भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने संन्यास लेने के बाद अपने करियर के आखिरी पड़ाव को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. इसके साथ ही उन्होंने एमएस धोनी को लेकर भी बड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने यह भी खुलासा किया है कि कैसे अच्छी गति के बावजूद बीसीसीआई ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और उनके राष्ट्रीय करियर पर ब्रेक लग गया. हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) इस खुलासे ने एक बार फिर से बोर्ड को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
एसएस धोनी हैं उनके अच्छे दोस्त
टीम इंडिया के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक रहे भज्जी ने बताया कि कैसे एमएस धोनी को बाकी खिलाड़ियों के विपरीत बोर्ड से काफी ज्यादा सपोर्ट मिला और कैसे अब उनके करियर पर कई खलनायकों की बायोपिक बनने की संभावना है. यूं तो एक समय भी आया था जब उनके और धोनी के संबंधों के बारे में कई अफवाह भरी खबरों ने जन्म लिया. लेकिन, इन सभी मसलों को न्यूज 18 से हुई बातचीत में उन्होंने सिरे से नकार दिया.
इसके साथ ही हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने यह भी दावा किया कि एमएस धोनी (MS Dhoni) उनके सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. जिसके साथ उन्होंने साल 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 एकदिवसीय विश्व कप जीता था. इसके आगे जब धोनी पर उनकी हालिया टिप्पणियों के बारे में सवाल किया गया तो भज्जी कहा कि यह उनके हाथ में नहीं है कि दूसरे उनके बारे में क्या कहते हैं. लेकिन, साल 2012 के बाद चीजें सिर्फ उन्हीं के लिए नहीं बल्कि उस युग के सभी स्टार खिलाड़ियों के लिए कैसे बदलीं पता ही नहीं चला.
एमएस धोनी से नहीं कोई शिकायत, चयनकर्ताओं पर भज्जी ने किए सवालों के बौछार
इस बारे में बात करते हुए पूर्व क्रिकेटर ने कहा,
"देखिए हर कोई अपने-अपने तरीके से चीजों को सोचता है और उसी के हिसाब से चलता है. मैं सिर्फ यह बताना चाहता था कि साल 2012 के बाद बहुत सी चीजें बेहतर हो सकती थीं. वीरेंद्र सहवाग, मैं, युवराज सिंह, गौतम गंभीर भारतीय टीम के लिए खेलकर संन्यास ले सकते थे. क्योंकि ये सभी आईपीएल में भी एक्टिव थे. लेकिन, यह विडंबना ही है कि साल 2011 की चैंपियंस टीम एक साथ फिर कभी नहीं खेली! क्यों? उनमें से कुछ ही खिलाड़ी साल 2015 में आयोजित हुए विश्व कप में खेले.. क्यों?"
41 साल के हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) का ये भी कहना है कि भले ही उन्हें धोनी से कोई शिकायत नहीं है. लेकिन, उनके पास बीसीसीआई और उस समय के चयनकर्ताओं के लिए काफी सारे सवाल हैं. इस बारे में बात करते हुए भज्जी ने कहा,
"नहीं, किसी भी हालत में नहीं. मेरी एमएस के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. वाकई में वो दोनों इतने सालों से एक अच्छे दोस्त रहे हैं. मुझे उस समय की सरकार (BCCI) से शिकायत है. मैं बीसीसीआई को सरकार कहता हूं! उस समय के चयनकर्ताओं ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं किया. उन्होंने टीम को एकजुट नहीं होने दिया."
नए लोगों को टीम में लाने का क्या मतलब था- भज्जी
अंत में हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने इस सिलसिले में बात करते हुए कहा,
"नए लोगों को टीम में लाने का क्या मतलब था. जब महान क्रिकेटर्स शानदार लय में थे और अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. मैंने एक बार इस पर चयनकर्ताओं का सामना किया था. उस दौरान उनका जवाब ये था कि यह उनके हाथ में नहीं था और फिर मैंने पूछा कि वे चयनकर्ता ही क्यों हैं?"
दरअसल कई बार भज्जी के बयानों से ये बात स्पष्ट हुई है कि उनके साथ और उनके करियर के साथ न्याय नहीं हुआ है. कई सालों से वो टीम इंडिया से बाहर चल रहे थे. यही कारण था कि हाल ही में उन्होंने क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था.
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