टीम इंडिया के पूर्व कोच रहे ग्रेग चैपल (Greg chappell) को पूरा क्रिकेट जगत और फैंस जानते हैं. उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसे विवाद हुए, जो आज भी सुर्खियों का हिस्सा बने रहते हैं. खासकर सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की कप्तानी में दोनों के बीच काफी तनातनी देखने को मिली. लेकिन, इसी बीच भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना (Suresh Raina) ने पूर्व इंग्लिश खिलाड़ी के कार्यकाल की जमकर तारीफ की है.
रैना ने पूर्व इंग्लिश कोच के बारे में कही बड़ी बात
साल 2007 के दौरान हुए वर्ल्ड कप के बाद सचिन समेत कई दिग्गज खिलाड़ियों पर ग्रेग चैपल (Greg chappell) ने कमेंट किया था. इस पर सचिन तेंदुलकर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद से उन्हें विदा कर दिया गया था. ये विवाद अभी तक खिलाड़ियों के दिल में जिंदा हैं. यहां तक कि फैंस भी इसे भुला नहीं सके हैं.
लेकिन, सुरेश रैना ने उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े हैं. दरअसल रैना ने हाल ही में लॉन्च होने वाली अपनी किताब (BELIVE-what life and cricket taught me) में पूर्व कोच से संबंधित कई बातों का जिक्र किया है. बहुत लोगों की विचारधारा के विपरीत जाकर सुरेश रैना (Suresh Raina) ने ये बात मानी है कि, भारतीय क्रिकेट को आगे लेकर जाने के अपने इरादे में वो गलत नहीं थे.
कोचिंग कार्यकाल में कभी गलत नहीं थे इंग्लिश कोच
इसी सिलसिले में उन्होंने आगे लिखा है कि,
'ग्रेग चैपल (Greg chappell) सीनियर खिलाड़ियों को और बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते थे. उनके पास प्रत्येक खिलाड़ियों से भी अलग समीकरण थे. संभवत: हमारे जैसे युवा खिलाड़ियों के मुकाबले उन्हें और बेहतर तरीके से नियंत्रित करना चाहिए था'.
पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने ये भी कहा है कि,
'चैपल कभी भी गलत नहीं थे क्योंकि उन्होंने हमेशा टीम को और अच्छा बनाने के लिए काफी ज्यादा मेहनत की और किसी भी एक खिलाड़ी का सपोर्ट नहीं किया. टीम को जब शिकस्त मिलती थी तब वो बहुत ज्यादा रूड हो जाते थे. लेकिन, उनकी आलोचना का बड़ा हिस्सा सीनियर खिलाड़ियों के लिए होता था'.
अंग्रेजी कोच के समय ड्रेसिंग रूम का माहौल बेहद तनावपूर्ण होता था
आगे ग्रेग चैपल (Greg chappell) के बारे में उन्होंने कहा कि,
"मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि, उन्हें दादा (सौरव) और सचिन के प्रति अच्छा सम्मान दिखाना चाहिए था. इसके अलावा ड्रेसिंग रूम के वक्त को याद करते हुए उन्होंने अपनी इस किताब में ये बात भी लिखी कि, इंग्लिश कोच के कार्यकाल के दौरान यहां का माहौल काफी ज्यादा तनावपूर्ण था. और हर समय सभी खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ घुल-मिल या सहज नहीं हो पाते थे".