अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप 2023 के फाइनल में रविवार (29 जनवरी 2023) को इंग्लैंड (England) को भारतीय टीम (Team India) ने हारकर नया इतिहास रच दिया। भारत की बेटियों ने इंग्लैंड की टीम को 68 रन पर ऑल आउट कर दिया। भारत ने इस मैच में 3 विकेट खोकर लक्ष्य को हासिल कर लिया। इस शानदार जीत की नींव गेंदबाज अर्चना देवी (Archana Devi) ने रखी थी, जब अर्चना ने ग्रेस स्क्रिवेंस और नियाह हॉलैंड को आउट कर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई।
माँ के संघर्षों ने दिलाई सफलता
आज भले ही अर्चना देवी को एक अलग ही पहचान मिल चुकी है, लेकिन इसके पीछे माँ के संघर्षों की कई कहानियाँ भी छिपी हुई हैं। अर्चना देवी (Archana Devi) की माँ का नाम सावित्री देवी (Savitri devi) है और उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले केरतई पुरवा गांव में रहता है। माँ के अलावा परिवार में अर्चना का एक भाई भी हैं। साल 2008 में कैंसर के कारण इनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
पिता के बाद माँ सावित्री देवी ने ही अपने तीनों बच्चों का पालन-पोषण किया। अर्चना के एक भाई की मृत्यु साल 2017 में सांप के काटने से हो गई थी। इतना ही नहीं जब सावित्री देवी ने बेटी को एक क्रिकेटर बनाने का निर्णय लिया तब उनके रिश्तेदारों ने भी खूब ताने मारे, उनका कहना था कि सावित्री अपनी बेटी को गलत रास्ते पर धकेल रही है। इसके बावजूद भी सावित्री अडिग रहीं और बेटी को क्रिकेटर बनाने में हर संभव प्रयास किया।
गाँव वाले कहते थे डायन
सावित्री देवी को उसके बेटे और पति की मौत का जिम्मेदार मानते हुए उन्हें गाँव वाले डायन कहते थे। लोगों का यहाँ तक मानना था कि उनका घर एक डायन का घर है। इस बात कि पुष्टि करते हुए सावित्री के बेटे और अर्चना के भाई ने कहा, “मेरी मां को गांव वाले डायन बताते थे। वो लोग कहते थे पहले अपने पति को खा गयी, फिर अपने ही एक बेटे को, इनको देख ले तो लोग रास्ता बदल लेते थे, हमारी घर को भी गाँव में डायन का घर कहा जाता था।”
भाई की अंतिम इच्छा
गौरतलब है कि अर्चना के बड़े भाई बुद्धिमान कुमार ने अपनी मौत से पहले अर्चना के क्रिकेटर बनने की बात कही थी और आज अर्चना ने बड़े भाई आखरी इच्छा को भी पूरा कर दिया है। रोहित कुमार ने यह बताते हुए कहा, “मेरे बड़े भाई को एक कोबरा ने काट लिया। अस्पताल ले जाते समय उन्होंने मेरी बांहों में दम तोड़ दिया। उनके आखरी शब्द थे ‘अर्चना को क्रिकेट खिलाओ। भैया बुधिमान की मृत्यु के बाद जब अर्चना वापस अपने स्कूल जाने के बाद क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। मेरी मां ने उसे कभी भी क्रिकेट खेलने से नहीं रोका।”