पूर्व भारतीय दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से अपने संन्यास की घोषणा कर दी. धोनी का उदय एक ऐसे युवा कप्तान के तौर पर हुआ जो अक्सर अपने फैसलों से सभी को चौंका देते थे. उनके करियर की कई ऐसी कहानियां हैं जो आज भी लोगों को आश्चर्यचकित कर देती हैं. क्रिकेट की दुनिया में रिकी पॉन्टिंग, स्टीव वॉ, कपिल देव, इमरान खान जैसे महान कप्तान आए हैं, लेकिन एमएस धोनी इन सभी में बेहद ही खास हैं.
Dhoni दुनिया के इकलौते कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के सभी खिताब अपने नाम किये हैं. उन्होंने क्रिकेट मैदान पर कई बार ऐसे फैसले लिए जिसने भारत के लिए जीत की इबारत लिखी. ऐसा ही कुछ फैसला उन्होंने अपने टेस्ट रिटायरमेंट के समय भी लिया था और फिर सभी प्रारूपों से उन्होंने अचानक ही संन्यास का ऐलान कर दिया. कई लोगों का मानना रहा कि, धोनी ने सही किया. लेकिन, आज के इस विशेष लेख में हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे कि आखिर क्यों धोनी को अभी संन्यास का ऐलान नहीं करना चाहिए था.
ये चार कारण हैं Dhoni के संन्यास ना लेने के
1. भारतीय टीम को खलेगी फिनिशर की कमी
महेंद्र सिंह धोनी के अन्दर जो अंत के ओवरों में गेंद को सीमारेखा के बाहर पहुंचाने की काबिलियत है वो बहुत ही कम क्रिकेटरों के पास होती है. पहले के समय में गेंदबाजों के पास यॉर्कर के तौर पर ऐसा हथियार था, जिसका तोड़ किसी भी बल्लेबाज के पास नहीं था. लेकिन माही ने अपने बाहुबल के दम पर यॉर्कर गेंद का रामबाण खोज निकाला.
इस शॉट को दिग्गज तथा कमेंटेटर Dhoni का ईजाद किया हुआ हेलिकॉप्टर शॉट कहते हैं. इसी कारण अंत तक खड़े रहकर माही अपने बाहुबल से गेंदबाजों के लिए एक बुरे सपने की तरह बन जाते हैं. शायद इसी कारण वेस्टइंडीज के इयान बिसप ने कहा था कि, यदि अंत के ओवर में 15 रन चाहिए तो दबाव गेंदबाज पर होगा धोनी पर नहीं. अब यदि आगामी टी20 विश्वकप को देखें तो धोनी फिनिशर के तौर पर टीम के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते थे.
2. डीआरएस के समय आएगी धोनी की याद
विकेट के पीछे Dhoni की ताकत सिर्फ कैच, स्टंपिंग या रनआउट करने तक सीमित नहीं थी. वो डीआरएस लेने में भी माहिर हैं. इसी कारण कमेंटेटर आकाश चोपड़ा डीआरएस को धोनी रिव्यू सिस्टम कहते थे और उन्होंने कई बार अपनी कमेंट्री के दौरान यह भी कहा था कि डीआरएस का नाम बदलकर ‘धोनी रिव्यु सिस्टम’ रख देना चाहिए.
माही की इन्हीं खासियत के कारण आने वाले समय में धोनी भारतीय टीम के लिए कारगर सिद्ध हो सकते थे. डीआरएस खेल का एक ऐसा पहलू है, जिसके सटीक तरह के उपयोग से मैच का पासा भी पलट सकता है. ऐसे में आने वाले समय में जब भी भारतीय टीम को डीआरएस की जरूत पड़ेगी. तब-तब माही भाई की याद आना लाजमी है. इसी कारण धोनी को अभी संन्यास का ऐलान नहीं करना चाहिए था.
3. गेंदबाजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थे माही
गेंदबाजों के लिए पिच पर माही की उपस्थिति किसी वरदान से कम नहीं होती थी. जब भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाज पर हावी होते थे तब Dhoni पिच पर लगातार गेंदबाजों को सलाह देते रहते थे. वह बल्लेबाज के दिमाग को पढ़कर उसके मुताबिक गेंदबाजी करने का निर्देश देते थे. धोनी ने कई युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन किया है.
धोनी की मेंटरिंग की बात करते ही जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल समेत कई नाम दिमाग में आ जाते हैं. पिछले कुछ समय में धोनी ने दीपक चाहर और शार्दुल ठाकुर जैसे नए गेंदबाजों से भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराया है. एमएस धोनी की यह खूबी गेंदबाजों के साथ-साथ टीम इंडिया के लिए भी हर बार फलदायी साबित हुई है. आगामी विश्वकप में गेंदबाजों तथा टीम इंडिया दोनों को माही की याद जरूर आएगी.
4. दबाव में खेलने की अद्भुद क्षमता
पूरी दुनिया जानती है कि Dhoni के अन्दर दबाव को सोखने की अद्भुद क्षमता है. टीम इंडिया के साथ-साथ विपक्षी टीमें भी मानते कि एमएस धोनी विश्व के बेस्ट फिनिशर्स में से एक हैं. वह अपना दिन होने पर विरोधी खेमे की धज्जियां उड़ाना जानते हैं. आईपीएल 2018 तथा 2019 में धोनी का पुराना अंदाज देखने को मिला था.
भारतीय टीम के पास इस समय ऐसे कम ही बल्लेबाज हैं जो दबाव में अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखा पाएं. ऐसे में आगामी विश्वकप में धोनी को खेलना चाहिए था. धोनी ने दर्शाया है कि उनमें अभी काफी दमखम है और वह कभी भी बड़े शॉट्स खेलकर बाजी पलट सकते हैं. धोनी में तेज व रक्षात्मक बल्लेबाजी करने की दोहरी कला है.