ऑस्ट्रेलिया ने 5 जनवरी को सिडनी टेस्ट छह विकेट से जीतकर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 (Border Gavaskar Trophy 20244-25) 3-1 से अपने नाम कर ली है। पर्थ टेस्ट गंवाने के बाद कंगारू टीम ने धमाकेदार वापसी की और टीम इंडिया (Team India) को मुंह तोड़ जवाब दिया। इसी के साथ भारत के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2025 खेलने कासपना भी टूट गया है। भारतीय प्रशंसक जहां टीम की हार के गम से जूझ रहे हैं, वहीं अब एक सीनियर खिलाड़ी ने संन्यास की घोषणा कर टीम (Team India) को बड़ा झटका दे दिया है।
टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ी ने किया संन्यास का ऐलान
रविवार को बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 का अंत ऑस्ट्रेलिया की धमाकेदार जीत के साथ हुआ। एडिलेड और मेलबर्न के बाद भारतीय खिलाड़ियों को सिडनी में भी हार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते कंगारू टीम ने सीरीज 3-1 से अपने नाम दर्ज कर ली। वहीं, अब टीम इंडिया (Team India) को एक और तगड़ा झटका लगा है। 34 वर्षीय ऑलराउंडर ऋषि धवन ने व्हाइट बॉल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है। एमएस धोनी की कप्तानी में डेब्यू करने वाले इस खिलाड़ी का क्रिकेट करियर कुछ खास लंबा नहीं रहा है।
पोस्ट जारी कर किया संन्यास का ऐलान
रविवार यानी 5 जनवरी को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट जारी कर ऋषि धवन ने अपने रिटायरमेंट की जानकारी फैंस को दी। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट शेयर कर उन्होंने लिखा कि,
“भारी मन से लेकिन बिना किसी पछतावे के मैं भारतीय क्रिकेट (सीमित ओवर) से अपने संन्यास की घोषणा करता हूं। यह एक ऐसा खेल है जिसने पिछले 20 सालों से मेरी जिंदगी को परिभाषित किया है। इस खेल ने मुझे अपार खुशी और अनगिनत यादें दी हैं, जो हमेशा मेरे दिल के बहुत करीब रहेंगी। मैं इस अवसर पर BCCI, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन, पंजाब किंग्स, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइट राइडर्स द्वारा मुझे दिए गए मौकों के लिए आभार व्यक्त करना चाहता हूं। साधारण शुरुआत से लेकर अपने देश का सबसे बड़े मंचों पर प्रतिनिधित्व करने तक, यह मेरे लिए एक असाधारण सम्मान रहा है।”
भारत के लिए खेले हैं 4 मैच
साल 2016 में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज करने वाले ऋषि धवन ने भारतीय टीम (Team India) के लिए सिर्फ चार मैच खेले हैं। एकदिवसीय क्रिकेट के तीन मैच खेलते हुए उनके नाम 12 रन और एक विकेट दर्ज हैं। जबकि एक टी20 इंटरनेशनल मैच में वह एक रन बनाने के साथ-साथ एक ही विकेट ले पाए। लगातार इस फ्लॉप प्रदर्शन के चलते भारतीय चयनकर्ताओं ने उन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। वहीं, अब उन्होंने सफेद गेंद वाले क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया है।
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