हेडकोच बनते ही ठंडे हुए गौतम गंभीर के तेवर, खुद भूल गए अपनी कही बात, कर डाली ये शर्मनाक हरकत
By Mohit Kumar
Published - 14 Jul 2024, 08:01 AM

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अपने उसूल और मुखरता के लिए पहचाने जाने वाले गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के तेवर हेडकोच बनते ही बदलते हुए नजर आ रहे हैं। पहले तो उनकी नियुक्ति ने ही सभी को हैरान कर दिया था, उम्मीद नहीं थी कि पूर्व ओपनर इतनी जल्दी उसी ड्रेसिंग रूम में कोच बनकर आएंगे।
जिसमें रोहित शर्मा और विराट कोहली है, जिनके साथ उन्होंने बतौर खिलाड़ी भी खेला है। ये तो कम ही था, गंभीर सिर्फ हेडकोच बने ही है और विवाद शुरू हो चुके हैं। इसी बीच उन्होंने अपनी ही कही हुई बात को गलत साबित कर दिखाया है। जिसके बाद गंभीर एक बार फिर निशाने पर आ चुके हैं।
Gautam Gambhir अपनी कही बात से पलटे
- साल 2007 और 2011, इन 2 वर्षों में जब भी भारत के विश्व विजेता बनने की गाथा का वर्णन किया जाएगा तो गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) का नाम अलग ही जोश से लिया जाएगा।
- उन्होंने दोनों फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाए, अपनी कप्तानी में 2 आईपीएल जीता और अब मेंटोर रहते हुए 10 साल बाद कोलकाता नाइट राइडर्स को आईपीएल का खिताब भी जितवाया।
- जिसके चलते क्रिकेट जगत में उनकी बातों का वजन भी ज्यादा है। कई मौकों पर गंभीर की कही हुई बातों की मिसाल दी जाती है। लेकिन गंभीर (Gautam Gambhir) खुद शायद अपनी कही हुई बातों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
इस मामले पर छिड़ा विवाद
- दरअसल, भारत के अगले गेंदबाजी कोच को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है।
- बोर्ड और गंभीर 1 रास्ते पर नहीं आ पा रहे हैं। पूर्व ओपनर चाहते थे कि विनय कुमार को ये भूमिका सौंप दी जाए।
- बात नहीं बन सकी तो उन्होंने अपने पुराने साथी मोर्ने मोर्कल का भी नाम सामने रख दिया। जिस पर अभी तक बोर्ड की ओर से चुप्पी साधी गई है।
- क्योंकि आलाकमान ने लक्ष्मीपति बालाजी और जहीर खान से खबरों के अनुसार बात कर रखी है दोनों में 1 का बनना तय है।
- विवाद बोर्ड और गंभीर (Gautam Gambhir) का तो है ही साथ ही हेडकोच के पुराने बयान को लेकर है जो उन्होंने विदेशी कोच को लेकर दिया था।
पहले की थी जमकर आलोचना
- गौतम गंभीर के विदेशी कोच की डिमांड पर उनका ही पुराना बयान वायरल हो रहा है।
- जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी विदेशी कोच भारतीय क्रिकेट का भला नहीं कर सकता वो सिर्फ पैसे के लिए आते हैं।
- अब वे खुद कभी जॉन्टी रोड्स , कभी रियान टेन डसचेट तो कभी मोर्ने मोर्कल की पैरवी करते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या गंभीर का डंकन फ्लेचर और जॉन राइट का अपमान करना सही था या नहीं?
- जिनको भारत की साधारण प्रदर्शन के बाद गंभीर ने खरी खोटी सुनाई थी।
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