Richa Ghosh: महिला क्रिकेट टीम की 18 वर्षीय विकेटकीपर ऋचा घोष ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हुए चौथे वनडे मैच में सबसे तेज हाफ सेंचुरी बनाने का रिकॉर्ड कायम किया था। अपने इस विस्फोटक प्रदर्शन के दम पर उन्होंने अपने लिए वनडे वर्ल्डकप टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली है। ऋचा का वर्ल्ड कप तक का सफर उनके लिए और उनके परिवार के लिए काफी कठिनाइयों भरा रहा। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ऋचा के टीम इंडिया तक के सफर के बारे में बताएंगे जोकि खुद उनके पिता ने बताया है।
बच्चों को क्रिकेट खेलते देख Richa Ghosh में भी आया क्रिकेट का जोश
ऋचा घोष (Richa Ghosh) के पिता से जब पूछा गया कि ऋचा क्रिकेट की ओर कैसे आई तो उन्होंने कहा,
"मैं भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलता हूं। मैं अपने क्लब में अभ्यास के लिए जाता था, तो 4 साल की उम्र से ही ऋचा मेरे साथ जाती थी। वहां पर कई पेरंट्स अपने बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने के लिए लाते थे। ऋचा भी धीरे-धीरे उन बच्चों के साथ खेलने लगी। हालांकि, मैं चाहता था कि वह टेबल टेनिस खेले।"
आगे ऋचा के पिता ने कहा,
"चूंकि लड़कियों की क्रिकेट एकेडमी हमारे शहर में नहीं थी। इसलिए मैंने टेबल टेनिस एकेडमी में एडमिशन करवा दिया पर ऋचा का वहां मन नहीं लगा। फिर एक दिन मुझसे कहा कि मैं क्रिकेट ही खेलना चाहती हूं। कुछ दिन तक मैं उसे क्लब में लेकर गया, जब मुझे लगा कि यह क्रिकेट में ही कुछ करना चाहती है, तो मैंने कोलकाता में लेकर जाकर ट्रेनिंग करने का फैसला किया।"
Richa Ghosh के पिता को करना पड़ा अपना बिजनेस बंद
ऋचा घोष (Richa Ghosh) कोलकाता में भी लड़कियों और लड़कों के साथ ही ट्रेनिंग करती थी। जब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का कैंप लगता था, तब तो ऋचा अन्य लड़कियों के साथ कैंप में रहती थी। उस समय उनके पिता को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं होती थी, लेकिन कैंप नहीं होने पर वह ऋचा की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। इसलिए ऋचा के पिता अपना बिजनेस छोड़कर उनके साथ ही कोलकाता में रहने लगे। जबकि ऋचा की माँ और बड़ी बहन सिलिगुड़ी में रहती थीं।
कुछ सालों तक ऋचा के पिता को अपना बिजनेस बंद करना पड़ा। अब जब वह टीम इंडिया में सिलेक्ट हो चुकी हैं तो वह फिर से अपने बिजनेस पर ध्यान दे रहे हैं। जब उनके पिता कोलकाता में रहते थे, तो वह बंगाल के घरेलू टूर्नामेंट में पार्ट टाइम अंपायरिंग लिया करते थे।