IPL 2025: इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) का 18वां सीजन 22 मार्च से शुरू हो सकता है. जिसका फाइनल मैच 26 मई को खेले जाने की संभावना हैं. लेकिन, इससे पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) इस साल दिसंबर में मेगा ऑक्शन आयोजित करा सकता है.
इस बीच बड़ी जानकारी सामने आ रही है भारतीय बोर्ड उन 18 खिलाड़ियों पर 5 साल का बैन लगा सकता है तो जो निलामी में बिकने के बाद टूर्नामेंट में हिस्सा लेने नहीं आए और नीजी कारण के चलते आईपीएल से नाम वापस ले लिया. लेकिन, इस बार ऐसा करने पर प्लेयर्स पर BCCI की गाज गिर सकती है!
IPL 2025 से पहले BCCI का एक्शन
- पिछले साल IPL में कई विदेशी खिलाड़ियों ने फ्रेंचाइजियों को धोखा.जिस पर फ्रेंचाइजियों ने अपना नारजगी जाहिर करते हुए BCCI ऐसे प्लेयर्स पर बड़ी कार्रवाही करने की मांग की थी.
- इस साल ऐसा नियम लाया जा सकता है. अगर खिलाड़ी ऑक्शन में अपना नाम देता है और कोई फ्रेंचाइजी उस विदेशी खिलाड़ी खरीद लेती है.
- उसके बावदूज वह खिलाड़ी आईपीएल में हिस्सा लेने नहीं आते है तो स्थिति में उस प्लेयर पर IPL में नहीं खेलने पर प्रतिबंध लगा या जा सकता है.
- फ्रेंचाइजियों ने मेगा ऑक्शन से पहले 31 जुलाई को BCCI के साथ हुई मीटिंग में इस मामले पर अपनी राय रखी थी.
इन खिलाड़ियों पर लग सकता है बैन
- विदेशी खिलाड़ी आईपीएल खेलने पर ज्यादा नाटक करते हैं. अपने देश की नजरों में हीरो बनने के लिए वर्कलॉड का हवाला देकर आईपीएल से नाम वापस ले लेते हैं.
- लेकिन, इस बान उनकी मनमानी नहीं चलने वाली है. बता दें कि इंग्लैंड के बेन स्टोक्स, जेसन रॉय, जोफ्रा आर्चर, एलेक्स हेल्स, फिल साल्ट, रीस टॉप्ले, मार्क वुड, गस एटकिंसन, हैरी ब्रूक, डेविड मलान जैसे खिलाड़ियों पर बैन लग सकता है. क्योकिं ये खिलाड़ी आईपीएल में बिकने बाद खेलने से मना कर देते हैं.
- वहीं इस लिस्ट में इस लिस्ट में बांग्लादेश के पूर्व कप्तान शाकिब अल हसन, पैट कमिंस, जोश हेजलवुड, मिचेल स्टार्क जैसे खिलाड़ी शामिल हैं.
नहीं खेलने पर टीम का बिगड़ जाता है संतुलन
- ऑक्शन में सभी फ्रेंचाइजी अपनी तैयारियों के साथ मैदान पर उतरती है. वह टीम बनाने के लिए टारगेट किए गए खिलाड़ियों को ऊंची बोली लगाकर खरीदती है.
- ताकि उनकी टीम का स्क्वाड मजूबत बन सके. लेकिन, जब कोई बल्लेबाज या गेंदबाज आईपीएल शुरू होने से पहले मना कर देता है कि वह हिस्सा नहीं ले पाएगा.
- उस स्थिति में टीम को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि आनन-फानन में रिप्लेसमेंट ढूंढना भी उतना आसान नहीं होता है और नीलामी में लगाई गई बोली का पैसा भी वयर्थ चला जाता है.