अगर अभी से नहीं चेता भारत तो खत्म हो जायेगी बादशाहत,टी-20 जीतना है तो करना होगा ये काम
Published - 17 Aug 2017, 09:02 PM
भारतीय क्रिकेट टीम भले ही टेस्ट क्रिकेट में झंडे गाड़ रही हो. एकदिवसीय मैचों में भी प्रदर्शन कर रही हो लेकिन भारतीय टीम का टी 20 में प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नही रहा है. इसके पीछे कारण भारतीय क्रिकेट की रुढ़िवादी चयन प्रक्रिया है. जहां ज्यादा से ज्यादा टीम अपनी टी 20 टीम मे युवाओं कों मौका दे रही हैं. और अपनी एक अलग युवा टीम तैयार कर रहे हैं. जबकि भारत में उन्ही खिलाड़ियों कों टी 20 में खेलने के लिए चुना जाता है. जो पहले से वनडे या टेस्ट खेल रहे होते हैं. यह निराशाजनक है क्योंकि आईपीएल के कई सितारे जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन उन्हें टीम में मौका नही दिया गया जबकि उन्हें आगे मौका देना चाहिए और वो भविष्य में टीम को उचित लाभ दे सकते हैं
ये पांच कारण हैं जो कहते हैं कि भारत को टी20 की अलग टीम बनानी चाहिए-
बूढ़े शेर होंगे तब-
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भारतीय टीम में अभी जो खिलाड़ी हैं उनमे 2019 के विश्व कप के समय अधिकांश भारतीय सितारों की औसत आयु 30 से ऊपर होगी. रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन की उम्र 30 से ऊपर होगी जबकि धोनी 38 के करीब होंगे. ऐसे में यदि अभी से एक अलग टी20 साइड बना दी जाए तो वो आगे चल के भारतीय टीम में खेलने के लिए अधिक समझदार हो सकते हैं.
खेले ऐसा कि हारने का डर न हो-
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जब टी20 क्रिकेट क आगाज हुआ था. और भारत ने पहला टी 20 वूर्ल्डकप जीता था. उस समय भारतीय टीम में सभी खिलाड़ी युवा थे. जबकि टीम कई सीनियर खिलाड़ी थे जिन्हें इस क्रिकेट से बाहर कर दिया गया था. और टीम ने वर्ल्ड कप जीता था. क्योंकि तब इन युवाओं के पास खोने को कुछ नही था. इन्होने बेधड़क अंदाज में खेला था और इस क्रिकेट में ऐसे ही खेल की जरूरत होती है.
पंड्या ही हैं एक मात्र खिलाड़ी-
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वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों का टी20 क्रिकेट में बोलबाला रहता है. दुनिया में जितनी भी लीग खेली जाती हैं उनमे यदि वेस्टइंडीज के खिलाड़ी न खेले तो लीग सूनी सी रहती है. उनके खेलने का अंदाज हरफनमौला होता है. वो बैटिंग बॉलिंग करते हैं. इस कारण वेस्टइंडीज टी 20 का चैंपियन है. लेकिन निराशाजनक बात यह है कि भारत के पास अभी हार्दिक पंड्या के अलावा हरफनमौला खिलाड़ी हैं नही. ऐसे में प्रबंधन को चाहिए कि वो एक अलग टीम बनाने का रास्ता साफ़ करें.
फायदे भी बहुत हैं-
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भारतीय क्रिकेट में यदि रोटेशन पालिसी अपनाई जाए यानि अलग फॉर्मेट के लिए अलग टीम, इससे खिलाड़ियों के ज्यादा खेलने की वजह से होने वाली चोट से भी मुक्ति मिलती है. खेल के हर प्रारूप के लिए एक ही टीम के साथ जाने में समस्या यह है कि यह रोटेशन की संभावना को मारता है जबकि शिखर धवन, विराट कोहली और अब हार्डिक पंड्या की पसंद भारत के लिए तीनों प्रारूपों में शामिल हैं.
आईपीएल इसी लिए तो शुरू किया गया था-
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जब भारत की चयन प्रक्रिया में नजर डाले तो पता चलता है और आपको आश्चर्य होगा कि टी 20 स्पेशलिस्ट को टीम में जगह ही नही दी गयी है जबकि वास्तविक प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. यदि वेस्ट इंडीज, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका इस तरह टीमों को बांट सकते हैं, तो भारत कों उनके उदाहरणों का पालन करना चाहिए.
आईपीएल का मुख्य उद्देश्य युवाओं को आवश्यक एक्सपोजर देना और उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए पोषित करना था. टूर्नामेंट के इतने सफल संस्करणों के बाद भी, यह अजीब बात है कि भारत उन प्रतिभाओं की पहचान नही कर रहा जो वाकई उनके पास है.