Rishabh Pant कभी नहीं बन सकते हैं अच्छे कप्तान, ये 3 बातें दे रही हैं साफ गवाही

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Mohit Kumar
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भारतीय क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत (Rishabh Pant)  लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में अपनी बल्लेबाजी के अंदाज को लेकर आलोचकों के निशाने पर रहते हैं। लेकिन अब बतौर कप्तान भी उनके ऊपर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, आईपीएल में 2 सीजन दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी करने के अनुभव के साथ ऋषभ पंत को मौजूदा भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका सीरीज में दिग्गज खिलाड़ियों की मौजूदगी में कप्तानी का जिम्मा सौंपा गया था।

लेकिन वे अभी तक खुद को इस नई जिम्मेदारी के काबिल साबित नहीं कर पाए हैं। भारतीय टीम को ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की अगुवाई में घरेलू टी20 सीरीज में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगातार 2 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। फिलहाल टीम इंडिया इस सीरीज में 2-1 से पिछड़ी हुई। जिसका मुख्य जिम्मेदार ऋषभ पंत की कप्तानी को माना जा सकता है, आइए जानते ऋषभ पंत अच्छे कप्तान क्यों नहीं बन सकते हैं।

टॉस में किस्मत नहीं देती Rishabh Pant का साथ

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क्रिकेट के खेल में काबिलियत के साथ खिलाड़ी की किस्मत की भी अहम भूमिका रहती है। तमाम कौशल  और अच्छे फॉर्म में चल रहे खिलाड़ी को भी किस्मत के साथ की आवश्यकता होती है। अगर कप्तान किस्मत का धनी हो तो इसका फायदा पूरी टीम को मिल सकता है, वहीं अगर कप्तान इस मामले में संघर्ष करे तो टीम की मुसीबत बढ़ना लाजमी है।

ऋषभ पंत (Rishabh Pant) बतौर कप्तान टॉस जीतने में बेहद खराब रिकॉर्ड रखते है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वे अभी तक हुए 3 मैचों में एक भी बार टॉस जीतने में कामयाब नहीं हुए हैं। वहीं उनके टॉस हारने का सिलसिला आईपीएल 2022 से ही चलता आ रहा है। कई मुकाबलों में टॉस से ही मैच की रूप रेखा तैयार हो जाती है।

बल्लेबाजी में दिखता है कप्तानी का प्रेशर

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ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने साल 2016 में इंडियन प्रीमियर लीग में पदार्पण किया था। शुरुआती सालों में उन्होंने बेहद आक्रमक अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए अपनी छवि को आकार दिया था। लेकिन गुजरते सालों के साथ ऋषभ की विस्फोटक बल्लेबाजी करने की शैली बदलती चली गई और उनके स्ट्राइक रेट में भारी गिरावट दर्ज की गई।

साल 2021 में दिल्ली कैपिटल्स का कप्तान बनने के बाद ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने सिर्फ 128 के स्ट्राइकरेट से बल्लेबाजी की है। साथ ही कई बार महत्वपूर्ण स्थिति में उन्हें सस्ते में अपना विकेट गंवाते हुए भी देखा गया है। इससे कप्तानी का बोझ उनकी बल्लेबाजी में साफ झलकता है।

ऑन फील्ड फैसलों पर उठते हैं सवाल

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ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की कप्तानी की सबसे बड़ी खामी रहती है कि वे अपने गेंदबाजों का सही तरीके से इस्तेमाल करने में चूक जाते हैं। कई बार वे ऑन फील्ड कुछ ऐसे फैसले ले लेते हैं जो कि उनकी टीम के पक्ष में नहीं जाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आईपीएल 2021 का फाइनल है, जब चेन्नई के खिलाफ उन्होंने कगीसो रबाडा की जगह टॉम करन को गेंद थमा दी थी।

साथ ही आईपीएल 2022 के दौरान देखा गया कि ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने कई मैचों में इस सीजन में दिल्ली के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज कुलदीप यादव के कोटे के ओवर पूरे नहीं कराए। ठीक इसी प्रकार की गलती ऋषभ पंत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी दोहराई, जब युजवेन्द्र चहल सिर्फ 2 ओवर ही डाल पाए।

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