अगले महीने सीनियर खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में शिखर धवन की कप्तानी में टीम इंडिया की बी टीम श्रीलंका में सीमित ओवरों का क्रिकेट खेलने वाली है। इस टीम का मुख्य कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को बनाया गया है। वही राहुल द्रविड़ जिनकी कोचिंग में कई खिलाड़ियों का करियर बना है। यही नहीं वो अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम के भी कोच रह चुके हैं।
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में मिली हार और श्रीलंका दौरे पर राहुल द्रविड़ के कोच बनने के बाद से ही यह मांग उठने लग कि उनको टीम इंडिया का भी मुख्य कोच बना दिया जाए। वैसे मौजूदा कोच रवि शास्त्री की कोचिंग में भी टीम इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन, आज हम आपको कुछ कारण बताने जा रहे हैं जिनके चलते राहुल द्रविड़, रवि शास्त्री से टीम इंडिया के बेहतर कोच साबित हो सकते हैं।
ये हैं Rahul Dravid को कोच बनाने के तीन मुख्य कारण
1. बतौर कोच शानदार रिकॉर्ड
अपने समय के दिग्गज बल्लेबाजों में शुमार द वाल राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) की कोचिंग के चर्चे पूरे देश में विख्यात हैं। राहुल द्रविड़ की कोचिंग में ही कई युवा खिलाड़ियों की एक पूरी फ़ौज ही खड़ी हो गई है। इन युवाओं में भविष्य के शानदार खिलाड़ी के साथ ही भारतीय क्रिकेट का भविष्य भी झलकता है। द्रविड़ ने अंडर-19 और इंडिया ए के लिए कोच के तौर पर शानदार काम किया है।
भारत की अंडर-19 टीम ने जब 2018 में विश्व कप जीता था तब राहुल ही टीम के कोच थे। पृथ्वी शॉ जैसे होनहार खिलाड़ी उनकी क्षत्रछाया में ही पनपे हैं। वर्तमान में आधे से ज्यादा युवाओं का क्रिकेट करियर बनाने में राहुल द्रविड़ का सबसे बड़ा हाथ है।
2. शास्त्री से ज्यादा Rahul Dravid हैं सभी को पसंद
राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को हमेशा से ही बहुत शांत स्वभाव के खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। उनको शायद की किसी ने कभी गुस्से में देखा हो। पहले एक खिलाड़ी और अब कोच, वो हर रोल में फिट बैठते हैं। जिस तरह से उनके साथी खिलाड़ी हमेशा खुश रहते थे उसी तरह वर्तमान युवा खिलाड़ी उनसे बहुत ही खुश रहते हैं।
यहां तक कि कई युवा खिलाड़ी अपने सुनहरे करियर का श्रेय राहुल द्रविड़ को ही देते हैं। उन्होंने सभी खिलाड़ियों की बल्लेबाजी और गेंदबाजी की तकनीक पर काफी ज्यादा काम किया है। इस कारण से खिलाड़ियों को उनसे सम्वाद में कोई दिक्कत नहीं होती है। वो बेहतर कोच साबित हो सकते हैं।
3. द्रविड़ के पास क्रिकेट का अनुभव ज्यादा
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 24 हजार से ज्यादा रन और 48 शतक अपने नाम कर चुके पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) के पास क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में खेलने के साथ ही विश्व कप के दबाव को भी बखूबी झेलने का अनुभव है। द्रविड़ ने 1996 से लेकर 2013 तक क्रिकेट खेला है। जबकि रवि शास्त्री ने 1992 में ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।
उस दौर के खेल व टीम इंडिया और इस दौर की टीम व खेल में बहुत ही ज्यादा परिवर्तन हो चुका है। राहुल द्रविड़ वाली भारतीय टीम ने विश्व क्रिकेट के सामने खुद को अलग ही तरह से प्रस्तुत किया था। ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड जैसी ताकतवर टीमों को उनके घर में ही घुसकर हराना सीख लिया था। उनके और रवि शास्त्री की सोच में जमीन-आसमान का फर्क है।