Rajat Patidar: लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ ऐतिहासिक पारी खेल रजत पाटीदार ने सबके दिल में और क्रिकेट गलियारों में अपनी एक अलग जगह बना ली है। उन्होंने इस मैच में 112 रनों की नाबाद पारी खेली थी। लेकिन आपको बता दें कि, हर क्रिकेटर की तरह रजत का भी यहाँ तक का सफर बिल्कुल आसन नहीं था।
वह (Rajat Patidar) काँटों भरी राह पर चलकर इस मुकाम तक आए हैं। उनके क्रिकेट बनने में चेतेश्वर पुजारा का अहम योगदान रहा है। आइए जानते हैं कि क्या है रजत (Rajat Patidar) की क्रिकेट बनने की पूरी दास्तान और कैसे पुजारा ने इस स्टोरी में अहम किरदार का रोल निभाया....
8 महीनों तक क्रिकेट से दूर थे Rajat Patidar
इंदौर के रहने वाले रजत पाटीदार को आईपीएल 2022 मेगा ऑक्शन में कोई भी खरीददार नहीं मिल पाया था। RCB ने लवनीत सिसोदिया के रिप्लेसमेंट के रूप में 20 लाख रुपये में अपने कैम्प में शामिल किया था। बचपन में रजत का खेल देखकर दादाजी ने उन्हें अकादमी भेजने का फैसला किया।
रजत को क्रिकेट खेलने में इंटरेस्ट लेने लगे और उनके परिवार ने भी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले तेज गेंदबाज बनने का सपना, फिर स्पिन गेंदबाजी की ओर रुख किया और आखिर में बल्लेबाज बनकर सफलता की राह पकड़ी। शुरू से ही तेज गेंदबाज बनने का सपना देखने वाले रजत को 18 साल की उम्र तक एज ग्रुप क्रिकेट में मौका नहीं मिला।
बता दें कि रजत को फुटबॉल खेलने का भी शौक था। लेकिन फुटबॉल खेलते हुए साल 2014 में उनके दाएं घुटने में चोट लग गई। जिसके बाद उनके घुटनों की सर्जरी हुई। लिहाजा उन्हे आठ महीने तक दूर रहना पड़ा। फिर उनके घरवाले उन पर क्रिकेट छोड़ने और पढ़ाई पूरी करने का दबाव बनाने लगे। वे चाहते थे कि रजत फैमिली बिजनेस में हाथ बटाए।
पुजारा से इंसपायर होकर क्रिकेटर बने Rajat Patidar
ऐसे में उन्होंने चेतेश्वर पुजारा से प्रेरणा ली। दरअसल चेतेश्वर के दोनों घुटनों में सर्जरी हुई और उन्होंने इसके बाद भी वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी बड़ी पहचान बनाई। पुजारा का उदाहरण देकर रजत ने अपने परिवार को समझाया कि अगर पुजारा दोनों घुटनों में सर्जरी के बाद वापसी कर सकते हैं, तो वो क्यों नहीं।
यहीं से उनकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू हुआ। सर्जरी के लगभग 18 महीने बाद पाटीदार ने मध्य प्रदेश टीम के लिए बतौर टॉप ऑर्डर बल्लेबाज रणजी में डेब्यू किया। उन्होंने इस मैच की पहली पारी में 60 और दूसरी में 100 रन बनाए। इसके बाद से ही उनके लिए क्रिकेट के दरवाजे हमेशा के लिए खुल गए।