भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) की पीठ की इंजरी के चलते हुए सुर्खियों में बने हुए हैं. टीम इंडिया को अगले महीने ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाले टी20 विश्व कप से पहले बड़ा झटका लग गया है. क्योंकि बुमराह स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress Fracture) के चलते मैदान से लगभग 6 महीने के लिए दूर हो गए हैं. हालांकि बीसीसीआई की तरफ से इस बात की अभी तक कोई पुष्ठी नहीं की गई है कि बुमराह को इस इंजरी के चलते कब तक मैदान से बाहर रहना पड़ेगा.
ऐसे में फैंस के मन में सवाल चल रहा होगा कि स्ट्रेस फ्रैक्चर क्या है और यह कितनी गंभीर इंजरी होती है? इस इंजरी से उबरे में किसी भी खिलाड़ी दोबारा मैदान में वापसी करने में कितना समय लग सकता है? चलिए हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं कि बुमराह स्ट्रेस फ्रैक्चर से कितने समय के बाद मैदान में दोबारा खेलते हुए नजर आ सकते हैं.
आखिरकार ये स्ट्रेस फ्रैक्चर क्या है?
क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों को तरह-तरह की इंजरियों का सामना करना पड़ता है. हाल ही में ततेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) स्ट्रेस फ्रैक्चर के चलते टी20 विश्व कप से बाहर हो गए हैं. स्ट्रेस फ्रैक्चर को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के भ्रम फैलाए जा रहे हैं. बात दें कि वेब एमडी की रिपोर्ट इस इंजरी के बारे में खुलासा करते हुए कहा गया कि स्ट्रेस फ्रैक्चर सबसे कॉमन स्पोर्ट्स इंजरी है.
कई बार खिलाड़ियों में खेल-कूद के दौरान कई बार हड्डियों में मामूली फ्रैक्चर हो जाता है. हड्डियों में यह दरार रनिंग या रिपिटेटिव स्ट्रेस की वजह से होता है. यह परेशानी काफी दर्दनाक होती है और इसे सही होने में लंबा वक्त लग जाता है. इस परेशानी की चपेट में सबसे ज्यादा एथलीट आते हैं. अगर इलाज न कराया जाए तो ये समस्या काफी गंभीर हो सकती है और सर्जरी की नौबत भी आ सकती है. हालांकि कई केसिस में बिना सर्जरी के भी इस इंजरी पर काबू पा लिया जाता है.
जानिए Stress Fractures के लक्षण
किसी बड़ी बिमारी से पहले इंसान शरीर उसको इंडीकेट करता हैं कि वो किसी ना किसी बिमारी से ग्रसित होने वाला है. स्ट्रेस फ्रैक्चर Stress Fractures के केसों में भी देखने को मिलता है. स्ट्रेस फैक्चर होने पर शरीर के उस हिस्से में रनिंग, वॉक, एक्सरसाइज करने पर तेज दर्द महसूस होता है.
इतना ही नहीं कुछ देर खड़े होने पर भी दर्द होने लगता है. कई बार फ्रैक्चर वाली जगह के आसपास सूजन भी हो जाती है. जिसके लिए डॉक्टर मरीज की बिमारी पर पकड़ करने के लिए एमआरआई या न्यूक्लियर बोन स्कैन का सहारा लेते हैं. जिनकी की मदद से Stress Fractures का पता लगाया जाता है.