ऐसे 10 भारतीय खिलाड़ी जिन्हें धोनी ने तो टेस्ट में दिए मौके लेकिन विराट कोहली ने नहीं

Published - 09 Aug 2021, 04:33 PM

ऐसे 10 भारतीय खिलाड़ी जिन्हें धोनी ने तो टेस्ट में दिए मौके लेकिन विराट कोहली ने नहीं

Indian क्रिकेट टीम ने पिछले कुछ वर्षों में दुनिया के हर देश के खिलाफ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसका श्रेय टीम के खिलाड़ियों के साथ ही उनके कप्तान को भी जाता है। जिनके खेल और नेतृत्व क्षमता के दम पर टीम हर जगह जीत दर्ज करने की क्षमता रखती है। कुछ सालों पहले महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम की अलग ही पहचान बन गई थी। इसके बाद टीम को मिला जोशीला कप्तान विराट कोहली, जिसने सिर्फ जीतने के लिए ही मैदान पर उतरना सीखा है।

कोहली हर हाल में मैच को जीतना ही चाहते हैं। चाहे टीम में कितने ही बदलाव क्यों ना करने पड़ जाए। वैसे बता दें कि सभी कप्तान अपनी पसंदीदा टीम ही चाहते हैं। कुछ ऐसा ही विराट कोहली के साथ है, तभी तो जिन खिलाड़ियों को तेत टीम में धोनी भरोसे के साथ मौके देते थे, कोहली ने उन्हीं से मुंह मोड़ लिया। आज हम ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों की बात करेंगे।

इन 10 Indian खिलाड़ियों को धोनी ने टेस्ट में दिए मौके लेकिन कोहली ने नहीं

10. भुवनेश्वर कुमार

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क्रिकेट के बेहतरीन स्विंग गेंदबाजों में से एक भुवनेश्वर कुमार ने Team India के लिए तीनों प्रारूपों में अपनी क्षमता साबित की है। अपनी स्विंग गेंदों से वो बल्लेबाजों का काल बन जाते हैं। भुवनेश्वर ने 2013 में एमएस धोनी के नेतृत्व में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी स्विंग गेंदों से बल्लेबाजों को लगातार परेशान किया और सभी को प्रभावित किया।

2014 का इंग्लैंड दौरा उन्हें सफलता की उचाईयों पर ले गया। तब उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में तीन अर्धशतक बनाने के साथ दो बार पांच विकेट भी लिए थे। एक समय जब टेस्ट टीम में इस तेज गेंदबाज की जगह पक्की लग रही थी, तब उन्हें कोहली द्वारा नियमित मौके नहीं मिले। लगातार चोटों ने भी उन्हें टेस्ट मैचों से दूर रखने में मुख्य भूमिका निभाई।

9. सुरेश रैना

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पूर्व Indian कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना की दोस्ती के विषय में सभी को पता है। साथ ही धोनी को रैना पर सबसे ज्यादा भरोसा भी था। रैना एक ऐसे खिलाड़ी थे जो तीनों ही प्रारूपों में बेहतरीन प्रदर्शन करे की क्षमता रखते थे। उनके आलराउंडर प्रदर्शन से टीम ने कई बार जीत हासिल की थी। जब तक धोनी कप्तान रहे थे तब तक रैना नियमित रूप से तीनों प्रारूपों में खेले।

हालाँकि टेस्ट में वो ज्यादा प्रभावी नहीं रहे। लेकिन, फिर भी टीम के लिए उन्होंने कई उपयोगी पारियां खेलीं। हालांकि, जब कोहली ने टेस्ट कप्तान के रूप में पदभार संभाला तो चीजें बदल गईं। कोहली के कप्तान बनने के बाद रैना ने 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था। हालांकि इसके बाद तो धीरे-धीरे उनको वनडे और टी20 में भी खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले।

8. शिखर धवन

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India की मौजूदा सीमित ओवरों की टीम के मुख्य खिलाड़ियों में से एक शिखर धवन ने वनडे क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड बनाया है। यह सलामी बल्लेबाज शुरू से ही गेंदबाजों पर हमला करता है और बड़ी पारियां खेलना भी उसके लिए बहुत ही आसान है।अब अगर बात टेस्ट मैचों की की जाए तो धवन का रिकॉर्ड भी उतना खराब नहीं है। वास्तव में उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत जोरदार तरीके से की थी।

उन्होंने मोहाली में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का मजाक उड़ाया और 188 रन बनाए। वह धोनी की कप्तानी में टेस्ट टीम में नियमित चेहरा बने रहे। हालाँकि बाद में बाएं हाथ के बल्लेबाज को कोहली से समर्थन नहीं मिला। नियमित अवसरों की कमी का मतलब था कि धवन टेस्ट से दूर हो गए। 35 वर्षीय ने अपना आखिरी टेस्ट 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था।

7. गौतम गंभीर

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Indian क्रिकेट के अनसंग हीरो के रूप में प्रसिद्ध गौतम गंभीर ने टीम इंडिया के लिए शानदार समय का आनंद लिया। भारत की दो विश्व कप जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के अलावा इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने टेस्ट मैचों में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने अपने टेस्ट करियर के शुरुआती हाफ में गेंदबाजों को तड़पाया और एक के बाद एक कई शानदार पारी खेली।

आपको बता दें कि एक समय गंभीर आईसीसी टेस्ट बल्लेबाजी रैंकिंग में शीर्ष पर भी पहुंच गए थे। उन्हें 2009 में ICC टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी नामित किया गया था। धोनी द्वारा टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद गम्भीर को अधिक मौके नहीं मिले। कोहली की कप्तानी में इस स्टार बल्लेबाज ने 2016 में सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले और वो उनके आखिरी भी साबित हुए।

6. वरुण आरोन

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यह कहना गलत नहीं होगा कि एक दशक पहले India के पास तेज गेंदबाजों की कमी थी। उस समय एक युवा गेंदबाज वरुण आरोन ने अपनी तेज गेंदों से सभी को प्रभावित करने की कोशिश की। दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज को अंततः 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी टेस्ट कैप मिली और उन्होंने अपनी छाप छोड़ने में बिल्कुल देर नहीं की।

स्पिन के अनुकूल मुंबई की पिच पर पर आरोन ने अपनी तेज गेंदों से तीन महत्वपूर्ण विकेट लिए। हालांकि इसके बाद इस तेज गेंदबाज पर अपनी लाइन और लेंथ के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप भी लगाया गया था। लेकिन, एमएस धोनी अपनी सूझबूझ से उन्हें मौके दिलाते गए। इसके बाद कोहली ने उन्हें बिलकुल दरनिकार कर दिया और इस पेसर ने आखिरी बार 2015 में भारत के लिए टेस्ट खेला था।

5. प्रवीण कुमार

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उत्तर प्रदेश के गेंदबाजी में विविधता वाले स्विंग गेंदबाज प्रवीण कुमार की गेंदबाजी के तो सभी कायल हो गए थे। भुवनेश्वर कुमार से पहले कुछ समय तक वो Team India के मुख्य गेंदबाज रह चुके हैं। दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अच्छी गति के साथ ही तेज स्विंगर्स से बल्लेबाजों को धोखा दिया। भारत के 2011 के इंग्लैंड दौरे को कौन भूल सकता है।

जिसमें इंग्लिश बल्लेबाजों को उनसे निपटना मुश्किल हो गया था। क्योंकि कुमार ने नियमित अंतराल पर विकेट लिए थे। उस सीजन में कुल मिलाकर उन्होंने तीन मैचों में 15 विकेट झटके थे। दुर्भाग्य से, कुमार ने उस दौरे के बाद से कोई टेस्ट मैच नहीं खेला। जहां चोटों और विवादों ने भी उनके करियर को प्रभावित किया, वहीं कोहली के भरोसे ने कुमार के करियर को और भी लंबा खींच लिया।

4. प्रज्ञान ओझा

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मुंबई में India और वेस्टइंडीज के बीच 2013 के टेस्ट मैच को ज्यादातर सचिन तेंदुलकर की आखिरी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति के लिए याद किया जाता है। हालांकि वह मैच स्पिनर प्रज्ञान ओझा का भी आखिरी टेस्ट मैच साबित हुआ। दिलचस्प बात यह है कि बाएं हाथ के इस स्पिनर ने उस मैच में 10 विकेट लिए और यहां तक ​​कि प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार भी जीता था।

वैसे नियति की योजनाएं कुछ और थीं। क्योंकि ओझा घरेलू सर्किट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद विराट कोहली के दौर में वापसी नहीं कर सके। यह भी एक सच है कि रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के विश्वविजेता के रूप में उभरने ने भी ओझा के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर ने अंततः फरवरी 2020 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अपना किनारा कर लिया।

3. पंकज सिंह

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राजस्थान के इस दाएं हाथ के तेज गेंदबाज में विश्व स्तर पर खुद को साबित करने की सभी क्षमताएं थीं। हालांकि, मौके की कमी ने उन्हें अपनी छाप छोड़ने का मौका नहीं दिया। पंकज सिंह ने India के इंग्लैंड के 2014 के दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। हालांकि उन्होंने कोई विकेट नहीं लिया, लेकिन गेंद को मूवमेंट देने की उनकी क्षमता ने कई प्रशंसकों और दिग्गजों को प्रभावित किया।

कई लोगों का मानना ​​था कि यह तेज गेंदबाज अनुभव के साथ और बेहतर होता जाएगा। हालांकि, धोनी ने उस साल बाद में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया और पंकज को कोई मौका नहीं मिल सका। एक बार होनहार तेज गेंदबाज ने इस साल की शुरुआत में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अलविदा कह दिया।

2. अभिमन्यु मिथुन

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दाएं हाथ के तेज गेंदबाज अभिमन्यु मिथुन ने 2010 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने तिलकरत्ने दिलशान, कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने को परेशान करके सीधे तौर पर छाप छोड़ी थी। उस मैच में मिथुन ने चार विकेट लिए जिसे देखकर कई विशेषज्ञों ने उनकी प्रतिभा की सराहना की।

हालांकि मिथुन का टेस्ट करियर सिर्फ चार मैचों तक ही चला। उन्होंने 2011 के बाद इस प्रारूप में बिल्कुल नहीं खेला और अब उनकी वापसी की संभावना भी बहुत कम है। दिलचस्प बात यह है कि मिथुन कई Indian Premier League (आईपीएल) सीजन के लिए विराट कोहली की अगुवाई वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) का हिस्सा थे। इसके बाद भी इसने कोहली को राष्ट्रीय टीम में मिथुन को वापस लाने के लिए प्रेरित नहीं किया।

1. युवराज सिंह

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Indian क्रिकेट के सबसे बड़े मैच विजेता नामों में से एक युवराज सिंह भी इस सूची में शामिल हैं। पंजाब में जन्मा यह ऑलराउंडर भारत के लिए एक मैच विजेता के अलावा और कुछ नहीं रहा। इस खिलाड़ी ने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों को परेशान किया है और बाउंड्री लगाने के साथ ही विकेट लेने की उनकी आदत ने उन्हें और भी बेहतरीन खिलाड़ी बना दिया था।

सिर्फ इतना ही नहीं युवराज बेहतरीन क्षेत्ररक्षक भी थे, यहां तक कि विपक्षी बल्लेबाज उनकी तरफ गेंद मारने से बचते थे। उनकी प्रतिभा का ही नतीजा था कि भारत ने दो विश्व कप खिताब सहित कई श्रृंखलाएं और टूर्नामेंट जीते। हालाँकि इस ऑलराउंडर का टेस्ट रिकॉर्ड उतना सनसनीखेज नहीं रहा। फिर भी, जब धोनी के पास चार्ज था तो प्रतिभाशाली क्रिकेटर हमेशा टीम के आसपास था। लेकिन, कोहली के कप्तान बनने के बाद चीजें बदल गईं। युवराज ने अंततः जून 2019 में क्रिकेट के लिए सभी प्रारूपों से अलविदा कह दिया।

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