भारतीय टीम के स्पिनर गेंदबाज हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने 14 साल पहले क्रिकेट मैदान पर घटी एक घटना पर चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा रिएक्शन दिया है. क्रिकेट मैदान पर कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती है. जिसके बारे में खुद खिलाड़ी को मालूम नहीं होता कि बाद में इसका इंपैक्ट क्या होगा? हरभजन सिंह और श्रीसंत का मामला किसी से छिपा नहीं है. हरभजन ने साल 2008 में आईपीएल के दौरान पंजाब के तेज गेंदबाज श्रीसंत को थप्पड़ मार दिया था. जिस पर एक बार फिर दोनों खिलाड़ियों ने लाइव प्रोग्राम के दौरान अपना-अपना पक्ष रखा.
Harbhajan Singh ने मानी अपनी गलती
If I have to correct one mistake, it was how I treated Sree on the field after that IPL match - Bhajji on slapping Sree in 2008 after the Mumbai vs Punjab match at Mohali. #BhajjiBoleSorrySree at @glance Live Fest pic.twitter.com/VMz8Y20ZmV
— Nikhil 🏏 (@CricCrazyNIKS) June 4, 2022
हरभजन सिंह और श्रीसंत अच्छे दोस्त हैं. इन दोनों खिलाड़ियों ने साल 2007 में टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्डकप में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन, अगले ही साल आईपीएल के पहले सीजन में ये दोनों दो दोस्त दुश्मन बन जाते हैं. आखिरकार ऐसा क्या हुआ था जो हरभजन ने श्रीसंत को थप्पड़ जड़ दिया था.
खैर इस कांड को लेकर तरह-तरह की बातें गढ़ी गई. मगर गनीमत की बात यह कि हरभजन सिंह ने एक लाइव फेस्ट के दौरान बातचीत करते हुए इस मुद्दे पर माफी मांगी है. हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) चर्चा के दौरान कहा,
'आईपीएल के उस मैच में जो कुछ हुआ वह पूरी तरह से गलत था. मुझसे गलती हुई. मेरी वजह से मेरे साथी खिलाड़ियों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. मैं भी काफी शर्मिंदा हुआ.'
'मुझे मौका मिलता तो, मैं अपनी गलती जरूर सुधारता'
भारतीय टीम के स्पिनर गेंदबाज हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) को उनकी छोटी-छोटी बातें ही बड़ा बनाती हैं. हरभजन सिंह एक मस्तमौला खिलाड़ी हैं. वह मैदान पर अपने साथी खिलाड़ियों के साथ हंसी-मजाक करते हुए नजर आते हैं. लेकिन, कई बार वह आक्रामक रवैया भी अपना लेते हैं. खैर, यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि खिलाड़ियों को मैदान पर ऐसा करते हुए अकसर देखा जाता है. वहीं थप्पड़ कांड पर हरभजन सिंह ने चर्चा के दौरान कहा,
'अगर मुझे मैदान पर की गई गलती सुधारने का मौका मिलता तो, मैं श्रींसत के साथ किए गए व्यवहार को सुधारना जरूर चाहता. जब भी मैं इस कांड़ के बारे में सोचता हूं. मुझे यही लगता है कि जो भी कुछ उस समय किया उसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी.'