'औकात नहीं है तो दुकान पर क्यों चले आये...', Kartikeya Singh की भावुक कर देने वाली भावुक स्टोरी
Published - 02 May 2022, 10:16 AM

Kartikeya Singh: राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ हुए मैच में कुमार कार्तिकेय ने मुंबई इंडियंस की तरफ से आईपीएल डेब्यू किया था। उन्होंने अपने डेब्यू मैच में अपने खेल से सबको प्रभावित किया है। उन्होंने राजस्थान के खिलाफ 19 रन देकर एक विकेट झटका। लेकिन कार्तिकेय के किए आईपीएल तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। कार्तिकेय (Kartikeya Singh) के हेड कांस्टेबल पिता श्यामनाथ सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान कार्तिकेय (Kartikeya Singh) की स्ट्रगल स्टोरी बताई। तो आइए जानते हैं कुमार कार्तिकेय (Kartikeya Singh) के आईपीएल तक के सफर की स्टोरी....
पिता को देख Kartikeya Singh को हुई स्पोर्ट्स में जाने की इच्छा
मुंबई इंडियंस ने आईपीएल 2022 मेगा ऑक्शन में कार्तिकेय को 20 लाख रुपये की रकम देकर अपने खेमे में शामिल किया था। कार्तिकेय के पिता ने बताया कि कुमार कार्तिकेय को अपने पिता को देखकर स्पोर्ट्स में जाने की इच्छा होती थी। साथ ही उन्होंने ये बी बताया कि उनके रिश्तेदारों का मानना था कि उन्होंने अपने बेटे की जिंदगी खराब कर दी है। श्यामनाथ सिंह ने बताया,
"कप्तान साहब, सीओ साहब और सभी स्टाफ ने मुझे बधाई दी है। मैंने यूपी पुलिस में खेला है और शूटिंग में इण्डिया पार्टिसिपेट किया है। मुझे देखकर बेटे की भी स्पोर्ट्स में जाने की इच्छा होती थी। वह पढ़ने में भी काफी अच्छा था। जब देखा कि वह खेल में अच्छा है तो मैंने उसे खेल पर ही फोकस करने को कहा। मेरे रिश्तेदारों ने मुझसे कहा कि मैंने उसका भविष्य बर्बाद कर दिया। वह लंबा चौड़ा था। उसे पुलिस में भर्ती करा देते लेकिन मैंने उसे जो लक्ष्य दिया था, उससे वह पीछे नहीं हटा।"
पूरी क्रिकेट किट न लेने पाने पर होना पड़ा था बेइज्जत
कुमार कार्तिकेय के पिता ने बताया कि कुमार ने वह पूरी क्रिकेट किट नहीं ले पाए थे, जिसके बाद उन्हे दुकानदार ने कहा कि जब औकात नहीं है तो दुकान में क्यों चले आते हैं। श्यामनाथ ने बताया,
"उसकी सभी जरूरतें पूरी नहीं कर पाता था। एकाध बार बेटे के मुंह से निकला कि लग रहा है कि अब खेल नहीं पाएंगे। इस पर मैंने कहा कि जब मैं हार नहीं मान रहा हूं तो तुम कैसे हार मान सकते हो। श्यामनाथ अपना अनुभव बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वे अपने दोनों बेटों के लिए किट खरीदने दुकान गए थे। दोनों के खरीदने लायक पैसा नहीं था।"
"सोंचा एक ही किट खरीद लें। सामान बहुत महंगे होते हैं। मैंने सामान निकलवाया और पैसे कम होने के कारण उसमें से कुछ सामान कम करवाएं। इस पर दुकानदार ने कहा की औकात नहीं है तो क्यों चले आये हो दुकान पर। मुझे बहुत फील हुआ लेकिन हम उस लायक नहीं थे और कुछ कह भी नहीं सकते थे। जो ले पाए, वो लिए। "
ऑथर के बारे में

मानवी नौटियाल एक उत्साही और अनुभवी स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं, जिन्हें खेलों की दुनिया से गहरा लगाव है।... रीड मोर