गुरूवार, 10 अगस्त को भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद अचानक से ही सुर्ख़ियों का एक अहम कारण बनकर सामने आये. दरअसल चर्चा में आने की वजह उनका क्रिकेट के मैदान पर हालियाँ प्रदर्शन या मैदान से जुडी और कोई बात नहीं हैं, बल्कि अचानक से सुर्खिओं में आने का कारण कुछ और ही हैं.
नस्लवाद के कारण बने चर्चा का बड़ा विषय

जी हाँ ! एकदम से चर्चा और सुर्ख़ियों में आने की वजह और कोई नहीं, बल्कि नस्लवाद हैं. जी हाँ ! गुरूवार, 10 अगस्त को नस्लवाद को लेकर अभिनव मुकुंद ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा सन्देश सभी को दिया जिसे पढ़कर सभी का सीना चौड़ा हो और सभी ने अभिनव मुकुंद की जमकर तारीफ भी की.
दरअसल यह बात किसी से भी छिपी नहीं हैं, कि नस्लवाद मानव समाज और मनाव जाती का कितना बड़ा दुश्मन हैं. आज हमारा देश अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस बनाने के निकट खड़ा हुआ हैं, लेकिन यह भी एक कटु सत्य हैं, कि वतर्मान समय में आये दिन कई लोग नस्लभेदी टिप्पणी का शिकार होते रहते हैं. आये दिन हमारे समाज में नस्लवाद के कारण लोगों का अपमान किया जाता हैं और उनका इस कदर उनका मजाक उड़ाया जाता हैं, कि वह किसी से नज़र मिलाने के काबिल भी खुद को नही समझते.
अभिनव मुकुंद ने उठाया कदम

ऐसा माना जाता था, कि भले ही हमारे समाज में आम आदमी को नस्लवाद का शिकार बनाया जाता हो, लेकिन खेल की दुनिया में सभी एक सम्मान है और नस्लवाद खेल की दुनिया में चाहकर भी प्रवेश नहीं कर सकता. मगर अफ़सोस ऐसा देखने को नही मिला. टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ और देश के सात टेस्ट मैच खेल चुके अभिनाब्व मुकुंद को ना जाने कितनी बार नस्लवाद का शिकार होना पड़ा.
मगर कहते हैं ना बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती हैं. अंततः अभिनव मुकुंद के भी सब्र का घड़ा छलका और उन्होंने ट्वीटर पर एक सन्देश लिखते हुए कहा, कि ”गोरे लोग ही हैंडसम नहीं होते. लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए.”
— Abhinav mukund (@mukundabhinav) August 9, 2017

अभिनव मुकुंद ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयाँ करते हुए कहा, कि ”मैं 10 साल का था, तब से क्रिकेट खेल रहा हूँ और इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मैंने बहुत मेहनत और कठिन परिश्रम किया हैं. देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलना मेरे लिए बहुत बड़े गर्व की बात हैं. मैं यह लेख किसी की सहानुभूति और ध्यान खींचने के लिए नहीं लिख रहा हूँ, बल्कि इस लिए लिख रहा हूँ, ताकि इस मुद्दे को लेकर लोगों की सोच बदल सकू. इसके बारे में ज्यादा सोचता हूँ. मैंने 15 साल की उम्र से ही देश और देश के बाहर घूमता रहा हूँ. मेरी स्किन के रंग को लेकर लोगों की सनक मेरे लिए सबसे बड़ी पहेली रही हैं. जो क्रिकेट खेलते हैं, वही इसे समझे.”
”मैंने क्रिकेट खेलने के लिए कड़ी धुप में पसीना बहाया हैं, लेकिन मुझे कभी भी इस बात का मलाल नहीं रहा, कि मैं काला पड़ रहा हूँ. मैं चेन्नई से आता हूँ और जो शायद हमारे देश का सबसे गर्म राज्य भी हैं. मुझे इस बात की ख़ुशी हैं, कि मैंने अपने जीवन का आधे से ज्यादा समय इस मैदान पर बिताया हैं.”
गालियाँ भी दी

‘‘मुझे लोगों ने कई नामों से पुकारा, लेकिन मैंने कभी भी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरा लक्ष्य तो कुछ और ही था. मैं अब तक के विचारों से काफी सख्त हो गया. कई बार ऐसा हुआ, जब मैंने इस अपमान पर बोलने की भी ठानी. मगर आज में सिर्फ अपने नहीं बोल रहा हूँ, बल्कि देश के अन्य कई लोगों के लिए बोल रहा हूँ. सोशल मीडिया के आने से यह बात बहुत बढ़ गयी हैं. लोग अक्सर गाली भी देने लगते हैं. यह कुछ ऐसा हैं, जिसमें मेरा कोई नियंत्रण नहीं हैं, गोरे लोग सिर्फ हैंडसम नहीं होते. सच्चे बनो, ध्यान रखो और अपने रंग रूप को लेकर सहज रहो.”
अभिनव मुकुंद के इस सन्देश को सभी ने सराहा और उनकी जमकर तारीफ भी की. भारतीय क्रिकेट के कप्तान विराट कोहली से लेकर उनके सबसे अच्छे दोस्त आर अश्विन तक सभी ने इस सन्देश को पढ़ने की अपील तक की.

आइये डालते हैं, एक नज़र किसने क्या क्या कहा:–
https://twitter.com/ashwinravi99/status/895513439015063554
Very well said Abhinav. ?
— Virat Kohli (@imVkohli) August 10, 2017
Shouldn't be same when u call me "quarter " macha , no ? 😉
— Shreevats goswami (@shreevats1) August 9, 2017
I support you 100‰ @mukundabhinav ☺️? https://t.co/Sr52AfA6h3
— Shikhar Dhawan (@SDhawan25) August 10, 2017
Corrrrrectttt ????
— Gutta Jwala (@Guttajwala) August 10, 2017
Well said ABHINAV ?
— MANOJ TIWARY (@tiwarymanoj) August 9, 2017
Well spoken Mukund..
— Gautam Bhattacharya (@gbsaltlake) August 10, 2017