सौरव गांगुली

आईपीएल 2008 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने प्रिंस ऑफ कोलकाता सौरव गांगुली को बतौर मार्की प्लेयर को खरीदा और टीम की कमान सौंपी। मगर गांगुली केकेआर को ना तो खिताब जिता सके और ना ही उनकी कप्तानी में टीम का प्रदर्शन कुछ खास रहा। तो वहीं उस वक्त टीम के कोच ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर जॉन बुकानन थे, जिनके फैसले काफी विवादित थे और 2010 में उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया था।

सौरव गांगुली नहीं थे टी-20 के लिए फिट

सौरव गांगुली

आईपीएल 2008 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने सौरव गांगुली को अपनी टीम में किया था। मगर गांगुली का करियर आईपीएल में उतना सफल नहीं रहा, जितना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रहा। उस वक्त टीम के कोच रहे जॉन बुकानन का काम करने का तरीका ( अलग-अलग क्षेत्र में कप्तान नियुक्त) करने का तरीका गांगुली को रास नहीं आया था। परिणामस्वरूप 2010 में बुकानन को फ्रेंचाइजी से अलग कर दिया गया। मगर अब पूर्व कोच ने गांगुली के बारे में बात करते हुए कहा कि,

उस समय मेरी सोच यह थी कि कप्तान को तेजी से निर्णय लेने वाला होना चाहिए और आपका गेम छोटे फॉर्मेट के अनूकूल होना चाहिए। यही कारण था कि उस समय मेरी सौरव के साथ इस बारे में बातचीत हुई थी। मैं यह नहीं मान सका है कि सौरव का खेल टी20 के अनुकूल था और कप्तान की भूमिका के लिए तो बिल्कुल भी फिट नहीं थे। वह अभी भी मानते हैं कि खासकर खेल के दीर्घकालिक फॉर्मेट में अलग-अलग विभाग के कप्तान नियुक्त करने को वह सही मानते हैं।

बुकानन ने बताई कैसे मिलती है टीम को ताकत

सौरव गांगुली

एक ड्रेसिंग रूम में मौजूद जॉन बुकानन और सौरव गांगुली के बीच संबंध कुछ खास अच्छे नहीं थे। मगर फिर उन्होंने लंबे वक्त तक साथ में काम किया। असल में बुकानन हर क्षेत्र के लिए अलग कप्तान नियुक्त करना चाहते थे, लेकिन सौरव गांगुली इसके पक्ष में नहीं थे। अब केकेआर के पूर्व कोच ने कहा कि,

‘मैं सोचता हूं खेल के सभी पहलुओं को समझना किसी एक शख्स के लिए खासा मुश्किल है। आपको अलग-अलग निर्णय लेने पड़ते हैं, तेजी से फैसले लेने पड़ते हैं। और यही वह पहलू है, जहां प्रत्येक शख्स को लीडर बनने की जरूरत पड़ती है।’

‘दूसरे शब्दों में आप कप्तानी को बांटने की बात करते हैं, लेकिन आप मैदान पर प्रत्येक शख्स को लीडर के रूप में चाहते हैं। इन दिनों सभी गेंदबाज अपनी हर फेंकी जाने वाली गेंद के कप्तान होते हैं। सभी बल्लेबाज बिना कप्तान या कोच की सलाह के निर्णय लेते हैं। मैं सोचता हूं कि इसी बात में टीम की ताकत निहित है।’