Rahul Tewatia: गुजरात टाइटंस के डेब्यू मैच में राहुल तेवतिया (Rahul Tewatia) टीम के लिए मैच विनर के रूप में उभरे। उन्हे फ्रेंचाइजी ने आईपीएल 2022 मेगा ऑक्शन में 9 करोड़ रुपये की बड़ी रकम देकर टीम में शामिल किया था। उन्होंने टीम के लिए बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया। राहुल तेवतिया को शुरू से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। उनका खेल प्रदर्शन तो सब जानते है उससे अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन उनके स्ट्रगल की स्टोरी बहुत ही कम लोग जानते हैं, तो चालिए आज हम अपको उनकी स्ट्रगल स्टोरी बताते हैं।
Rahul Tewatia के पिता चाहते थे उन्हे वकील बनाना
गुजरात टाइटंस को डेब्यू जीत दिलाने वाले सुपरस्टार बल्लेबाज राहुल तेवतिया के खेल को तो सब अच्छे से अब जान ही गए हैं। तो आइए अब जरा उनके स्ट्रगल के बारे में भी जान लें। दरअसल गुजरात टाइटंस के 9 करोड़ के बल्लेबाज राहुल तेवतिया के पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर वकील बने, लेकिन राहुल ने अपने पिता के सपने के खिलाफ जाकर क्रिकेट को अपना करियर बनाना ज्यादा सही समझा।
राहुल के पिता ने उनके सपने को पूरा करने में योगदान दिया और उन्हें क्रिकेट एकेडमी में भर्ती कराया। कुछ समय बाद राहुल पूर्व भारतीय क्रिकेटर विजय यादव की क्रिकेट अकादमी गए, जहां उनके खेल में काफी सुधार हुआ।
Rahul Tewatia के चाचा और कोच ने कही यह बात
राहुल तेवतिया (Rahul Tewatia) के चाचा कृष्ण पाल ने खुलासा किया कि राहुल प्लास्टिक के बल्ले से पहले क्रिकेट खेलते थे। फिर उनके दोस्त ने उन्हे सुझाव दिया कि हमें राहुल को क्रिकेट में लाना चाहिए। राहुल के चाचा ने कहा,
'राहुल जब बच्चा था और प्लास्टिक के बल्ले और गेंद से खेल रहा था, जब धर्मवीर के एक दोस्त मुकेश ने उसमें चिंगारी देखी। उसने सबसे पहले सुझाव दिया कि हमें राहुल को क्रिकेट में लाना चाहिए। दूसरा व्यक्ति जिसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वो भारत के पूर्व विकेटकीपर विजय यादव थे।'
पूर्व टेस्ट विकेटकीपर और राहुल तेवतिया के कोच विजय यादव ने बताया कि जब राहुल उनके पास गए तो वह पहले से ही लेग स्पिन गेंदबाजी कर रहा था और वह एक अच्छा बल्लेबाज भी था। पूर्व टेस्ट विकेटकीपर और राहुल तेवतिया के कोच विजय यादव ने कहा,
'जब वह मेरे पास आया तो वह पहले से ही लेग स्पिन गेंदबाजी कर रहा था और वह एक अच्छा बल्लेबाज भी था। सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैंने तुरंत देखी, वह थी उनकी उत्सुकता और खेलने की इच्छा; और वह एक सकारात्मक अर्थ में जिद्दी भी था। उसका शत-प्रतिशत सकारात्मक रवैया था जो अब भी है।'