2- कोचिंग का अनुभव है भरपूर
बल्ले के साथ मैदान पर अपनी दृढ़ता के लिए मशहूर रहे राहुल द्रविड़ की कोचिंग में भी उनका चरित्र दिखता है। दौरे पर जब एक साथ 9 खिलाड़ी अनुपलब्ध हो गए, तब भी टीम इंंडिया ने खेलने का फैसला किया। भले ही टीम को हार मिली हो, लेकिन इससे सोच का पता चलता है कि हर परिस्थितियों में Rahul Dravid टीम को लड़ना सिखाते हैं।
इसके बाद बचे हुए खिलाड़ियों में से भी नवदीप सैनी कंधे की चोट के चलते नहीं खेल सके, तो उन्होंने एक और डेब्यू कराया। लेकिन हार नहीं मानी। इसलिए T20I सीरीज में भारत ने जीत दर्ज की या हार, इससे फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि जरुरी था मैदान पर उतरकर अपना चरित्र दिखाना।
दिग्गज द्रविड़ ने इससे पहले इंडिया ए व अंडर-19 टीम में कोच पद पर कार्य किया है। इसलिए आज भारत की बेंच स्ट्रेंथ के लिए श्रेय उन्हीं को जाता है, क्योंकि वह एक कोच के रूप में अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए जाने जाते हैं।