बिल्कुल अलग हो, तभी महिला क्रिकेट आगे जा सकेगा।
सबा करीम ने बनाई प्लानिंग
ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए सबा करीम ने कहा कि,
"यह अच्छी शुरुआत है लेकिन हमें एक मजबूत प्लान की जरुरत है। एक ऐसा प्लान जो चीजों को आगे ले जाए और हम तेजी से आगे बढ़ सकें। इनके लिए भी पेशेवर क्रिकेट से अलग कुछ नया करना चाहिए।"
करीम का कहना है कि मुझे लगता है कि आगे जाने का तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा पेशेवर रवैया अपनाया जाए और महिला क्रिकेट की ग्रोथ पुरुष क्रिकेट से अलग हो साथ ही प्लानिंग भी। करीम ने कहा है कि देश की युवा खिलाड़ियों को निचले स्तर से आगे लाने के लिए अभी तक हमारे पास कोई सही प्लान नहीं है।
महिला क्रिकेट के लिए बनाया जाए अलग कैलेंडर
सबा करीम का कहना है कि भारत में हमारे पास ज्यादा लड़कियां नहीं है जो क्रिकेट खेलती हैं। अभी तक यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि इस सिस्टम में आने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर एक लड़के के लिए दो किलोमीटर चलकर खेलने जाना या स्कूल जाना आसान काम है, लेकिन लड़की के लिए नहीं। तो हम इसका निवारण कैसे करेंगे? हम कैसे इसकी पहुंच को आगे बढ़ाएंगे?
उन्होंने कहा कि बीसीसीआई अंडर 19 और अंडर 23 क्रिकेट, दोनों का आयोजन कराती है। लेकिन, 40 से 45 फीसदी लड़कियां दोनों में खेलती हैं यहां क्रिकेट खेलने के लिए ज्यादा लड़कियां नहीं हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए और साथ अलग-अलग कैलेंडर भी बनाने होंगे ताकि टकराव ना हो। वहीं पुरुषों में बहुत से खिलाड़ी मौजूद हैं। इसीलिए महिलाओं के लिए बिकुल अलग ही प्लान बनाए जाने चाहिए।