श्रीलंका गई भारतीय टीम में युवा विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन (Sanju Samson) को मौका दिया गया। उन्हें वनडे सीरीज के तीसरे मैच में पदार्पण का मौका मिला था। जिसमें वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके। सिर्फ इतना ही नहीं टी20 सीरीज में भी वो प्रभाव छोड़ने में नाकाम ही रहे।
वैसे अगर ओवरआल प्रदर्शन की बात करें तो भी वो किसी भी तरह से प्रभावी नहीं रहे। उनको टीम में इसलिए शामिल किया गया था कि विकेट के आगे और पीछे दोनों जगह से वो उपयोगी साबित होंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उन्हें और मौके दिए जाने चाहिए। आज हम ऐसे ही कुछ कारणों की बात करेंगे कि उन्हें टीम में और मौके क्यों नहीं दिए जाने चाहिए।
Sanju Samson को मौके ना दिए जाने के हैं ये चार मुख्य कारण
1. लगातार खराब प्रदर्शन
भारतीय टीम के विकेट कीपर बल्लेबाज Sanju Samson को फिर से मौके ना दिए जाने का मुख्य कारण यह भी है कि उनका यह प्रदर्शन लगातार गिरता ही जा रहा है। उनका खराब प्रदर्शन जारी है। इस बार श्रीलंका के खिलाफ अंतिम वनडे मैच में जरूर वो 46 रन बनाने में कामयाब हुए थे। लेकिन, वो नाकाफी ही रहा। इसके बाद तीनों टी20 मैच में वो फिर से नाकाम सिद्ध हो गए। तीनों में क्रमशः 26, 7 और 0 रन ही वो बना सके। सिर्फ इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी वो तीन मैचों में 15,10 और 23 रन ही बना सके थे। ऐसे में उन्हें और ज्यादा मौके देना टीम के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
2. मध्यक्रम में ना खेल पाना
संजू सैमसन (Sanju Samson) के लिए मध्यक्रम में ना खेल पाना भी बहुत ज्यादा मुश्किलों वाला काम बन चुका है। ऐसा लगता है कि आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभाते-निभाते वो मध्यक्रम में खेलना भूल ही चुके हैं। पहले ऑस्ट्रेलिया और फिर श्रीलंका के खिलाफ मध्यक्रम की जिम्मेदारी सम्भालने में वो पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। कुल 10 टी20 मैचों में वो सिर्फ 117 रन ही बना सके हैं, वो भी 110.37 के मामूली स्ट्राइक रेट के साथ।
3. स्पिनरों को ना खेल पाना
Sanju Samson की एक और खामी सभी के सामने उजागर हो चुकी है। वो हर बार स्पिनर्स के सामने बेदम नजर आते हैं। आईपीएल में भले ही बेख़ौफ़ बल्ले करने में माहिर हो चुके हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मैचों में वो गेंद और बल्ले के सही मिश्रण के लिए तरसते से रहते हैं। श्रीलंका के खिलाफ वो चार मैचों में चारों ही बार डिसिल्वा और हसरंगा की स्पिन गेंदों पर पवेलियन लौटे हैं। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया में भी वो स्पिन गेंदबाजों की घूमती गेंदों का ही शिकार हुए थे। जबकि भारतीय बल्लेबाज स्पिन खेलने के माहिर माने जाते हैं।
4. पंत- ईशान जैसा विकल्प होना
विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन (Sanju Samson) ने वैसे तो अभी तक किसी भी तरह का जुझारू प्रदर्शन नहीं किया है और अगर भविष्य में मौके मिलने के बाद भी करने में असमर्थ रहते हैं तो किसी भी हाल में उन्हें टीम में अपनी जगह बनाने में हद से ज्यादा मुश्किल पैदा हो जाएगी। क्योंकि भारत के पास पहले से ही ऋषभ पंत और ईशान किशन जैसे बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज मौजूद हैं। जिन्होंने अपने पहले ही मैच से टीम की जीत में सहयोग किया है। बाकि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तो ऋषभ पंत के प्रदर्शन से सभी वाकिफ ही हैं।