6,6,6,6,6,6,6,...... 227 रन की आतिशी पारी! पृथ्वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी में मचा दिया धमाल

Published - 09 Oct 2025, 04:26 PM | Updated - 09 Oct 2025, 04:28 PM

Prithvi Shaw

भारतीय क्रिकेट के प्रतिभाशाली बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) पिछले काफी समय से टीम इंडिया से बाहर हैं। चयनकर्ताओं द्वारा लगातार नजरअंदाज किए जाने के बावजूद शॉ ने हार नहीं मानी और घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से सभी को यह दिखा दिया कि उनका बल्ला अब भी पहले जैसा आग उगलने में सक्षम है।

फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका 46.02 का औसत उनकी (Prithvi Shaw) निरंतरता और क्लास को साबित करता है। हाल ही में उन्होंने टीम इंडिया में वापसी को लेकर अपनी चिंता जताई थी, लेकिन मैदान पर उनका प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि वह किसी भी स्तर पर खेलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

विजय हजारे ट्रॉफी में Prithvi Shaw का धमाका

साल 2021 के विजय हजारे ट्रॉफी में पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने ऐसी बल्लेबाजी की, जिसने हर किसी को चौंका दिया। मुंबई बनाम पांडुचेरी के मुकाबले में शॉ ने शुरुआत से ही विपक्षी गेंदबाजों पर टूट पड़ते हुए रन बरसाए।

उन्होंने महज 152 गेंदों पर 227 रन की विस्फोटक पारी खेली। इस दौरान उनके बल्ले से 31 चौके और 5 छक्के निकले। यह पारी उनके आत्मविश्वास और बल्लेबाजी कौशल का सटीक उदाहरण थी।

शॉ की इस तूफानी बल्लेबाजी ने मुंबई को मजबूती दी, और टीम ने 50 ओवर में 4 विकेट पर 457 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। वहीं, उनके साथी बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव ने भी शानदार 133 रन बनाकर टीम के स्कोर को और भव्य बना दिया।

मुंबई के गेंदबाजों की घातक गेंदबाजी

मुंबई के इस विशाल स्कोर के जवाब में पांडुचेरी की टीम पर शुरुआत से ही दबाव बन गया। मुंबई के गेंदबाजों ने सटीक लाइन-लेंथ पर गेंदबाजी की और विरोधी टीम को 227 रन पर ही ऑल आउट कर दिया।

स्पिनर प्रशांत सोलंकी ने अपनी फिरकी से कमाल दिखाते हुए 5 विकेट झटके और टीम को बड़ी जीत दिलाई।
पांडुचेरी की ओर से कप्तान दामोदरन रोहित ने 63 रन और सागर त्रिवेदी ने 43 रन बनाए, लेकिन पृथ्वी शॉ और सूर्यकुमार यादव की आक्रामक बल्लेबाजी के सामने ये कोशिशें नाकाफी रहीं।

मुंबई ने यह मुकाबला 233 रनों के भारी अंतर से जीत लिया, जो टीम के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला साबित हुआ।

घरेलू क्रिकेट में शॉ की वापसी की दस्तक

पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) का यह प्रदर्शन सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि उनकी टीम इंडिया में वापसी की पुकार भी था। घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को अक्सर राष्ट्रीय टीम में मौका मिलता है, और शॉ ने यह दिखा दिया कि वह इस कतार में फिर से शामिल हो चुके हैं।

उनकी आक्रामक बल्लेबाजी, शॉट सेलेक्शन और बड़े स्कोर बनाने की क्षमता उन्हें एक अलग दर्जा देती है। कुछ समय से टीम से बाहर रहने के बावजूद उन्होंने यह साबित किया है कि मौका मिलने पर वह भारत के लिए मैच जिताने वाली पारी खेलने की पूरी क्षमता रखते हैं।

शॉ का करियर, संघर्ष और नई उम्मीदें

4 अक्टूबर 2018 को वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने पहली ही पारी में शतक जड़कर इतिहास रच दिया था। वह टेस्ट डेब्यू पर शतक लगाने वाले सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बने थे।

अब तक उन्होंने टेस्ट में 5 मैचों में 339 रन बनाए हैं (औसत 42.37), वनडे में 6 मैचों में 189 रन (औसत 31.50), जबकि टी20 इंटरनेशनल में उन्हें सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला है।

हालांकि, उनके करियर में फिटनेस और अनुशासन से जुड़ी कई चुनौतियाँ रहीं। रणजी ट्रॉफी से बाहर होना, 2019 में डोपिंग उल्लंघन के कारण 8 महीने का निलंबन और आईपीएल 2025 की नीलामी में अनसोल्ड रहना — ये सभी घटनाएँ उनके संघर्ष के दौर को दर्शाती हैं।

अब शॉ (Prithvi Shaw) ने अपनी फिटनेस और मानसिक तैयारी पर पूरा ध्यान दिया है। उन्होंने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से NOC लेकर महाराष्ट्र के लिए खेलने की तैयारी शुरू की है। वह घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन करके फिर से चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने में लगे हुए हैं।

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पृथ्वी शॉ भारतीय क्रिकेट के युवा और प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं। वह अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और तेज़ रन बनाने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन ने उन्हें टीम इंडिया के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनाया है।

पृथ्वी शॉ ने 4 अक्टूबर 2018 को वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और डेब्यू पर शतक बनाकर इतिहास रचा। टेस्ट में उन्होंने 5 मैचों में 339 रन बनाए। वनडे में 6 मैचों में 189 रन और टी20 इंटरनेशनल में 1 मैच खेला, लेकिन इसमें कोई रन नहीं बना सके।