आकाश चोपड़ा ने विराट की नाकामी पर धोनी को लेकर दिया बयान, बोले- खिलाड़ियों में उन्होंने 'डर' पैदा नहीं होने दिया

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Shilpi Sharma
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WTC का फाइनल मुकाबला गंवाने के बाद से ही टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) की आलोचना हो रही है. इसी बीच आकाश चोपड़ा (Aakash chopra) ने एमएस धोनी (MS Dhoni) को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है. दरअसल कोहली की कप्तानी में तीसरा बार टीम इंडिया आईसीसी ट्रॉफी के करीब पहुंचकर उसे उठाने से चूक गई है. जिसके कारण वो लोगों के निशाने पर चढ़े हुए हैं.

क्यों विराट से सफल कप्तान हैं धोनी?

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साल 2017 में टीम को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से हाथ धोना पड़ा था. इसके बाद साल 2019 में वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने के बाद टीम फाइनल से एक कदम दूर रह गई और खिताब से चूक गई. हालांकि इस बार टेस्ट चैंपियनशिप में टीम इंडिया के पास अच्छा खासा मौका था. लेकिन, इसके बाद न्यूजीलैंड हाथों टीम को करीबी हार का सामना करना पड़ा.

मौजूदा कप्तान के लगातार नाकामयाब होने के बीच पूर्व टेस्ट क्रिकेटर आकाश चोपड़ा (Aakash Chopra) ने अपने यूट्यूब चैनल पर जारी किए एक वीडियो के जरिए उन्होंने एमएस धोनी (MS Dhoni) की कामयाबी के बारे में बताया है. उन्होंने ये भी बताया कि, आखिर वो क्यों सफलतम कप्तानों की लिस्ट में गिने जाते हैं? आखिर क्यों उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने 4 में से 3 आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल जीते?

धोनी के नेतृत्व में खिलाड़ी असुक्षित महसूस नहीं करते थे- पूर्व क्रिकेटर

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पूर्व कप्तान की अगुवाई में भारत ने टी20 वर्ल्ड 2007, वर्ल्ड कप 2011 और चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में जीत का झंडा गाड़ा था. ऐसे में आकाश चोपड़ा का मानना है कि, बतौर कप्तान धोनी की सबसे बड़ी खासियत खिलाड़ियों में भरोसा पैदा करना था. उनके रहते हुए टीम के किसी भी खिलाड़ी में असुरक्षा का भाव नहीं था. इस बारे में पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि,

'धोनी की कप्तानी में टीम का प्रदर्शन बेहतर हुआ. धोनी टीम में ज्यादा बदलाव नहीं करते थे यही उनकी सफलता का ये बड़ा राज था. जिसी वजह से खिलाड़ियों में असुरक्षा का भाव पैदा नहीं होता था.'

लीग से लेकर नॉक आउट तक धोनी एक टीम के साथ खेलते थे- पूर्व भारतीय क्रिकेटर

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आकाश चोपड़ा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,

'यदि आप उनकी टीम को देखें तो पता चलेगा कि, लीग से लेकर नॉक आउट तक वो एक ही टीम के साथ खेलते थे. उनके पास ऐसे खिलाड़ी रहे जो नॉक आउट मुकाबलों में रन बनाते थे. जब आप क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंचते हैं तो सबसे कम गलती करने वाली टीम ही मैच में जीत हासिल करती है. जो टीम पूरे टूर्नामेंट में ज्यादा बदलाव नहीं करती उसके खिलाड़ी ज्यादा आत्मविश्वासी नजर आते हैं.'

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