5 भारतीय क्रिकेटर जिन्हे टेस्ट क्रिकेट में मिले होते ज्यादा मौके तो शायद अब तक बन चुके होते भारत के संकटमोचक

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पाकस
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5 भारतीय क्रिकेटर जिन्हे टेस्ट क्रिकेट में मिले होते ज्यादा मौके तो शायद अब तक बन चुके होते भारत के संकटमोचक

इस समय भारतीय टीम (Indian Team) अपने सबसे सुनहरे दौर में से एक में है, जब उनके खिलाड़ी क्रिकेट के सभी प्रारूपों में और सभी देशों में अपने खेल का लोहा मनवा रहे हैं. कपिल देव, नवाब पटौदी, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की शुरू की हुई परंपरा को आज रोहित शर्मा, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, पांड्या बन्धु जैसे खिलाड़ी आगे बढ़ा रहे हैं.

भारतीय टीम ने हमेशा से ही बेहतरीन खिलाड़ियों को बनाया है. लेकिन, भारत में इतने ज्यादा क्रिकेटर निकलते हैं कि सभी को मौके मिल पाना मुश्किल होता है. ऐसे में हम आज ऐसे खिलाड़ियों की बात करेंगे जिन्हें अगर टेस्ट क्रिकेट में और मौके मिले होते तो वो भारतीय टीम के संकट मोचक बन चुके होते.

ये हैं पांच प्रतिभाशाली Indian क्रिकेटर

1. कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav)

kuldeep yadav indian

2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पदार्पण टेस्ट मैच में ही चार विकेट झटकने वाले कुलदीप यादव ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था. जिसमें वो सिर्फ 2 विकेट ही अपने नाम कर सके थे. चार साल के टेस्ट करियर में कुलदीप को सिर्फ 7 टेस्ट मैचों में ही जलवा दिखाने का मौका दिया गया. जिसमें उन्होंने 3.5 की इकॉनमी से Indian Team के लिए 26 विकेट अपने नाम किए हैं.

अपने शुरूआती करियर में चाइनामैन के नाम से प्रसिद्ध कुलदीप यादव को ज्यादा मौके नहीं दिए गए हैं. जबकि इस छोटे से करियर में ही उन्होंने पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा दो बार किया है. अगर उन्हें और ज्यादा मौके दिए जाते तो बिना संदेह के वो टीम के लिए और भी ज्यादा विकेट झटक सकते थे. अब तो आलम यह है कि वनडे और टी20 के साथ ही आईपीएल में भी उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी जा रही है.

2. करुण नायर (Karun Nair)

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भारतीय टीम (Indian Team) के लिए सिर्फ 6 टेस्ट मैच खेलने वाले करुण नायर ने अपनी तीसरी ही पारी में तिहरा शतक लगाकर खुद को खब्बू बल्लेबाज के रूप में साबित किया था. लेकिन, शायद प्रबंधन को उनसे और भी ज्यादा उम्मीद थी. इसीलिए तो 2016 में पदार्पण करने वाले इस खिलाड़ी को 2017 से पूछा ही नहीं गया. कि भईया आकर कम से कम एक और मैच में बल्लेबाजी कर लो.

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सिर्फ दो ही एकदिवसीय मैच खिला कर इन्हें चलता कर दिया गया. अब जब किसी खिलाड़ी को मौका ही नहीं दिया जाएगा तो वो खुद को साबित कैसे करेगा. टेस्ट में तो वो टीम के लिए सच में संकट मोचक बन सकते थे.

3. जयदेव उनादकट (Jaydev Unadkat)

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30 वर्षीय खिलाड़ी जयदेव उनादकट को क्रिकेट खेलते हुए 11 से ज्यादा साल बीत चुके हैं और उनकी कप्तानी में सौराष्ट्र ने रणजी ट्रॉफी भी जीती है. 89 प्रथम श्रेणी मैचों में 2.94 की इकॉनमी के साथ 327 विकेट झटक चुके जयदेव ने पारी में पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा 20 बार और मैच में 10 विकेट लेने का कारनामा 5 बार किया है.

बावजूद इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर को Indian Team की तरफ से सिर्फ एक बार 2010 में सिर्फ एक ही बार टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला है. उस वक्त हालांकि जयदेव विकेट झटकने में कामयाब नहीं हो सके थे, लेकिन घरेलू प्रदर्शन को देखते हुए. अगर उन्हें टेस्ट मैचों में मौका दिया जाता तो निश्चित ही वो विकेट टेकर गेंदबाज बन जाते.

4. शुभमन गिल (Shubman Gill)

शुभमन गिल

भारतीय टीम की तरफ से 7 अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों में 644 गेंदें खेलकर 3 अर्धशतकों के साथ 378 रन बनाने वाले सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल को ज्यादा से ज्यादा मौके मिलने चाहिए. ना सिर्फ एक या दो मैच ही खेल कर बैठा दिया जाए. आपको बता दें कि शुभमन को 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण करने का मौका दिया गया.

लेकिन, उन्होंने 2019 में ही वेस्टइंडीज ए के खिलाफ दोहरा शतक जड़ दिया था. यही नहीं न्यूजीलैंड के खिलाफ इंडिया ए के खिलाफ उन्हें कप्तान भी चुना गया था. अगर उसी वक्त उन्हें टीम में चुन लिया जाता तो आज टीम इंडिया को रोहित शर्मा के साथ एक और सलामी बल्लेबाज को चुनने के लिए प्रबंधन को इतना ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती.

5. मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj)

मोहम्मद सिराज

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछले साल पदार्पण करने वाले मोहम्मद सिराज ने पांच मैचों में टीम के लिए 16 विकेट झटके हैं. साथ ही एक बार पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा भी किया है. आपको बता दें कि सिराज को अब 2020 में पदार्पण करने का  मौका मिला है. लेकिन, आपको बताना चाहेंगे कि उन्हें टीम का हिस्सा तब बनाया गया जब मोहम्मद शमी चोटिल हुए थे.

वैसे तो उन्हें 2017 में ही टी20 में चुन लिया गया था. सिराज ने बहुत पहले ही योर्कर गेंदे फेंकनी सीख ली थी. सिर्फ 43 प्रथम श्रेणी मैचों में ही 168 विकेट अपने नाम कर चुके सिराज को अगर पहले ही टेस्ट में चुन लिया जाता तो वो भारतीय टीम (Indian Team) के लिए और भी ज्यादा किफायती साबित हो सकते थे.

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