भारतीय टीम में कुछ खिलाड़ियों के साथ क्या विराट कोहली अपना रहे हैं भेदभाव का रवैया? समझें पूरी रिपोर्ट

भारत-इंग्लैंड (INDvsENG) के बीच जारी 5 मैचों की टी-20 सीरीज में टीम इंडिया (Team India) 2-1 से पीछे चल रही है. मेहमान टीम के आगे भारतीय खिलाड़ियों का बल्ला पूरी तरह से फ्लॉप नजर आ रहा है. अब तक सीरीज के 3 मुकाबले हो चुके हैं. 2 हार के बाद टीम चयन को लेकर इस तरह के सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर कुछ खिलाड़ियों जहां प्राथमिकता दी जा रही है, तो कुछ खिलाड़ियों के टीम में अंदर-बाहर करने का सिलसिला जारी है. इस रिपोर्ट में आज कप्तान के भेदभाव रवैये को लेकर बात करेंगे, कि क्या वाकई वो प्लेयर्स में अंतर कर रहे हैं?

Team India में केएल को बार-बार मौका क्यों?

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दरअसल अब तक टी-20 सीरीज के 3 मुकाबले हो चुके हैं, और ओपनर पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं. कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट लगातार केएल राहुल को साबित करने का मौका दे रहे हैं, जबकि अब तक उनके बल्ले से सिर्फ 1 रन बन सका है. लेकिन इसके बाद भी कप्तान का यह मानना है टीम में उनकी जगह पक्की है. क्योंकि काफी वक्त बाद वापसी के चलते केएल को जमने में थोड़ी परेशानी हो रही है, उनके इस बयान पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं.

यदि यह नियम टीम केएल के लिए है तो बाकी जिन खिलाड़ियों को अंदर-बाहर किया जा रहा है, उनके लिए अलग से नियम क्यों है. केएल राहुल के साथ ही शिखर धवन ने भी कुछ वक्त बाद टीम इंडिया (Team India) में वापसी की है. ऐसे में अगर राहुल को लगातार खुद को साबित करने का मौका कोहली दे सकते हैं तो शिखर धवन को भी दिया सकता है. इसलिए सवाल यह उठता है कि, आखिर कुछ ही खिलाड़ियों के लिए नियम अलग क्यों है.

सूर्यकुमार यादव को कप्तान ने नहीं दिया बल्लेबाजी का मौका

भारतीय टीम में कुछ खिलाड़ियों के साथ क्या विराट कोहली अपना रहे हैं भेदभाव का रवैया? समझें पूरी रिपोर्ट

इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टी-20 मैच में सूर्यकुमार यादव को विराट कोहली (Virat Kohli) और टीम मैनेटमेंट ने डेब्यू का मौका दिया था. लेकिन उनसे बल्लेबाजी नहीं कराई गई. जबकि इन दिनों सूर्यकुमार यादव लगातार अच्छी फॉर्म में चल रहे हैं. हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी 2021 में मुंबई की तरफ से 66.44 की जबरदस्त औसत से बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 5 मैच में 332 रन बनाए थे.

इसके बाद तीसरे टी-20 मैच से तो उन्हें बिना परखे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) की टीम में वापसी कराई गई, जबकि फ्लॉप चल रहे केएल राहुल को हिट मैन के साथ उतारा गया. कप्तान का दूसरे मैच में यादव से बल्लेबाजी न कराने का फैसला कहीं न कहीं खिलाड़ियों में अंतर करने का भाव कहा जा सकता है.

चहल को टीम इंडिया में फ्लॉप के बाद भी मौका

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गेंदबाज की लिस्ट में युजवेंद्र चहल पर नजर डालें, तो बीते 3 टी-20 मैच में इंग्लैंड के खिलाफ वो पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं. 3 मैच में उन्होंने सिर्फ 3 विकेट ही लिए हैं. जबकि कुलदीप यादव को इसी के चलते टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखाया गया था. दोनों के टी-20 आंकड़ो की बात करें तो अब तक कुलदीप ने 20 मैच में गेंदबाजी करते हुए 39 विकेट चटकाए हैं, उनका इकॉनामी रेट 7.11 का रहा है, जबकि गेंदबाज औसत 13.77 का है.

वहीं चहल के प्रदर्शन की बात करें तो उन्होंने 48 मैच में 8.4 की इकॉनामी रेट से गेंदबाजी की है, वहीं औसत कुलदीप से दोगुना (25.4) का है. लेकिन इसके बाद भी कप्तान चहल को बार-बार साबित करने का मौका दे रहे हैं. जबकि कुलदीप को पूरी तरह से दिमाग से कोहली निकाल चुके हैं.

ऋषभ पंत भी कप्तान नजरअंदाज की लिस्ट में हो चुके हैं शामिल

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हालांकि कोहली के नजरअंदाज करने की इस लिस्ट में खिलाड़ियों की लाइन लगी है, जिसमें ऋषभ पंत का भी नाम शामिल है. साल 2019 में मिले कुछ मौकों पर जब पंत लगातार फ्लॉप रहे तो, उनकी जगह केएल राहुल को मौका दिया गया, और काफी वक्त तक पंत टीम इंडिया (Team India) से बाहर रहे.

2020 में भी उनका करियर कुछ खास अच्छा नहीं रहा और कप्तान ने उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद काफी संघर्ष के बाद उन्हें मौका मिला 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौका मिला, तब उन्होंने खुद को साबित कर टीम में जगह बनाई. इसके साथ ही इस लिस्ट में श्रेयस अय्यर का भी नाम शामिल है, जिन्हें कप्तान ने फ्लॉप होने के बाद सीधा टीम से बाहर कर दिया.

हार्दिक पांड्या को फ्लॉप होने के बाद भी मौके क्यों?

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हालांकि काफी लंबे वक्त के बाद उन्हें  इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में शामिल किया गया है. जबकि दूसरी तरफ हार्दिक पांड्या की बात करें तो, कई मौकों पर यह देखा गया है कि, पांड्या के न चलने के बाद भी कोहली उन्हें प्लेइंग इलेवन में तवज्जो देते हैं. इसका उदाहरण उनका मौजूदा फॉर्म है. ऐसे में कप्तान पर ऐसे सवाल उठने लाजमी हैं कि, सिर्फ कुछ ही खिलाड़ियों की टीम में जगह क्यों पक्की है? और कुछ को क्यों हर बार टीम में जगह बनाने के लिए खुद को साबित करना पड़ता है?